Skip to main content

Man Ko Chiththi, and Drisht Kavi - Posts of 7 and 8 August 2024

"नफ़रत से भरी इस दुनिया में हमें आशा नहीं छोड़ना चाहिए, दुख से भरी इस दुनिया में हमें सपने देखने की हिम्मत करनी चाहिये"
◆ माइकल जैक्सन
______
कल रात से डाइट में
◆ आधी रोटी
◆ आधा कटोरी रबड़ी
◆ एक गुलाब जामुन
◆ एक बंगाली मिठाई
◆ खोवे की दो मिठाई
◆ एक कटोरी खीर
◆ दो पापड़ एवं अचार
◆ डेढ़ पाव सेव
◆ आधा कटोरी मिक्चर
◆ आलू केले के चिप्स दो कटोरी
◆ दो कप सलाद
◆ आधा लीटर कोल्डड्रिंक
◆ डेढ़ सौ ग्राम मोदी पकौड़े
◆ दो चम्मच चटनी
◆ टमाटर सॉस
◆ केले, पपीते, आम, पाइनापल, लीची, कीवी, खजूर और मौसमी फलों की मात्रा कम कर दी है
नोट - ड्राय फ्रूट्स और एक लीटर हल्दी वाला दूध और 6 अंडे कम नही कर सकता नही तो कुपोषित हो जाऊंगा, ये कम करने का कोई बोलना मत
____
अब ज्ञानीजन बोलें - 100 ग्राम कम हो जायेगा ना
क्या फ़ायदा सरेआम इज्जत उछल जाए, इससे तो बेष्ट है कंट्रोल यारां कंट्रोल
***
जो ससुरे कल तक बांग्लादेश विशेषज्ञ थे, आज सगरे के सगरे ओलंपिक के नियम, कुश्ती के परम ज्ञाता, डाइटीशियन और फिजियोथेरेपिस्ट बन गए है
ज्जे बताओ भैया और भैंजी लोग्स - तुमसे घर में दो बाल्टी तो पानी भराता नही, एक क्विंटल का बाट बनकर बैठे हो - पूरे मुहल्ले वाले गेहूँ तौलने ले जाते है भैया को और आंटीजी आप तो ज्ञान मत ही दो, क्योंकि आपके वजन से शुगर और बीपी दोनो पारा तोड़कर बाहर आ गये है, दिनभर हाय-हाय पूरा मुहल्ला सुनता है आपकी, VLCC जाकर पति को गंजा कर दिया पर एक ग्राम कम नही हुई आप
बात बॉडी शेमिंग की नही पर जो रायता आप लोग फ़ैला रहें हो और हिसाब मांग रहें ना कोच, स्टॉफ और गये हुए अधिकारियों के दल से - आपकी हैसियत क्या है, किस आधार पर आप हिसाब मांग रहें है और यह अथॉरिटी दी किसने आपको, दसवीं - बारहवीं पास या दो कौड़ी की राजनीति, समाजशास्त्र या हिंदी में चाटुकारिता से शोध करके कौन से ज्ञानी बन गये तुम
हिंदी के सुकोमल और सुकोमलांगी कविगण आप तो अपना ध्यान सेटिंग में लगाओ - उसमें तो आप डायमंड ले आते हो - गली या मुहल्ला हो या मालदीव, फिर काहे यहाँ भसड़ फ़ैला रहें हो, ज़रा सस्ते में निपटा लो - भारत और पेरिस में है ना एक पूरी समिति, दुनिया भर में अदालतें और मीडिया के दल्ले - तुम काहे मुंह काला कर रहे है यहाँ
सीधी बात है गुरू, ज़्यादा ज्ञान तो पेलो मत, तुमसे चार महीने में चालीस ग्राम कम ना हो रहा वज़न और उसे एक घण्टे में सौ ग्राम कम करने का गुर बता रहें हो, आंटीजी आपने खुद तो आदिवासी तेल पेलकर पूरे घर को बदबू से भर दिया और आंटीजी कह रही "बाल थोड़े और काट देना थे" हद है मूर्खता की
अबै, घोलचू के घोल और टूटी स्लीपर के घिसे हुए काँटों - निकलों ना अब, बन्द करो बकर तुम्हारी - ससुरों रेलवे का टिकिट तो नेट पर बनाना सीख लों या अब तुमको भेजें ओलंपिक में

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही