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Kuchh Rang Pyar ke - Posts of 20 to 24 Dec 2021

 मप्र में रात्रिकालीन कर्फ़्यू

ओमिक्रोन भी डेल्टा वेरियंट जैसा है कि रात 11 से सुबह 5 तक आराम करेगा
ये कहो कि 25 दिसम्बर की खुशियाँ मनाते समुदाय विशेष के लोग बर्दाश्त नही और 31 दिसम्बर को नियंत्रण करने लायक व्यवस्था नही
बाकी तो सब खेल सबको समझते हैं - 18 साल में तुम्हारी नस - नस से वाकिफ हो गए कुटिल धृतराष्ट्र
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प्लाट, बीमा, गृह उद्योग के सामान (मसलन - अनाज, राशन , पापड़, बड़ी, अचार, मसाले, नमक, तेल आदि ), कपड़े, कार का सामान, जूते - चप्पल से लेकर नख शिख के श्रृंगार की सामग्री, मकान दुकान और स्टेशनरी, आयुर्वेदिक से लेकर एलोपैथिक दवाएं, किताबें, साहित्य, हर तरह की जाँच कैग हो या टट्टी -पेशाब की, यानी अमीबा से लेकर डायनासौर तक की हर तरह की सामग्री घर आ रही है - हर बार दरवाजा कोई खड़काता है और मना करना पड़ता है उस बेचनेवाले को हममें एक सम्भावित ग्राहक नज़र आता है बोले तो "Prospective Customer" -कितना भयानक समय है जब इंसान एक उपभोक्ता में तब्दील कर दिया गया है और हम सब इस पागलपन में शामिल है
प्यार - मोहब्बतें, वफ़ा - बेवफ़ाई से लेकर हर तरह की भावनाएं भी इस बेचने खरीदने के क्रम में पूरी बेहयाई एवं शिद्दत से शामिल है
आवाज़ों के शोर में जिसमे ढोल, ताशे, भोंगे, भजन, अजान, घड़ियाल, शबद और बारातें तो है ही, पर यह पूरी दुनिया को बेचने की पुरज़ोर कोशिशें और हरेक को हर माल का उपभोक्ता बनाते ये लोग खुद दुष्चक्र रचकर इस सबमें फंसे हुए है
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कल से भोपाल हूँ, दिन भर काम और शाम को Kartik Abhas बाबू का आतिथ्य, अबकी बार नही आता तो जीवनभर की दोस्ती कट्टर दुश्मनी में बदल जाती, भला हो Javed का जो ले आये यहां मुझे लादकर
यहां तो आश्चर्यों की सौगात थी - Devesh N और किरण मलेशिया से आकर वर्क फ्रॉम होम कर रहें है, दो दिन पहले Gaurav Chatterjee और मेघा भी सिंगापुर से आये है, Upasana Behar से मिलना हर बार नए काम और क्षितिजों की संभावना होता ही है , कार्तिक का घर आबाद है फूलों से, दोस्तों से और अक्षत ऊर्जा से - भगवान करें ये बना रहे यूँही
फिर क्या था देर रात तक गप्प होती रही, 1987 - 88 के अबोध बच्चे बड्डे हो गए शादी ब्याह हो गये सबके और अब बोले तो बड़े काम कर रहें है विदेशों में , मजा आ गया
देर रात सोया, सुबह याद आया कि रजाई शॉल के ऊपर भी कोई कम्बल ओढ़ा गया है आहिस्ते से - कौन होगा कार्तिक के अलावा
साले दोस्तों ने ही ज़िंदा रखा वरना अपुन तो आज भी एकदम फालतू आदमी है
कार्तिक बाबू जिन्दाबाद, लम्बा लिखूँगा अभी बस इतना कि भरपूर ठंड में दोस्ती स्नेह और ममत्व की यह उष्णता बनी रहें
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