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75 th Birthday of Mrs Radhika Ingle 6 Aug 2023










गुरू माँ Radhika Ingle जी, आज 75 वर्ष की हुई, इस अवसर पर बच्चों ने एक अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया था

मुझे सन 1976 से लेकर 79 तक देवास के एक शासकीय विद्यालय में पढ़ाया और फिर हमने अंग्रेज़ी में एमए भी साथ किया था, सरल - सौम्य और बेहद प्रतिभाशाली कवियत्री का यह यशस्वी जन्मदिन बहुत ही सार्थक ढंग से मनाया गया
इतने लंबे वर्षों का सानिध्य और मार्गदर्शन और लगातार प्रेरित करती रही है मेरे जैसे सैंकड़ो लोगों को, लगता ही नही कि इतना समय बीत गया, आजकल की ही बात लगती है, पुराने लोगों को ढूंढ ढूंढ़कर आज बच्चों ने बुलाया वह काबिले तारीफ़ है
गुरू माँ से एक रिश्ता है और उनके पूरे घर से बेटा प्रद्युम्न, बेटी हो गीता या बहु प्रियंका या दामाद लोकेंद्र हो सब मेरे दिल के बहुत करीब है ; छोटे कस्बों में हम सब एक माला की तरह बंधे होते है, यह सहजता बनी रहे यही कामना करता हूँ
गुरू माँ खूब स्वस्थ रहें, हिंदी, अंग्रेज़ी एवं मराठी में लिखती रहें और खूब रचें यही सुकामनाएँ
जन्मदिन की बधाई और स्वस्तिकामनाएँ
आज के इस समृद्ध कार्य्रकम में माय माउशी समूह के कवि, कवियत्री मिलें, अपने बहुत पुराने छात्र एवं छात्राएं मिलें - विमला जो बड़ौदा में है, हिमांशु जो पूना में है अब, सिंगापुर से लेकर रायपुर कहाँ - कहाँ के मित्र संगी - साथी नही मिलें आज
इस सुअवसर को उपलब्ध करवाने के लिए गीता, लोकेंद्र, प्रद्युम्न और प्रियंका को धन्यवाद, आभार और खूब स्नेह

अपने लोग कितने ही वर्षों बाद मिलें वही सहजता, सरलता और अपनत्व बना रहता है - फिर वो भले दुनिया के किसी भी कोने में हो
मेरा ख्याल है लगभग दो या तीन दशकों बाद मिला मैं अपनी योग्य छात्राओं से जो आज दुनिया मे सफलता के डंके बजा रही है इनके बच्चे बड़े हो गए है कोई Carnegie Mellon Univercity - US, से एमएस कर रहा है तो कोई कुछ प्रबंधन या स्कूल में है
इन्हें देखकर लग ही नही रहा था कि गंगा में पानी बह चुका है और हम वैसे ही बात कर रहे थे जैसे 1985 - 87 में करते थे बिंदास और मनमौजी पढ़ाई और सीखने - सिखाने का दौर था और अपने बच्चों के साथ बहुत खुलेपन से और बराबरी से व्यवहार करता था, तभी वो सब आज अलग और रचनात्मक है
कल का दिन अप्रतिम था, बहुत बहुत पुराने मित्र मिलें, अपनी जन्मभूमि महू गया था, अपना घर देखा, कुछ परिजन मिलें कुछ मित्र और कुछ युवा छात्र, इंदौर लौटा देर रात फ्रेंडशिप डे की अवांगर्द भीड़ देखी, सारे मॉल घूमे पर कही खाने पीने को जगह ना मिली, विंडो शॉपिंग की, आख़िर बड़ी मुश्किल से एक रूफ टॉप रेस्तरां में जगह मिली तो अपने पुनीत और कनिका के संग साथ एक छोटी सी पार्टी कर लौटा
इस सबमें हिमांशु(पूना), विक्रम (महू), अनूप (बेंगलोर), सचिन (अमेरिका) स्वाति (बेंगलोर) गीता और लोकेंद्र (इंदौर - रायपुर), विमला और पंकज (बड़ौदा), प्रियंका (सिंगापुर) पुनीत और कनिका (इंदौर) से कल मिलना बहुत सुखद था, रात को देर तक बस का इंतज़ार करते हुए पुनीत और कनिका मेरे साथ डटे रहे वह बहुत भावुक था - एक दिन में इतनी मधुर स्मृतियाँ इकठ्ठा होंगी सोचा नही था कभी
सबका शुक्रिया, आभार और खूब प्यार तुम सबको मेरी ताकत हो तुम सब बच्चों, सॉरी अब दोस्तो
❤️💖❤️
उदासियों के बीच कल का दिन एक खुशनुमा दिन था और यह लगभग पाँच लीटर खून बढ़ने जैसा था , लम्बे समय तक याद रहने वाला असली फ्रेंडशिप डे

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