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Satire Drisht kavi 29 Nov 2019

आखिर देर रात तक श्रीमान धर्मावलम्बी, दलित विरोधी और छब्बीसा ब्राह्मण समाज के जगत नायक कॉमरेड क ने अपनी मूल फेसबुक के 5000 मित्रों, "क" - II के 4987 मित्रों से लेकर वाट्सएप के 1760 समूहों और 2397 व्यक्तिगत लोगों के चरण पखारने की सेवा, सुश्रुवा अब काम आ रही है जो इन सबकी दुआओं के चलते ससुरी हिंदी की कहानी , समीक्षा और हर किस्म की बकलोली हर जगह छप रही है , 11 रुपये नगद से लेकर 100011 तक मिलने लगे है जुगाड़ू ईनाम, तमगे और चरित्र परमाण पत्तर भी अलग से - अब बच्चे, यार दोस्त और बूढ़ी हो चली कपटी सास बन चुकी औरतों , महिला मित्रों को भी सेट कर रहा है साहित्य से लेकर समाज में बापड़ा
सही कहता था हित्शे कि जिस गांव से एक चोट्टा नगीना निकल जाए उस गांव से चोरों की बारात निकलती है
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अध्यक्ष कस्बे का एक घिसा पीटा कवि था, जीवन भर बीबी के अलावा ढेर महिलाओं को कवियत्री बनाकर इन दिनों सुप्तावस्था में था - बेहद घाघ और एकदम कमीन टाईप - कार्यक्रम समाप्ति के बाद खाने पर दौड़ा, दो चार युवाओं को पुचकार कर प्लेट भरवा ली अपनी, दस बारह गुलाब जामुन निपटा गया फिर शुरू हुआ कि कविता में कड़वाहट बहुत हो गई है - खाना खाते फ़ोटो खिंचवाएं और बोला देखो भाई फेसबुक पर डालो तो बता देना - यह कहकर फिर वो आईसक्रीम पर लपक रहा था

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एक दिन एक सत्तराया हुआ संचालक बाजार के खिलाफ बोलते बोलते मंच पर दिन दहाड़े कह गया कि इंडियन कॉफी हाउस वाले ने मेरा मोबाइल नम्बर मांगा और अब मेरे को रोज इडली वडा और डोसे के मैसेज आते है - मोदी सरकार मेरी निजी जानकारी और डाटा को बेच रही है
हॉल में लोग सन्न थे कि दुनियाभर के कॉफी हाउस में ख़ाकर भकोसकर आये है, उम्र के आधे बरस कॉफी हाउस का खाकर गुजार दिए पर किसी ने मोबाइल नम्बर नही मांगा, इस सत्तराये प्राणी से किसने मांगा वो भी साला एक कस्बे के कॉफी हाउस ने जहां नेट भी नही चलता, बिजली नही रहती और डोसे सांभर में वो सड़ी गली लौकी डालकर गरम मसाले की बघार लगाता है - फेंकने की हद है यार
और इस नाड़े वाली पट्टे की चड्ढी पहनने वाले और बण्डी में सेफ्टी पिन से बीस के नोट को सुरक्षित रखने वाले के डाटा का क्या सरकार अचार डालेगी या अम्बानी को अमेरिकन ठेका मिलेगा
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साहित्य से लेकर मीडिया तक में कुछ लोगों के पास घटिया कहानियों के अलावा कुछ नही, ये सारे संचालन में सिद्धहस्त होते है और मंच पर इतना फेंकते है कि भूल जाते है कि झूठ और सच के बीच बहुत बड़ी खाई होती है और इनको झेलने या इनकी घटिया कहानी और जीवनानुभव सुनने के लिए नही - लोग वक्ता को सुनने के लिए आये है
खत्म हो चुके घर, परिवार और समाज के ये बोझ भड़ासिये होते है - फ़ेंकते समय कोई बोल या टोक दें तो ये तांडव करने लगते हैं - कसम से मजा आता है जब ये कहते है कि संवाद खत्म हो रहा है बातचीत के मौके खत्म कर दिए है और ये फ्रस्ट्रा जाते है ख़ज्जु श्वान की भांति
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वाईरस से पूरी दुनिया परेशान है -साले हर जगह मौजूद है
कई बार मुख्य कवि, साहित्यकार या वक्ता के पहले बाकी इतने लोग भड़ास निकालते है कि मुख्य वक्ता या विषय के प्रति अनुराग ही खत्म हो जाता है और ससुरा अध्यक्ष आखिरी में जान ले लेता है, कमीना अपनी घटिया लम्बी भड़ास पेलकर
जी करता है कि अगली बार एके 47 लेकर जाएं और सीधे मंच पर खड़े हो जाये संचालक की छाती पर बंदूक रखकर कि मुख्य वक्ता, कवि या कहानीकार को लाओ नही तो संचालक को उड़ा दूँगा
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