Skip to main content

Sandip Ki Rasoi, Drisht Kavi and Bappiu Lahidi and other Posts 14 to 18 Feb 2022

ताज़े मटर, बटन मशरूम, लहसून, पत्ता गोभी, हरी मिर्च और पास्ता - खूब सारा चीज़, मिंट मियामी सॉस के साथ
मतलब बस जन्नत और जीने को क्या चाहिये



***




संसार में सुख क्या है बालक
ताज़ी स्ट्राबेरी का फ्रेश क्रीम में शेक बगैर शक़्कर मिलाये पीना
गर्मी शुरू हो गई है मित्रों



***
"आपके पेज का इनवाइट आया अभी" - मैंने फोन पर कहा
"जी भेजा है , सभी मित्रों की कविताएँ लगाऊंगा उस पर , कव्हर पेज कैसा लगा आपको" - लाईवा का जवाब था
"अबै सुनो, साला फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्वीटर, लिंकड़लन, वाट्सएप ग्रुप से लेकर हर जगह दिन में पच्चीस - पचास कविताएँ पेल देते हो खुद की और दोस्तों की क्या लगाओगे - ख़ाक, अब ये पेज बना लिया साला और....... और पेज के कव्हर पर अपने थोबड़े के बजाय शौचालय का फोटो क्यों नही लगा लेते, सरकार स्वच्छ भारत अभियान का ब्रांड एम्बेसडर बना देगी और कुछ अनुदान भी दे देगी .... ससुर जान खा गए हो हमारी..." मैं भयानक गुस्से में था
"जी, आपके पास कोई बढ़िया तस्वीर हो शौचालय की तो भेज दें , आज दो कविताएँ भी इस विषय पर लिखकर पोस्ट करता हूँ, रात को लाईव में पढूँगा....आप रहेंगे ना लाईव में" सज्जनता से जवाब दिया उसने
आत्महत्या करने के आसान तरीके खोज रहा हूँ मैं ...
***
और लता दी के बाद अभी बप्पी दा भी विदा हो गए, संगीत के मधुर शोर और डिस्को का मसीहा ही चला गया - अब ना सुर है, ना शोर, कैसे थिरकेंगे और मदमस्त होकर झूमेंगे हम लोग
कौन गवा लेगा अब ऐसी पंक्तियां - "नशा शराब में होता तो नाचती बोतल"
अफ़सोस कि आज की पीढ़ी संगीत के गुणों से वंचित ही रह जायेगी
आपका सोने से लदा गला, अनूठे भड़कीले कपड़े और थिरकना याद रहेगा बप्पी दा - भारतीय फ़िल्म इतिहास में आपके गाने और आपका संगीत अमर है और रहेगा
नमन और श्रद्धांजलि


Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...