|| नाकामियों का बुलडोज़र ||
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"लोग टूट जाते है एक घर बनाने में
तुम तरस नही खाते बस्तियाँ जलाने में"
[जलाने को बुलडोज़र चलाना भी पढ़ सकते है]
बशीर बद्र साहब का यह शेर पोस्टर के रूप में 1992 के इससे थोड़े हल्के माहौल में पढ़ा था, तब सोचा नही था कि हालात इतने खराब हो जाएंगें कि राज्य और प्रशासन - जो पंथ निरपेक्ष होना चाहिये , बुलडोज़र से अपनी कमी, नाकामी और घटियापन को इस तरह से छुपायेगा और लोगों के मकान जमींदोज कर देगा
मतलब हद से ज़्यादा हालात बिगड़ चुके है, सारा दिन डीजे लेकर ऑटो, गाडियाँ और तांगे बेहद भौंडा प्रचार कर रहें है - लोग बीमार है, व्यवस्थाएँ भंग है, किसी को रोकने वाला कही कोई नही है, भयानक किस्म की गुण्डागर्दी और दादागिरी है, पुलिस और प्रशासन पर साम्प्रदायिक लोगों का कब्ज़ा हो गया है - कोई भी कुछ करने को तैयार नही है, शिकायतों का हल नही है
सँविधानिक पदों पर बैठे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, तमाम गृहमंत्री या ब्यूरोक्रेट्स साम्प्रदायिक हो जाये तो किससे शिकायत करें, कहाँ तो सरकार को देश के युवाओं को कौशल, प्रशिक्षण और नौकरी देने की बात थी और कहां युवाओं को और पूरे देश को हिंसक, भीड़ और टूल्स में तब्दील कर दिया - यह सब भी गुज़र जाएगा पर युवाओं के हाथ में या देश में तब तक क्या शेष रहेगा
शर्म आती है - यह देश, देश ही नही रहा अब, किसको किससे खतरा है समझ नही आ रहा हिंदुओं को मुसलमानों से जो 20% होंगे, दलित आदिवासियों को सवर्णों से जो 15 % है, मतलब हर कोई अपनी अपनी चला रहा है और गंगा जमनी तहज़ीब वाला देश 2014 से एक खतरनाक प्रयोग में बदल डाला है, क्या यही सभ्यता और संस्कृति है - क्या यही धर्म है
कांग्रेस के बोए विषभरे बीज आज बरगद बन गए है और हिन्दू मुसलमान सबके बीच इनके नीचे कोई भी स्वस्थ पहल, खुली विचारधारा पनप ही नही पा रही - तीन सालों से शिक्षा की मजार बना दी है और वहाँ से सारे युवाओं को खदेड़कर भीड़ में तब्दील कर दिया, उन्मादी बना दिया - क्या हम सब अक्ल से एकदम पैदल हो गए है
बेवकूफी भरे कमेंट्स और साम्प्रदायिक कमेंट्स स्वीकार्य नही सीधे हटाकर व्यक्ति को ब्लॉक किया जाएगा
मुसलमान और हिन्दू दोनो तरह का फासिज्म स्वीकार्य नही है कोई भी हो - जाहिलपन की हद है
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और हमारे शरविल बाबू आज 4 वर्ष के पूरे हो गए, कल देवास आये है और अपने अंदाज़ में मजे कर रहे है, कल दिन भर की धमा चौकड़ी के बाद शाम को स्थानीय पार्क में खूब मस्ती की, फिर चाट और बाकी मालवी व्यंजनों के साथ पाँव भाजी, पित्ज़ा आदि का भी टेस्ट चखा
अब वे हर बात पर राय देने लगे है और एकदम निर्णय सुनाने लगे है मसलन मेरे गमले के पौधों से दो "प्योर रेड टमाटर" तोड़े - हरे वाले छोड़ दिये कि अभी रेड हो जाएंगे तब ही तोड़ना , इनको वाश करके खाये, आपको अपने कमरे में एसी लगवाना चाहिये, धिस इज़ टू हॉट, पार्क में सब लोग गार्बेज बहुत फेंकते है और घर में जो किताबें मंगवाकर रखी और खिलौने भी उसमे कुछ नया होना चाहिये - बुक्स आर गुड बट आई वांट मोर
अँग्रेजी का जल्दी समझ आता है , मराठी कम और हिंदी तो एकदम बम्बईया है पर दिन भर मस्ती, उछल कूद के बाद रात को 12 बजे तक जाग कर अपना केक काटना था "नाईट ड्रेस" में फिर कल और बड़ा केक काटेंगे नए कपड़े पहनकर , छोटी सिस्टर सो गई है [मतलब मेरी लाड़ो शताक्षी ] तो उसके साथ भी तो काटना पड़ेगा ना
बहरहाल , शरविल हमारी विरासत का अभी सबसे बड़ा बच्चा है और हम सबके प्राण इसमें बसते है - खूब जियें, ख़ुश रहें और अपने हिसाब से जीवन जीते हुए अच्छा इंसान बनें
बहुत आशीष, दुआएँ और प्यार हमारी इस जीवन रेखा को - अब जो कुछ है सब इन बच्चों का ही है इन्ही के लिए जीना और करना है सब
रात 12 बजे अपने डैडा की गोद में बैठकर केक काटा आखिर और हम सबको खिलाया
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|| श्रीराम चन्द्र कृपालु भजमन ||
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सहृदय, सहज, लोकमत को मानने वाले, जनता को सर्वोपरि रखने वाले, प्रेमी, अनुरागी और समय अनुसार चलने वाले निश्छल प्रभु श्रीराम की आज जयन्ति है
वे एक रोल मॉडल है और सभी राम के चरित्र को लिखने वालों ने उन्हें मानवीय बताया है - ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम की आज जयन्ति है, जिसे हम राम नवमी से जानते है
वे जन - जन में बसे है , सौम्यता और भक्ति के साथ, वे जोड़ते है - वे केवट, शबरी, जामुवन्त, अहिल्या, गौतम, रावण, विभीषण, धोबी या कैकेयी जैसी माता को भी, वे आज्ञापालक है वे निर्मल हृदय वाले हनुमान के भी आराध्य है और प्रजा के अंतिम छोर पर खड़े आदमी के भी है, उनका भय भी प्रेम से परिपूर्ण है, वे सज़ा भी देते है तो उद्धार करने को, वे अहिल्या के भी मुक्तिदाता है और सीता के भी, वे लक्ष्मण को भी उतना ही प्यार देते है - जितना भरत या रावण के दूत को, वे मानवता से कष्ट मिटाने को अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते है और अपना घर - परिवार भी, वे निर्मोही है धन संपत्ति से दूर, ऐषणा से परे और सम्यक जीवन दृष्टि रखने वाले शूरवीर है
राम का इस देश की संस्कृति में उतना ही महत्व है - जितना जल , जमीन , हवा अग्नि और आसमान का और इस पवित्रता को कोई भी अपने क्षुद्र स्वार्थ के लिए मिटाने का प्रयास करें, राम का क्रोधित मुखमंडल गाँठ कर लोगों को बांटने का प्रयास करें - वह सम्भव नही है ; अस्तु वे सबके है, वे आलीशान और भव्य मंदिर में नही - हर जर्रे जर्रे में बसे है, वे सबके दिल में है तभी हम राम - राम और जै रामजी की कहकर एक दूसरे से मिलते है
हमारी संस्कृति, तहज़ीब और परम्परा के वे आदर्श है और अनंत काल तक रहेंगे, हमें राम की उपासना करने के लिए किसी सत्ता लोलुप और अधर्मी से ना प्रमाणपत्र लेना है और ना सीखने की जरुरत है , बस राम नाम ही डाकू को वाल्मीकि बना देता है - मन में श्रद्धा हो , यही पर्याप्त है तभी विभिन्न भाषाओं में लिखा उनका जीवन चरित्र इतना वृहद और पहाड़नुमा है कि कोई दुष्ट आजतक उसके बराबर ना लिख पाया ना व्याख्या कर पाया
देवताओं को इस्तेमाल करने वाले घाघ और पापी आते जाते रहते है पर जो हमारी साझी विरासत और गंगा जमनी तहज़ीब है उसे कोई नही मिटा सकते है - धैर्य रखिए यह भी गुज़र जाएगा - आततायी हमेंशा के लिए नही रहते, राम ने सबकी सुनी और कभी किसी को कुछ बोलने या करने से रोका नही तभी वे आदर्श राजा है महलों में रहने वाले सच्चे त्यागी और निष्कलंक व्यक्तित्व के धनी
श्रीराम नवमी की सबको शुभकामनाएं - स्नेह और रिश्तों की मिठास बनी रहें
जय श्रीराम
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