Skip to main content

Khari Khari Posts of 3 April 2024

धूर्त मक्कार सलवार बाबा के बहाने दो बात
••••••
बालकृष्ण के पास पासपोर्ट नही था
मोदी केदारनाथ के बहाने हर बार इस फर्जी की दुकान का उद्घाटन करने जाते थे
हर्षवर्धन ने बगैर किसी परीक्षण के कोविन जारी की थी
इस आदमी ने योग के नाम पर बेवकूफ बनाकर धँधा किया, साम्राज्य खड़े किए
किडनी हार्ट मधुमेह से लेकर सारी बीमारियों की दवाइयां और पुत्रजीवक बीज बेचे - सुप्रीम कोर्ट ने ही ये बीज बेचना बन्द करवाया था
घटिया प्रोडक्ट लेकर आया हर बार मार्केट में जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नही था
देश की महान आयुर्वेद और योग की परंपरा को नुकसान पहुँचाया और सरकार को बेवकूफ बनाकर जेड श्रेणी की सुरक्षा ली, एक साधु को धन और सुरक्षा की ज़रूरत आख़िर क्यो दी गई हमारे टैक्स के रुपयों पर
मुंगेर के योग आश्रम से लेकर अरविंद, पतंजलि आदि जैसा योगचार्यो का नाम डुबोकर खुद को स्वयम्भू महान बताया
कल सुप्रीम कोर्ट ने इसके बहाने से जो इस भाजपा और मोदी सरकार को जमकर फटकार लगाई है वह काबिले तारीफ है
-----
कल संजय सिंह छूट गए, बॉन्ड के जरिये भाजपा का असली चरित्र सामने आया है, मोदी शाह की तिकड़म और भ्रष्टाचार सामने आया है, ईवीएम और विविपेट को लेकर आया फ़ैसला सब साफ साफ कह रहा है
पर आएगा तो मोदी ही
क्योंकि जनता 2014 से मुफ़्त का गोबर खा रही है तो जाहिर है दिमाग़ में गोबर ही है, गोबर ही आदर्श है - सब मुफ्त है ना कंडोम, किताबें, कॉपी, लेपटॉप, स्कूटी, भोजन, दलिया, तीर्थ यात्रा, शादी, श्राद्ध, दारू से लेकर सब, इतनी मूर्ख धर्म प्रिय जनता है और महान हिन्दू राष्ट्र है कि आधे अधूरे मन्दिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा कर दी तो तालियाँ पीट रही है और इनके आराध्य प्रभु राम से बड़े हो गए, धूर्तता की हद है और अब अयोध्या सिर्फ़ धँधा और व्यवसाय का शहर बन गया है
भ्रष्ट लोगों को पकड़ने का दावा करती है सरकार, मप्र के व्यापमं घोटाले, पेंशन घोटाले, दलिया घोटाले , सिंहस्थ , नर्मदा नदी किनारे छह करोड़ पौधरोपण और अवैध उत्खनन के घोटाले में लिप्त पूर्व मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ कुछ करके दिखाये - उसे तो दिल्ली ले जाने की तैयारी है

बस नही है तो शांति, अमन, चैन, नौकरी, बेफ़िक्री, सम्मान, इज्ज़त, ज़मीर , और ज़िंदगी
फ़ैसला है आपका क्योंकि वोट है आपका
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट पर अभी भरोसा है, सब दीपक मिश्रा या ठाकुर नही होते, सब चंद्रचूड़ भी नही होते और यह भी गुजर ही जायेगा, बचेगा तो कलंकित इतिहास जो इस सरकार ने दस सालों में लिखा है कांग्रेस से ज्यादा साम्प्रदायिक, गंवार, कुपढ़, विदेश नीति के गोबर गणेश, आत्म मुग्ध, भयानक भ्रष्ट और देश विरोधी, कार्पोरेट्स के गुलाम, आम लोगों के विरोधी और आतंक के पर्याय तानाशाह जो एक ध्रुव राठी के वीडियो से हिल जाते है
***
लेखक, साहित्य और सामाजिक संस्थाएं हमेशा से प्रतिपक्ष रचते आये है और जनकल्याण बदलाव का काम करते आये है ज़मीन पर
पर आज लेखक चाटुकार और सामाजिक संस्थाएं यानी एनजीओ सरकार के दलाल हो गए है यह ठोस रूप से कह सकता हूँ, अपने साथ के लेखक, कवि, कहानीकार, बुद्धिजीवी और प्राध्यापकों को देखता हूँ तो सनातन शब्द जो बोलते नही थे आज पाखंड की सीमा पार कर गए है और एनजीओ के साथीगण इन दक्षिण पंथियों के गुलाम बनकर चरण रज ले रहे है, पिछले दस वर्षों में जो अपनी रीढ़ बेचकर किसी व्यापारी से ज़्यादा गिरे है उस पर सिर्फ़ अफसोस ही किया जा सकता है
भाजपा को जितना सपोर्ट एनजीओ और साहित्य ने किया है वही भस्मासुर बनकर अब इनके माथे आया है
मीडिया और धर्म तो ख़ैर पहले से ही सत्ता के चाटुकार रहे है और उनसे अपेक्षा भी नही कोई, जिनका कोई ज़मीर नही नैतिकता नही, मूल्य नही उनसे क्या वफ़ा की उम्मीद पर ये लोग, उफ़्फ़
दस साल मुफ्त का गोबर खाकर ये सब पतित हो गए है विचार और भाव शून्य

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही