Skip to main content

Drisht Kavi and Election related Posts of 22 to 24 April 2024

जिसने मंगलसूत्र की इज्जत नही रखी और सब कुछ छीन लिया वो मंगलसूत्र के नाम पर महिलाओं को बरगला रहा है
अपनी बूढ़ी माँ की निजता छीन ली और हर बार मीडिया के सामने बात की
शर्म कर रे बाबा थोड़ी, सत्ता और प्रचार के भूखे
नोटबन्दी करके महिलाओं की बचत और देश के गरीब का रुपया छीन लिया और शर्म नही
देश की रेल से लेकर हवाई सेवाएं बेच दी फिर भी पेट नही भरा तुम भ्रष्ट लोगों का
कांग्रेस को बदनाम कर रहा और यह तो सीख ले कि कांग्रेस ने 55 साल शासन किया है, 70 कब से हो गए , ढंग से स्कूल ही पढ़ लेता रे बाबू
सुधर जा, बुढ़ापा बहुत खराब होता है बाबू, आडवाणी को देख, पपू को देख
[ कॉपी पेस्ट चोरी करने वाले सावधान रहें ]
***
सुनते रहिए, गुनगुनाते रहिए बस
🍁🍁❤️🍁🍁
मैनू विदा करो मैनू विदा करो जी अब विदा करो मेरे यारा
मैनू विदा करो मैनू विदा करो जी मैंने जाना है उस पार
तुम सभी साफ सही हूं मटमैला मैं
तुम सभी पाक मगर पाप का दरिया मैं
मैनू विदा करो मैनू विदा करो जी अब विदा करो मेरे यार
झूठ भला क्यों बोलोगे तुम सब
सच कहते हो
मेरी नहीं है दुनिया जिसमें तुम सब रहते हो
अब विदा करो मेरे यार
मेरे सर पे सारी तोहमत तुम धर देना
मैं तो मैं हूं रूह भी मेरी पागल कर देना
तुम खुश रहना सब कुछ सहना मुझको आता है
टूटे तारे का धरती से कैसा नाता है
मैनू विदा करो मैनू विदा करो जी
अब विदा करो मेरे यार मैनू विदा करो
मैनू विदा करो जी मैंने जाना है उस पर
तुम सभी साफ सही (साफ सही) हूं मटमैला मैं
तुम सभी पाक मगर (पाक मगर) पाप का दरिया में
मैनू विदा करो मैनू विदा करो जी अब विदा करो मेरे यार
***
#केंद्रीयचुनावआयोग एकदम निठल्ला और नाकारा है, और देश के संविधानिक पद पर बैठा आदमी जिस भयानक गंदे तरीके से और एक वर्ग को टारगेट कर भाषण दे रहा वह निंदनीय है, #सुप्रीमकोर्ट क्यों नही स्वत्: संज्ञान ले रहा इन दोनों पर
शर्मनाक
***
"सर जी, इन दोनों फोटो में से जल्दी बताओ भगवान महावीर कौन सा है और भगवान बुद्ध का कौन सा है - समझ में नहीं आ रहा" युवा कवि अभी घर आ गया
"क्यों, क्या हुआ, कहां लेकर जा रहे हो" - मैं बोला
"अरे कुछ नही, यहाँ सेठ मिर्चीलाल विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग का अध्यक्ष जैन है, और आज महावीर जयंती है तो मैंने सोचा कि उसके घर जाकर यह तस्वीर भेंट कर आता हूँ, क्या है ना कि 5 मई को इंटरव्यू है विभाग में, दो ही पोस्ट खाली है - एक सामान्य की और एक आरक्षित" तो बस जुगाड़ में लगा हूँ
मैंने ध्यान से देखा तो कहा "महाराज यह दोनों ही महावीर स्वामी के फोटो नहीं है, किसने दे दिया, तुमको ये तो कोई और है और यह ज्ञान किसने दिया कि महावीर का फोटो भेंट करने से तुम्हें नौकरी लग जाएगी" मैं हैरान था
युवा कवि बिलबिलाता हुआ चला गया बोला कि "आप लोग चाहते ही नहीं हो कि हम लोगों की नौकरी लग जाए और खुद की कविताओं की किताबें छपवा लें 50 -60, सरकारी खरीद में खपवा दें और देश के बड़े आलोचक बने"
मैं हैरान था कि इसे महावीर और बुद्ध की तस्वीर में अंतर नहीं मालूम, यह छात्रों को कैसे पढ़ाएगा और दक्षिण के किसी विश्वविद्यालय से कैसे इसने पीएचडी कर ली

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...