एक था अपने लेखों, ब्लॉग और पत्रिकाओं में छपे को परोसने का उपक्रम - मैं भी शामिल हूँ इसमें
फिर आया अपनी किताब का आत्म मुग्ध होकर खुद का प्रचार करना और जुगाड़ और सेटिंग से बटोरे गए पुरस्कारों के साथ बरसों तक भूखे भेड़िए की नीचता के समान हद तक प्रचार करना
कोविड लाया बेशर्मी का लाइव जिसमें लेखक, कवि, हरामखोर मुफ़्त की तनख्वाह लेने वाले माड़साब लोग्स का 24×7 लाइव, सेमिनार और विवि अनुदान आयोग के रुपये पर लूंगी छाप वर्कशॉप का मौसम - खूब पेला अपने आपको बगैर दर्शकों के भी इन ससुरों ने और घर बैठ तनख्वाह उड़ाई
फिर यूट्यूब पर अपनी लिंक शेयर करके मैसेज बॉक्स में घुसकर सब्सक्राइब की मनुहार का मौसम
-----
और अब इन सबकी भारी विफलता के बाद पेश है -
"संगत" - यानी हिंदवी पर खुद ही या युवा उदघोषक से अपना चरित्र चित्रण की जबरन घुट्टी पिलवाकर और निम्न दर्जे का स्कैंडल मरे खपे लेखकों के नाम घुसेड़कर और खुद को महान बनाकर उजबक शीर्षक यानी Eye Catching देकर भोली जनता को जबरन दिखवाने का कुत्सित सुसंगठित प्रयास और तो और अपने कोटेशन "योर कोट" जैसे एप में डालकर खुद ही चैंपने का अति आत्म विश्वास - उफ़्फ़, कितना अपराध बोध है बै साहित्यकार की दुम
यह है हिंदी का जगत और जगत के लोग - निंदा करने लायक ही नही बल्कि बेहद गलीज़ प्रयास
लगता है सिर्फ़ बामण, बनिये और राजपूत साहित्यकारों के बकवास से भरे कपोल कल्पित साक्षात्कार है क्योंकि हिंदवी का चम्पादक जगत और काम करने वाले छर्रे मतलब पूरा दफ्तर चमन बहारों से भरा हुआ है
गज्जब के सुतीये है जो इंस्टाग्राम से लेकर हर जगह अपने ही अपने साक्षात्कार की लिंक इतनी लगा रहें है कि पता नही सोये या नही - और ये जागरूक लोग है बाकी मूर्खों की तो छोड़ ही दो - इतने प्रचार के भूखे दीन हीन नही देखें - नज़रों से उतर गए ये - धूर्त तो थे पर इतने घटिया होंगे यह नही पता था
जमकर कमा रहे है सब - गुदा, गूदा, लिंग और स्त्री अंगों और युवा कवियों खासकरके लड़कियों की कविताएँ पेलकर गंजड़ी भंगड़ी चम्पादक
#दृष्ट_कवि
Comments