आर्यन बनाम मीडिया बनाम महाराष्ट्र सरकार बनाम न्याय - केस - कुछ सवाल बगैर पूर्वाग्रह के पूछ रहा हूँ , इस पूरे मामले पर "न्याय, नैतिकता और नीति" - पर एक अकादमिक विधिक बातचीत तो बनती है, जिन्हें न्याय, कानून की समझ नही और राजनैतिक भक्ति भाव मे डूबे है वे यहाँ बकवास ना करें - मूर्खों के कमेंट्स हटा दिए जाएंगे
◆ क्या सच में आर्यन को जमानत देने में देरी हुई
◆ क्या सच में लोवर कोर्ट के न्यायाधीश दबाव में थे
◆ क्या सच में मुकुल रोहतगी ने जो तर्क रखें वे लोवर कोर्ट में नही रखे जा सकते थे
◆ क्या न्याय हुआ अंत में
◆ क्या जमानत की जो शर्तें है - वे अपरिहार्य है या सबके लिए हमेंशा से यही रही है बस इस केस में इनको अतिशयोक्ति पूर्ण रूप से दर्शाया जा रहा है
◆ लगातार 27 दिन तक मीडिया ट्रायल पर कानून और सुप्रीम कोर्ट का क्या अभिमत है
◆ विधि का छात्र होने के नाते और NDPS एक्ट के संदर्भ में, पिछले वर्ष का सुशांत केस और पोस्ट सुशांत केस के सारे नाटक आदि भी सामने है मेरे
विधि के विद्वान समझाएं - मामला इतना सीधा नही जितना दिखाई दिया, या जिस तरह से षड़यंत्र के तहत इसके पीछे कितने बड़े मामले दबा दिए गए - आशीष मिश्रा टैनी हो, लखीमपुर, किसानों की हत्या, किसान आंदोलन, कोयले की कमी, महंगाई, पेट्रोल डीज़ल से लेकर गैस रिफिल के भाव - क्या इस सबका कोई सह सम्बन्ध है , यूपी चुनाव, बॉलीवुड को यूपी ले जाना का लफड़ा आखिर ये सब क्या है
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