खत्म होती फ़रवरी असफल इश्क़ की कसक, प्रेम के पींगों में बढ़ाई गई कसीदाकारी वाली फटी हुई चिठ्ठियों, बेगम अख़्तर की गज़लों, किसी उद्दाम वेग से बहती नदी में उपहारों को बहा देने की पीड़ा, भोर तक काँपती हवा में छत पर सुट्टा पीने की, शोभा गुर्टू की ठुमरी, राशिद अली और हरिहरन की जुगलबंदी का बहीखाता, शुरू होते पतझड़ और वसंत के बीच की दुविधा, कुलाँचे मारते मन पर जकड़ी हथकड़ियों और स्वप्नों पर दबाव की दास्ताँ है , जो इस उम्मीद पर मार्च का स्वागत करेंगी कि फाग में लौटेगा कोई टेर देने
***
"क्या शोक/शौक है तुम्हारा" - मैंने पूछा
लाईवा बोला - "कविता और कबड्डी"
"अरे ये कैसे हो सकता है, दोनो एक साथ" - मैंने सहज जिज्ञासावश पूछा
"क्यों नही हो सकता - दो गाँवो, जिलों, प्रदेशों या देशों के बीच कबड्डी हो सकती है तो कविता भी तो हो सकती है और कवि किसी कबड्डीबाज़ से कम है क्या और रिटायर्ड, खब्ती, बूढ़े और खत्म हो चुके तो ज़्यादा दम भरते है जब कबड्डी के खिलाड़ी, सॉरी कविता के खिलाड़ियो की गैंग में हसीनाएं भी शिरकत करें तो, बोलो तो सबूत दूँ ...." हाँफने लगा लाईवा
"बस कर भाई, अब रुलाएगा क्या, कुछ लोग भरी जवानी में रिटायर्ड होकर कबड्डी खेलते - खेलते कवि बन जाते है, उनके लिए RIP" , यह कहकर घर लौट रहा था मैं
***
Sehore Incident
देश में धर्म का महत्व था, है और रहेगा साथ ही रहना भी चाहिये पर 2014 के बाद से देश मे, साथ ही अलग - अलग राज्यों में पिछले दशक से जो धर्म का वीभत्स स्वरूप उभरा है, भक्ति के नाम पर गुंडागर्दी और लठैती निकल कर आई है, भड़काऊ मीडिया और एंकर्स के साथ गंवार और मूर्ख बाबाओं ने जो धर्म की दुर्गति की है वह बेहद शर्मनाक है, कांग्रेस के शासनकाल में भी धर्म अफीम था परंतु इस गिरे हुए स्तर का धर्म आजाद भारत के 75 वर्षों में कभी नहीं रहा और पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से धर्म को एक हथियार बनाकर जनता को भ्रमित और बरगलाया है वह बेहद शर्मनाक और निंदनीय है, अभी चुनाव आने वाले हैं और यह सब लोग धर्म को हथियार बनाकर चुनाव जीतने के लिए तमाम तरह के कुत्सित प्रयास जरूर करेंगे भावुक और भोली जनता को इससे बचने की जरूरत है
मैं कुछ मानता नही पर एक ब्राह्मण, हिन्दू और इस देश का नागरिक होने के नाते बड़े दुख से कह रहा हूँ कि इस तरह की विचारधारा के लोगों ने जो धर्म का सत्यानाश और विद्रूप स्वरूप आज लाकर खड़ा किया है वह बेहद शर्मनाक है और इन लोगों को कभी भी इतिहास में माफ़ नही किया जाएगा
मप्र में इस वर्ष चुनाव है और जिस तरह से सत्ता और सत्ता के शीर्ष ने सीहोर के बहाने आम जनता को दण्ड दिया है शिवरात्रि के एक दिन पहले उसके लिए शिव इन्हें जरूर दण्डित करेंगे
यह वीडियो देखिये जो भाई Ganesh Kumar Nigam के सौजन्य से मिला है और समझिये कि यह बदहवास भीड़, बिखरे हुए जूते, कपड़े , टूटे हुए बैरिकेड्स और हताश लोग - क्या है यह सब
उफ़्फ़, जनता तो मूर्ख है ही, पर इस प्रदीप मिश्रा , कलेक्टर, एसपी और पूरे प्रशासन को छोड़ा गया तो इन सबके साथ कभी इंसाफ नही होगा
बहुत दुखी और क्षुब्ध हूँ यह सब देखकर
यह सीहोर कलेक्टर विशुद्ध मूर्खता पूर्ण बात कर रहा है, दो महिलाएँ, 3 बच्चे मर गए और यह कह रहा कि बच्चे को सेरिब्रल पलसी का रोग था और महिला कार्डियक अरेस्ट से मरी, कह रहा दवा वहाँ से ली थी, एकदम कचरा अस्पताल है सीहोर का मुझे मालूम है, मैं था सीहोर में, 90 % लोग भोपाल से आते है रोज़ और ये लोग क्या दवा बांट रहे होंगे - यह कल्पना की जा सकती है
क्यों ना इस कलेक्टर की सेवाएं तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर इस पर सदोष मानव वध का मुकदमा दर्ज किया जाए, मतलब अव्यवस्था का ठीकरा कही और फोड़कर बकवास कर रहा है, देवास में भी 1993 में शायद नर्मदा के किनारे सैंकड़ो लोग मरे थे और वह अधिकारी आय ए एस में प्रमोट हो गया कोई जवाबदेही नही और कोई हरकत नही, नेमावर में बस नर्मदा में गिरी , पन्ना में बस जल गई थी 50 से ज़्यादा लोग जलकर मर गए, कलेक्टर साहेबान साफ़ बचकर निकल गए - ये सफेद हाथी आख़िर करते क्या है जिलों में
इस देश के बासी क्रीम को कोई अंदाज़ नही था कि इस पाखंडी मिश्रा के यहाँ लाखो लोग आएंगे और क्या व्यवस्था की और सबसे ज्यादा अनुमति कैसे दी गई प्रशासनिक - इसका सीधा अर्थ है कि सत्ता के शीर्ष भी इस षड्यंत्र में शामिल है
राजनेता से ज़्यादा अक्ल किसी थर्ड क्लास बाबू को भी होती है तो क्या इस कलेक्टर की मति मारी गई है और यह मानसिक रूप से पागल है ?
मप्र हाई कोर्ट और राज्य मानव अधिकार आयोग को संज्ञान लेकर सीहोर कलेक्टर, एसपी और एसडीएम, तहसीलदार सहित थाना प्रभारी और अन्य कार्यपालिक मजिस्ट्रेट्स को तुरंत प्रभाव से नौकरी से बर्खास्त कर इन सबको जेल में बन्द कर देना चाहिये
भास्कर की एक रिपोर्ट और देखिये
रुद्राक्ष मतलब इलियोकार्यस स्फेरिकस
इसका वैज्ञानिक नाम है, एक पहाड़ी फ़ल है, हमारे ढोंगी बाबा और राजनीतिज्ञों ने इसे भी राजनीति में घसीट लिया
और जनता तो ख़ैर मूर्ख है ही
Comments