जिसने मंगलसूत्र की इज्जत नही रखी और सब कुछ छीन लिया वो मंगलसूत्र के नाम पर महिलाओं को बरगला रहा है
अपनी बूढ़ी माँ की निजता छीन ली और हर बार मीडिया के सामने बात की
शर्म कर रे बाबा थोड़ी, सत्ता और प्रचार के भूखे
नोटबन्दी करके महिलाओं की बचत और देश के गरीब का रुपया छीन लिया और शर्म नही
देश की रेल से लेकर हवाई सेवाएं बेच दी फिर भी पेट नही भरा तुम भ्रष्ट लोगों का
कांग्रेस को बदनाम कर रहा और यह तो सीख ले कि कांग्रेस ने 55 साल शासन किया है, 70 कब से हो गए , ढंग से स्कूल ही पढ़ लेता रे बाबू
सुधर जा, बुढ़ापा बहुत खराब होता है बाबू, आडवाणी को देख, पपू को देख
[ कॉपी पेस्ट चोरी करने वाले सावधान रहें ]
***
सुनते रहिए, गुनगुनाते रहिए बस
मैनू विदा करो मैनू विदा करो जी अब विदा करो मेरे यारा
मैनू विदा करो मैनू विदा करो जी मैंने जाना है उस पार
तुम सभी पाक मगर पाप का दरिया मैं
मैनू विदा करो मैनू विदा करो जी अब विदा करो मेरे यार
झूठ भला क्यों बोलोगे तुम सब
सच कहते हो
मेरी नहीं है दुनिया जिसमें तुम सब रहते हो
अब विदा करो मेरे यार
मेरे सर पे सारी तोहमत तुम धर देना
मैं तो मैं हूं रूह भी मेरी पागल कर देना
तुम खुश रहना सब कुछ सहना मुझको आता है
टूटे तारे का धरती से कैसा नाता है
मैनू विदा करो मैनू विदा करो जी
अब विदा करो मेरे यार मैनू विदा करो
मैनू विदा करो जी मैंने जाना है उस पर
तुम सभी साफ सही (साफ सही) हूं मटमैला मैं
तुम सभी पाक मगर (पाक मगर) पाप का दरिया में
मैनू विदा करो मैनू विदा करो जी अब विदा करो मेरे यार
***
#केंद्रीयचुनावआयोग एकदम निठल्ला और नाकारा है, और देश के संविधानिक पद पर बैठा आदमी जिस भयानक गंदे तरीके से और एक वर्ग को टारगेट कर भाषण दे रहा वह निंदनीय है, #सुप्रीमकोर्ट क्यों नही स्वत्: संज्ञान ले रहा इन दोनों पर
शर्मनाक
***
"सर जी, इन दोनों फोटो में से जल्दी बताओ भगवान महावीर कौन सा है और भगवान बुद्ध का कौन सा है - समझ में नहीं आ रहा" युवा कवि अभी घर आ गया
"क्यों, क्या हुआ, कहां लेकर जा रहे हो" - मैं बोला
"अरे कुछ नही, यहाँ सेठ मिर्चीलाल विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग का अध्यक्ष जैन है, और आज महावीर जयंती है तो मैंने सोचा कि उसके घर जाकर यह तस्वीर भेंट कर आता हूँ, क्या है ना कि 5 मई को इंटरव्यू है विभाग में, दो ही पोस्ट खाली है - एक सामान्य की और एक आरक्षित" तो बस जुगाड़ में लगा हूँ
युवा कवि बिलबिलाता हुआ चला गया बोला कि "आप लोग चाहते ही नहीं हो कि हम लोगों की नौकरी लग जाए और खुद की कविताओं की किताबें छपवा लें 50 -60, सरकारी खरीद में खपवा दें और देश के बड़े आलोचक बने"
मैं हैरान था कि इसे महावीर और बुद्ध की तस्वीर में अंतर नहीं मालूम, यह छात्रों को कैसे पढ़ाएगा और दक्षिण के किसी विश्वविद्यालय से कैसे इसने पीएचडी कर ली
Comments