Dr Ilina Sen - A tribute to the departed soul
Ilina Sen यानि डॉक्टर इलीना सेन का जाना हम जैसे मित्रों के लिए बड़ा सदमा है और इस वक्त लिखना बेहद मुश्किल
1990 - 91 की बात होगी, छग में मितानिन परियोजना के तहत "नवा अँजोर" की बात चल रही थी, 1990 साक्षरता के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के दौरान नई किताबे, साक्षरता आंदोलन को जन आंदोलन बनाकर काम करना और लोगों की मांग और जरूरतों के अनुसार पाठ्यपुस्तकें बनाने का काम चल रहा था, मप्र तब अविभाजित था पर छग कहना शुरू हो गया था
रायपुर में राजेन्द्र और शशि सायल, कॉमरेड उत्प्ला , इलीना सेन आदि काम कर रहें थे, मैं "रूपांतर" में पहली बार गया था और तब रायपुर में उनका दफ्तर बिलाड़ी बाड़े में था और विनायक मिशन अस्पताल तिल्दा के निदेशक थे
मुझे सन्देश था कि रायपुर न ठहरकर सीधे तिल्दा ही पहुँचूँ ताकि वही रहकर भाषा की किताबों पर काम कर सकूं, देवास में हमने इसी तर्ज पर किताबें बनाई थी कि लोगों की जरूरतें और भागीदारी रहें पूरी; स्टेशन पर इलीना और विनायक दोनो मौजूद थे, लेने आये थे बस अस्पताल पहुंचे वही उन्हें आवास मिला था, बड़ा सुंदर से घर, खूब हवादार कमरे और बड़ा सा दालान पीछे रेल की पटरियां और दूर कच्चे तेल की घाणी जहां से निकलते सरसो के तेल की खुशबू इतनी तीखी कि नाक में घुस जाती थी
पत्रकार साथी Rakesh Dewan की बहन भारती वही काम करती थी, भारती से दोस्ती थी, इसलिए उस एक डेढ़ माह नवा अँजोर की किताबें बनाने में मजा आया, बाबा मायाराम की पत्नी भी उस समय रूपांतर में थी और बाबा से पहली मुलाकात वही हुई थी, छग की टीम से मिलना बहुत प्रीतिकर था
इलीना और विनायक की बड़ी बेटी बहुत ही छोटी थी शायद एक डेढ़ माह की, और उसे उस समय गोद लिया ही था, चर्चा और गतिविधियों के दौरान इलीना बिब्बो पर पूरा ध्यान देती थी - वो एक डेढ़ माह ग़जब की सीख देने वाला समय था - जब मैं देख रहा था कि कैसे बस्तर से लोग आते थे, भाटापारा से लोग आते थे, घण्टों चर्चा और बातचीत के बाद कुछ ठोस काम की बातें होती , नियोगी के क्षेत्र के लोग हो या बी ड़ी शर्मा जी के जिले बस्तर के लोग हो -इलीना और विनायक के आदिवासियों से सहज सम्बंध थे - दोस्ताना और बराबरी के और वे आदिवासी भी बड़ा सम्मान देते थे उन्हें, कोई छुआछूत नही थी; विनायक लगभग हर समय अस्पताल में रहते थे - रात को खाने पर हम लोग बैठते और चर्चाएं होती और गाना बजाना भी, इलीना खूब मस्त गाती थी, डेढ़ माह बाद जब मैं लौट रहा था तो दोनो देर रात तक स्टेशन पर खड़े थे क्योकि ट्रेन लेट थी मेरी
यह दोस्ती की नींव इतनी मजबूत थी कि अभी तक दोनो से सम्बंध बनें हुए है, रायपुर में विनायक की गिरफ्तारी, सूर्या अपार्टमेंट वाला घर, उनकी असँख्य किताबों की जब्ती , जेल और प्रताड़ना के दौर और इलीना का बेटियों के साथ मगा हिंदी विवि, फिर वहां से टाटा सामाजिक संस्थान जाना - उसी समय शमीम अनुराग मोदी पर भी हमला, इलाज और अंत में टाटा ज्वाइन करना - कितना सब आंखों के सामने से गुजर गया
बहुत अच्छा गाने वाली और हर बात को धैर्य से सुनकर समझाने वाली इलीना देश की सम्भवत पहली शोध छात्रा थी जिसने जनांसांख्यकी( Demography ) में अपने शोध में बताया था कि भारतीय समाज में महिलाओं की दर तेजी से घट रही है और इलीना के शोध को आज भी रेफर किया जाता है - ना जाने कितने एडिशन छपे है
विनायक से मुलाकात अभी रांची में हुई थी और इलीना से गत दिसम्बर में शायद भोपाल की नरोन्हा प्रशासन अकादमी में - बोली "टाटा सामाजिक संस्थान आओ घर रहो, कुछ प्लान करते है - शमीम भी वही है
विनायक और इलीना इस समय में वे दोस्त थे - जो हम सबकी ताकत थे और ज़मीनी कार्यकर्ता से लेकर राजनैतिक कार्यकर्ताओं के दिशा निदेशक भी - इस समय में जब उनके जैसे लोगों की जरूरत थी तो ऐसे समय मे इलीना का यूँ चले जाना अखर गया , विनायक की भी ताकत थी वो - जब विनायक जेल में थे तो सरकार, कोर्ट से लेकर मीडिया और दुनिया से वो लड़ती रही, अपने पक्ष में 24 नोबल पुरस्कार विजेताओं से भारत सरकार को चिट्ठी लिखवाना - वो भी विनायक की रिहाई के लिए क्या कम बड़ी बात थी, और निसंदेह इलीना एक बहादुर योद्धा थी और हमेशा रहेंगी
ऐसे लोग कभी नही जाते, बल्कि वे जाकर भी यही रह जाते है पूरे के पूरे - इलीना हम सब तुम्हें बहुत प्यार करते है - मित्र Jayanta Munsi ने अभी सही कहा कि हमारे सब लोग अब बिछड़ रहें है and all of us need to hold the baton now ..
हम वादा करते है कि लड़ाई अभी खत्म नही हुई है , इलीना को हार्दिक श्रद्धांजलि, डॉक्टर विनायक सेन और उनकी बेटियों के लिए बहुत प्यार, प्रार्थनाएँ और ताकत और अंत में एक बात कि इन 30 वर्षों में उन्हें सरकारों द्वारा आदिवासियों की लड़ाई लड़ते जितना परेशान करते देखा है - कांग्रेस हो या भाजपा - उससे सच में मेरा राज्य नामक संस्था से भरोसा उठ गया है
अलविदा कामरेड इलीना सेन, तुम हमेशा हमारे दिल में रहोगी
नमन और श्रद्धा सुमन
ओम शांति
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