Sushil Kumar Shukla & Devilal Patidar भारत भवन में सुकून के कुछ पल......और बेहद सार्थक चर्चा. एक कला गुरु और एक बच्चों के सरोकारों से जुडा बहुत करीबी दोस्त , अनुज और भयानक गंभीर सम्पादक जो कहता है कि बच्चे फिल्मों से कहानियों कविताओं से गायब हो रहे है, इस्तेमाल हो रहे है तो बाजार में विज्ञापनों में....
दादा यानी देवीलाल जी के साथ बातचीत में मजा आ गया उनसे वादा इया कि एक पूरा दिन साथ बिताने और उनके काम, नए हो रहे कला कर्म और क्या नया किया जाना चाहिए पर लम्बी बातचीत करने आउंगा. सुशील के साथ भारत भवन से लेकर न्यू मार्केट तक की लम्बी सैर में खूब बातें की और कुछ नया करने का सोचा है अब देखते है कि काम कैसे आगे बढ़ते है.
भोपाल रचनात्मक, प्रशासनिक और एनजीओधर्मियों जैसे लोगों का शहर है. अब फिर से जाने की बेला है, कल रात टहल रहा था एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के साथ गप्प करते हुए तो टॉप एंड टाउन पर आ गए बस फिर क्या था आईसक्रीम खा लिया, "न्यू मार्केट आओ और आईसक्रीम ना खाओ तो पाप लगता है" उन्होंने कहा मैंने कहा कि मुझे शुगर की दिक्कत है तो बोले खा लो ठीक हो जायेगी नहीं तो मरने के बाद मेरे बंगले पर भूत की तरह भटकते रहोगे.
दोस्त ना होते तो क्या होता............और फिर रचना और सृजन. आज एक साथी और थी हमारे साथ, जो हमेशा से ही प्यारी दोस्त रही है और बहुत मैच्यूर
शुक्रिया मित्रों
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