सब कुछ खत्म हो जाएगा एक दिन
ये आग ये पानी और ये हवा भी
सिर्फ रह जायेंगे कुछ अवशेष
और हमारे भीतर सुलगते हुए चीत्कार
खत्म होता है जैसे धीरे धीरे
जीवन
खत्म होता है जैसे धीरे धीरे
भरोसा
खत्म होता है धीरे धीरे
विश्वास
अपने आप से
सब खत्म हो जायेगा एक दिन
रहने को शेष क्या है अब हमारे पास
कहने को शेष क्या है हमारे पास
सुनाने को क्या है शेष हमारे पपस
सुनने को क्या है शेष हमारे पास
सब कुछ नष्ट हो रहा है धीरे धीरे
समय सब कुछ लीलता जा रहा है अपने आगोश में
हम ख़तम हो रहे है
जैसे ख़तम होता है एक एक पल
जैसे ख़तम होता है एक एक ख्वाब
जैसे ख़तम होता है एक एक गीत
एक एक शब्द और व्याकरण
मुझे लगता है की
सब ख़तम होने के बाद ही रची जाएगी यह दुनिया
सब ख़तम होने के बाद ही बचेगा भरोसा और विश्वास
सब ख़तम होने के बाद ही उपजेगा कुछ नया
सब खत्म होने के बाद ही शेष होंगे मूल्य और
फिर एक नयी दुनिया में नए सिरे से जन्म लेगी
आग
और यही आग
लगाएगी आग, इस दुनिया में की
फिर न कोई चीत्कार सके
कोई न कह सके की
खत्म होगी आग इस दुनिया से.....
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