बहुत मित्र पूछ रहे है कि बेंगलोर पर नही लिखा या अलानी फलानी घटना पर नही लिखा
फेसबुक पर जब ऑरकुट से आया था तो इसे बेहतर पाया था और ज़्यादा उपयोगी पाया था - खूब दोस्त और रिश्तेदारों को, सहकर्मियों और छात्रों गुरुओं को जोड़ा था और आज दस साल बाद सबको हटा रहा हूँ
क्या 138 करोड़ लोगों के देश में अब फेसबुक और ट्वीटर हमारे सुख दुख, सामाजिक विकास और दंगे फ़साद या लॉ एंड ऑर्डर एवं कानून व्यवस्था नियंत्रित करेगा, बहुत खुले मन से मनमोहन सिंह से लेकर नरेंद्र मोदी तक की समालोचना की नीतिगत पर कभी बिलो द बेल्ट या भड़काऊ पोस्ट नही की ना किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी में आकर लिखा - यह मेरा मानना है
इसके लिए बहुत हद तक वो जिम्मेदार है जो देश विदेश में बैठकर यहाँ के लोगों को भड़काते है और दंगे फ़साद करवाते है - ये लोग संघी, भाजपाई, कांग्रेसी, सपाई , बसपाई , वामपंथी हो - मीडिया वाले हो या ह्यूमन राइट के नाम पर देश विदेश में लाखों करोड़ों की तनख्वाह लेकर रायता बांटने वाले गुंडे हो जो उच्च शिक्षित है और हर बात पर प्रतिक्रिया देते है, लोगों की पोस्ट्स पर जाकर धमकाते है और अपने संबंधों का फायदा उठाकर भारत के समाज में गंदगी फैलाते है
इसके अलावा दलित आदिवासी सवर्ण और आदि मुद्दे पर भी यहाँ ज्ञानी कम नही है, जेंडर और महिला समानता के नाम पर भी बांटने वाली ताकतें कम नही है - इस समय जब लिख रहा हूँ तो अपने चेहरे के साथ तमाम वो चेहरे याद आ रहें है जो इस कुचक्र के पुरोधा और सारथी है
मेरा कभी उद्देश्य नही रहा कि दंगे फ़साद हो या विवाद हो पर जितने भी ये तथाकथित लोग है एक मिशन के तहत खुद यह सब धत करम ही नही करते बल्कि अपने गुर्गों को चंद रुपयों की मदद, खून की उपलब्धता या उनकी पोस्ट्स कमेंट कर उपकृत करके उकसाते है और अपने बंधुआ तैयार करते है, इलाहाबाद, बनारस से लेकर जेएनयू और तमाम जगहों पर धमाल करके , सारे पाप पुण्यों की सीमाएं लांघकर नैतिकता पर उदाहरण देने वाले इन लोगों से सावधान रहिये - जो लोग निजी जीवन में मनुष्य नही वे कितने ही मानव अधिकारवादी बन जाये या पोलित ब्यूरो में आ जाएं या सर संघ बन जाएं इन पर भरोसा कर आप देश समाज को ही मुश्किल में डालेंगे
सावधान रहिये 1992 के बाद से मीडिया ने यह रोल निभाया है और ये चंद लोग भाषाई चातुर्य और संपर्कों से या किसी रिटायर्ड प्रोफेसर , नेता, समाजसेवी या ब्यूरोक्रेट के चरण रज पकड़कर अपनी घटिया जासूसी यहाँ करते है और देश की छबि खराब करते है
सबके नाम, सम्पर्क और क्रिया कलाप से वाकिफ़ हूँ पर नाम जाहिर नही करना चाहता , बहरहाल, किसी भी मुद्दे पर लिखने के लिए आग्रह ना करें , मैं दिल से आभारी हूँ कि आप इस लायक समझते है पर मुझे नही लिखना - अपने विवेक से लिखूँगा यदि लगा तो वरना इन नालायकों के किस्से देखता रहूँगा
फेसबुक पर अब मन नही लगता और सबसे ज़्यादा दिक्कत अपने लोगों से ही होने लगी है - सुखी रहना है तो करीबी लोगों को हकाल बाहर करें, उन सभी को जो आपसे भले ही मजाक में ही सही पर आपको पीड़ा देते है और आपसे सहमत नही - आप इसे तानाशाही कहें, पितृसत्ता का हिमायती, दलित विरोधी या पूंजीपति मानसिकता का पर निकाल बाहर करिये
टीवी देखना बंद करें, अखबार तो बिल्कुल ना पढ़े और मीडिया कर्मियों से एकदम दूर रहें और फर्जी ह्यूमन राइट्स वाले नीच लोगों से तो बिल्कुल दूर , विदेशों का रुपया खाने वाले और उन्ही की थाली में छेद करके गाली देने वालों से क्या उम्मीद रखना - मेरे अपने रिश्तेदार और मित्र है जो मुस्लिम देशों में दो दशकों से रहकर रईस बन गए और मुसलमानों को गाली देते पेट नही भरता, पूंजीवाद को गाली देते है निजीकरण का विरोध करते है और अमेरिका में रहकर डॉलर में कमा रहे है, सामाजिक मूल्यों और संस्कृति की बात करते है और उनके माँ बाप को मुखाग्नि देने के लिए मुहल्ले के लोग काम आयें - इन दोगलों से क्या डरना और सम्बंध रखना
बहरहाल, शुक्रिया
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सुदीक्षा की पोस्ट बहुत वाईरल हो रही है परंतु क़ानून कभी इस बात को नहीं मानेगा और NDTV पर जो आज सुबह रिपोर्ट थी वो यह है कि गाड़ी पर मनचले पीछा कर रहें थे, उन्हें बाद में धक्का लगा - सुदीक्षा का बैलेंस बिगड़ा और वह गिर गई और बाद में उसकी मृत्यु हो गई, मनचलों का इरादा छेड़ना रहा होगा हत्या नही, दोनों बातों में फ़र्क़ है, मुझे लगता है कि थोड़ा ठहर कर विचार करना चाहिए जोश में भरकर और भावनात्मक होकर वाइरल करने से मामला बिगड़ेगा
यह सही है कि छेड़छाड़ दण्डनीय अपराध है और लड़कियाँ भारत में सुरक्षित नही है पर बाक़ी सब बातें व्यर्थ है, क्या देश की अन्य कोई लड़की अमेरिका नही पढ़ती और ग़रीब ना होती या उसके पिता चाय ना बेचते तो और उसे कोई छेड़ता क्या ये इतनी वाईरल होता मामला
समाज में बराबरी की बात करो, हर लड़की को मनचलों से बचाओ और उन्हें ताक़तवर बनाओ, गाड़ी चलाना सीखाओ, इतना पोषित बनाओ कि समय आने पर वो दो झापड़ रसीद कर दें - सुंदरी बनाने के लिए क्यों भूखा रखते हो - कितने माँ बापों को अपनी बेटी का हीमोग्लोबिन का प्रतिशत मालूम भी है , फ़ेसबुक पर मौजूद प्रखर जेंडर की वकीलनों को यह प्रतिशत मालूम है क्या और अपना टेस्ट कब करवाया था
लड़कियों कब तक पिता , पति या भाई की गाड़ी पर बैठोगी - ख़ुद क्यों नही चलाती गाड़ी - कुचल दो सालों को - जो सामने आए या पीछा करे कोई तो
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