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MP Farmer's Strike -Violence and Govt



कल का सारा दिन मालवा में किसान आंदोलन बेहद आहत करने वाला और उग्र रहा। मप्र के मुख्य मंत्री के प्रबन्धन और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल थे और आंकड़े, तस्वीरें थी। और यह सब पूछना क्या गलत है सुशासन का क्या अर्थ है, आईये देखिये देवास में नगर निगम ने शहर को खोद कर कैसे बंटाधार कर दिया है, यदि नागरिक अपनी पीड़ा नही रखेंगे तो गवर्नेंस का क्या मतलब है, यही कर रही भाजपा 15 सालों से।
मुझे किसी पार्टी से लगाव या दुश्मनी नहीं ना किसी नेता से प्रेम या दुश्मनी, पर एक - टैक्स देता हूँ ,दो- संविधान ने मुझे जिम्मेदार नागरिक और सम्मान से जीने की छूट दी है, तीन- अभिव्यक्ति की आजादी दी है। आप लोगों के तो घर में ना संविधान होगा ना आपने देखा होगा, पत्राचार से एम जे करके या हॉकर से पत्रकार बन गए होंगे ! आपका आपरेटर ही लिखता होगा " नूज़" , आपकी अकादमिक क्षमता और सेटिंग, लिफाफा संस्कृति से वाकिफ हूँ भली भाँती मैं।
दुखद यह था कि कई पत्रकार और जिम्मेदार गम्भीर किस्म के मित्रों ने यहां लोगों को धमकी दी कि यदि शासन प्रशासन के ख़िलाफ़ लिखा तो वे पुलिस में रपट दर्ज करवा देंगे। यहां तक कि मेरे लिखे पोस्ट्स भी गायब है यह किसी अपने की ही चाल है , धिक्कार है।
जिन लोगों ने भी यह किया या धमकाया है उनमे से कुछ को तो लिस्ट से निकाल दिया है बाकी से निवेदन है कि वे स्वतः यहां से निकल जाएँ। आपमें ही यदि अपने व्यवसाय की दक्षताएं और कौशल नही, समझ नहीं और दो टके के बनिए के घटिया अख़बार में काम करके यहां शेखी बघारने की थोथी मर्दानगी दिखाने का भ्रम पैदा कर रहे हो तो जाकर अपनी रीढ़ की हड्डी देखिये है या नहीं।
शर्म आती है आप पर और आपकी सोच पर। अगर आपको यह समझ नही कि 14 साल तक एक व्यक्ति के सत्ता में शीर्ष पर बने रहने से भाजपा में अंतर कलह इतनी बढ़ गई है कि अब उनके ही लोग सत्ता के शीर्ष के ख़िलाफ़ हो गए है, बगैर इनके सहयोग के किसी की हिम्मत नही कि कोई इतने बड़े पैमाने पर हिंसा कर सकें। कांग्रेस को तो फ़ोकट में क्रेडिट मिल गया जबकि उनके चार लोग गिनती के नहीं है।
मुख्य मंत्री जी से पूछा जाना चाहिये कि उनके घर पर और जिलों में किसान पंचायतों में जितनी घोषणाएं की थी उनके अमल की क्या स्थिति है, 5 बार कृषि कर्मण अवार्ड का क्या फंडा है, मालवा के विधायक क्यों असन्तुष्ट है, सिंहस्थ का क्रेडिट अकेले लेने का क्या अर्थ है, रेत खनन बन्द एकाएक कर देने से कितनों की दूकान बन्द हुई - ये वो सवाल है जो इस पुरे हिंसक आंदोलन की जड़ है यह किसान आंदोलन नहीं यह Mutiny है। यह समझ आपकी नहीं है तो अंडे बेचना शुरू कर दो बजाय धमकाने के।
जनता का साथ देने के बजाय आप लोग मालिक, नेता और प्रशासन की स्तुतियां गा रहे है,धमका रहे है ? इससे तो बेहतर है आप कोठा खोल लें और मुजरा करना शुरू कर दें !
Just get lost ....

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