यहूदी की लड़की
देवास संगीत और कला के लिए प्रसिद्ध रहा है नाटक का यहां पर कोई व्यवस्थित मंच नहीं और समृद्ध परंपरा भी नहीं है परंतु पिछले कुछ दिनों से यहां नाटकों की सरगर्मी बढ़ी है । हाल ही में नटरंग थिएटर्स के द्वारा "ढाई आखर प्रेम" का नाटक किया गया था और अब किल्लोल कला अकादमी मुम्बई और देवास भारत भवन, भोपाल के सहयोग से 8 दिवसीय शिविर के माध्यम से आगा हश्र कश्मीरी का नाटक "यहूदी की लड़की" प्रस्तुत करने जा रहा है ।
नाटक की निर्देशिका कनुप्रिया है (स्थानीय नाट्यकर्मी और फ़िल्म कलाकार चेतन पण्डित की धर्म पत्नी) जो खुद एक ख्यात कलाकार और रंगकर्मी है । अपने साथी इम्तियाज के साथ वह नाटक का निर्देशन कर रही हैं । कनुप्रिया ने आज बातचीत के दौरान बताया कि वह पटना की रहने वाली है , संगीत साहित्य उन्हें बचपन में अपने घर से परंपरा में मिला है उनकी मां डॉक्टर उषा किरण खान - साहित्य की जानी मानी हस्ती है , और पुलिस अधिकारी पिता से संस्कार मिलें। उनके सानिध्य में रहकर उन्होंने साहित्य संगीत और अन्य ललित कलाओं की बेसिक शिक्षा ली और बाद में पढ़ने के लिए वे दिल्ली आ गई जहां से उन्हें हबीब तनवीर जैसे नाटककारों और श्रीराम कला केंद्र जैसे बड़ी संस्थाओं का एक्स्पोज़र मिला । बाद में वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के लिए भी चयनित हुई।
कनुप्रिया कहती हैं मेरी रुचि बच्चों के साथ नाटक करने में थी तो मैं थिएटर इन एजुकेशन के काम की तरह बच्चों के साथ काफी समय लगाती थी , बाद में जब मुंबई में शिफ्ट हुई तो वही खुले पार्क में बच्चों के साथ काम करना शुरू किया । उन्हें लगता है कि पाठ्यक्रम से स्वभाविक अभिव्यक्ति खत्म होती जा रही है , हमारे खेल खत्म हो गए हैं , बच्चे बहुत सहमे हुए हैं , वे बोल नहीं पाते, कह नहीं पाते और पढ़ाई के बोझ से दबे जा रहे हैं - इसलिए मुझे लगता है नाटक वह चीज है जो उनकी कल्पनाशीलता , कौशल और अभिव्यक्ति को बढ़ावा देता है लिहाजा वह लगातार बच्चों के साथ नए प्रयोग कर रही है, आज वह बच्चों के साथ काम करने वाली अपनी तरह की अनूठी निदेशिका है। कनुप्रिया कहती है आज समाज में जो लोग बड़े है उनके साथ काम करके मानसिकता बदलना मुश्किल है, जिस तरह का माहौल बन गया है वहाँ विविधता को खत्म किया जा रहा है, ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में बचपन से ऐसे मूल्य और संस्कार डाले कि वे बहुरूपता, अलग अलग संस्कृतियों का सम्मान करना सीखें और एक वैविध्यता से भरपूर खुशहाल समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाएं। और यह काम हर उस व्यक्ति को करना चाहिये जो इस देश का जिम्मेदार नागरिक है। कलाओं के अनुशासन से जुड़े लोगों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है इस सबमे।
देवास में "यहूदी की लड़की" नाटक करने का उद्देश्य यह था कि धर्म और प्रेम आज भी समाज के महत्वपूर्ण मुद्दे हैं और यह जरूरी है कि आगा हश्र कश्मीरी जैसे महान नाटककारों के नाटकों को सामने लाया जाए । कश्मीरी साहब प्रेमचंद के समकालीन थे - जब प्रेमचंद कहानियों में प्रयोग कर रहे थे , तब वे बेहद संवेदनशील मुद्दों पर नाटक लिख रहे थे । यह नाटक पारसी शैली में किया जाने वाला है।
यदि आप यहां है तो अवश्य आकर बच्चों का उत्साहवर्धन करें। इसका प्रदर्शन 7 जून को शाम 7:00 बजे परिणय वाटिका , भोपाल चौराहा , देवास में होगा । इस नाटक में देवास और आसपास के 20 बच्चे और किशोर हिस्सेदारी कर रहे हैं।
चित्र - बच्चों की रिहर्सल
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