हमें मालूम है अपनी बीमारी का कारण - ब्रेख़्त ••••• नारायण मूर्ति सही कह रहे कि हमें हर हफ़्ते सत्तर घण्टे काम करना चाहिये, अठारह घण्टे काम रोज करने वालों ने देश को क्या दे दिया सिवाय झूठ, फरेब, दंगो और भ्रष्टाचार के मुझे लगता है रतन टाटा, अजीम प्रेम, लक्ष्मीपति मित्तल, गोदरेज, अडाणी, अम्बानी, माल्या और तमाम उन मोदियो जैसे उद्योगपतियों को माफ कर दो जो 65 - 75 पार है, या 55 - 60 की वय संधि में है, अधिकांश इनमें से दोनो मियाँ बीबी को कोई काम नही अब, जिम्मेदारी नही, अकूत दौलत है और यश कीर्ति झोले में है, सरकार दासी है इनकी, बेटे बेटियाँ सेट है, दामाद प्रधान है या राष्ट्र प्रमुख है, कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के कीड़े से ये अपने लिये रेशम बुन रहें है और उन शहतूत के पौधों को प्रश्रय दे रहें है जो इनके कोकून को रेशम में बदल देंगे और इसके लिये इन सबके पास एक फ़ौज है जो मौज में है दो रोटी कमाने में 60 घण्टे हर हफ़्ते और रोटी के साथ कल की चिंता में जीवन स्वाहा हो गया, एक दिन में आदमी खुद और अपने घर - परिवार या मित्रों से हंस बोल लेता है - वह भी इन कार्पोरेट्स से देखा नही जा रहा, देर रात काम ...
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