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तारकोव्‍स्‍की की फिल्‍म- सुशोभित शक्तावत







मध्‍यकालीन रूस में क्‍लीश्‍मा नदी के किनारे व्‍लादीमीर नामक क़स्‍बे पर वर्ष 1408 के पतझड़ में जब तातार हमला बोल देते हैं और पूरी बसाहट का क़त्‍लेआम करने के साथ ही क़स्‍बे के कैथेड्रल को भी तहस-नहस कर देते हैं तो अंद्रोनिकोव मठ में देवताओं के चित्र बनाने वाला चित्रकार अंद्रेइ रूबल्‍योव इस सर्वनाश से विचलित होकर शपथ लेता है कि वह अब कोई चित्र नहीं बनाएगा और न ही एक शब्‍द भी बोलेगा।

अंद्रेइ रूबल्‍योव का कहना था कि नृशंसता और ध्‍वंस से भरी इस दुनिया में उसके चित्रों की जब किसी को ज़रूरत नहीं, तो फिर वह क्‍यों नाहक़ इसमें अपने प्राण खपाए?

लेकिन पंद्रह वर्षों बाद जब व्‍लादीमीर के कैथेड्रल में ही एक अबोध किशोर के नेतृत्‍व में हफ़्तों तक कड़ा परिश्रम करने के बाद ग्रामीण कांसे के पवित्र घंटे का निर्माण कर उसे गिरजे पर स्‍थापित करने में सफल रहते हैं और जब प्रार्थना जैसे आवेग से भरी घंटाध्‍वनि क़स्‍बे की हवाओं में तैरने लगती है तो रूबल्‍योव अपनी शपथ तोड़ देता है।


रूबल्‍योव अंतत: इस बात को समझ जाता है कि क्रूरता से भरी इस दुनिया में भी एक कलाकार को अपने हिस्‍से का गीत गाना होता है, इसलिए नहीं कि उसका गीत विलक्षण है, इसलिए भी नहीं कि उसका गीत दुनिया में रत्‍तीभर भी बदलाव कर सकता है, बल्कि इसलिए कि ईश्‍वर ने किन्‍हीं अज्ञात कारणों से यह पवित्र दायित्‍व उसे सौंपा है और उसे इसका निर्वाह करना ही होगा। ईश्‍वर के निर्देशों को सुनने वाले ऐसे किसी भी व्‍यक्‍ि‍त के लिए सफलता और प्रयोजनमूलकता जैसी किसी चीज़ का अस्तित्‍व नहीं रह जाता। उसकी प्रतिभा ही उसकी बलिवेदी होती है।
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[अंद्रेइ तारकोव्‍स्‍की ने अंद्रेइ रूबल्‍योव के जीवन पर फिल्‍म बनाई है। संभवत: उनकी सर्वश्रेष्‍ठ कृति। रूबल्‍योव ऐतिहासिक चरित्र था, लेकिन तारकोव्‍स्‍की की फिल्‍म आधी हक़ीक़त आधा फ़साना है और सनद रहे कि आधी हक़ीक़त पूरी हक़ीक़त से ज्‍़यादा भरोसेमंद होती है। तस्‍वीरें, तारकोव्‍स्‍की की फिल्‍म के विभिन्‍न दृश्‍य।]

-सुशोभित शक्तावत 

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