घर छोडकर शहर आते हुए जरूरी सामान के साथ रख लेते है अपनी यादे, अतीत और जड़ो से जुड़े होने के एहसास छोटे से कमरे में नीम अँधेरे के साथ या कि खूब बदी सी हवादार बैठक में या लाकर वाले बड़ी सी अलमारी में रख देते है रंग बिरंगे अलबम काम से लौटकर अवसाद के क्षणों में दर्द भरे विरोधाभास और तनावों में जीवन मूल्यों और संवेदनाओं को आहत होते देख खोल देते है हम रंग बिरंगे अलबम परिचित- अपरिचित के सामने बिखेर देते है तस्वीरो का पुलिंदा हर तस्वीर के साथ जुडी स्मृतिया यकायक भावो, शब्दों और टींस के साथ निकल पडती है कमरे में बिखर जाती है माँ पिता, चचेरे ममेरे भाई- बहन जिंदगी के विभिन्न सोपानो पर बने दोस्त साथ में पढ़ी हुई लडकिया जीवंत हो उठते है सब कमरे के फर्श पर अवतरित होने लगते है सब जयपुर, सूरत, गौहाटी, त्रिवेंदृम, बद्री, केदार, रामेश्वरम और वैष्णो देवी ताज महल, कुतुबमीनार और लाल किले के साथ खिचाईतस्वीरो के साथ खीज उठती है अजंता एलोरा ना देख पाने की खेत कूए और बड़े से दालान वाला घर तस्वीरो में देखकर लगता है यह कमरा कितनी छोटी और ओछी कर देगा जिंदगी को ? दर्द भरी मुस्कराहट होठो पर आकार गुम हो जाती है बोलते र...
The World I See Everyday & What I Think About It...