Skip to main content

Khari Khari HC on COW, Price Hikes - Posts of 2 Sept 2021

न्यायपालिका का दिमाग़ और इनमें बैठे माननीय जजों को गाय, भैंस और लव जेहाद के अलावा कुछ दिखता हैं या नही, लोगों को जीना मुश्किल हो रहा है - अन्न के एक एक दाने के लिए लोग तरस रहें है और ये सफेद हाथी गाय, गौमूत्र, गोबर में ही उलझे है

इलाहाबाद हाईकोर्ट के विद्वान न्यायमूर्ति शेखर यादव की टिप्पणी और सुझाव विशुद्ध राजनीति से पीड़ित है ; या तो उन्होंने किसी राजनैतिक दबाव में बात कही है या फिर वो समाज की क्रूर सच्चाई, गरीबी, भुखमरी और रोज बढ़ती महंगाई से अनजान है और कोर्ट रूम और बंगले के अलावा उन्हें कुछ मालूम नही है या फिर रिटायर्डमेंट के बाद अपना जातिगत पैतृक व्यवसाय करने का इरादा रखते है
इन्हें जनहित की याचिकाओं को ख़ारिज करने में मजा आता है - जहाँ बेबस लोगों या पर्यावरण या जल - जंगल - जमीन या शिक्षा - स्वास्थ्य - रोज़गार की बात होती है, पर ऐसे राजनैतिक मुद्दों पर बात करने में बहुत मजा भी आता है और इनके पास समय भी है - इको सिस्टम में हर स्तर पर हर प्राणी का महत्व है यह बुनियादी समझ तो होगी ही यादव जी की, फिर एक मात्र प्राणी पर दया क्यों बजाय इसके वो कहते कि एक भी नवजात की या गर्भवती महिला की मृत्यु जिस भी जिले में होगी - वहाँ के कलेक्टर, विधायक और सांसद को आजीवन कारावास की सजा दी जाए या जहाँ कोई युवा बेरोजगार होगा या कोई किसान आत्महत्या करेगा - वहां के शासन प्रशासन को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाएगी
पर यह बोलने की हिम्मत इनकी हाई कोर्ट में बैठकर भी नही हो रही ना, और फिर गोगोई ने राज्यसभा का रास्ता दिखाकर इन सबको बावरा कर दिया है - लिहाज़ा सत्ता की भाषा बोलने में सिद्धहस्त हो गए है - एकदम निष्णात और पारंगत
बेहद दुखद
***
इसका ब्याह होता और घर चलाना पड़ता तब समझ आती, जिंदगी भर दूसरों के घरों में झाँक - झाँककर खाया, बाद में मलाई लगी मशरूम की रोटी तो ये क्या जाने गैस और तेल नून का भाव, आग लगे ऐसी सरकार को - मरेगा तो तो कीड़े पड़ेंगे - कीड़े, घर में लड़के की नौकरी छूट गई क्या करूँ , कैसे खिलाऊँ ऊपर से ये निकम्मी सरकार रोज भाव बढ़ा रही है - अब तो जहर ही खाना पड़ेगा और कुछ बचा ही नही है
[ मुम्बई में एक काम वाली बाई की पीड़ा - आज पुनः गैस रीफिल के ₹ 25/- बढ़ गए, अब टँकी 990/- है ]
क्या यह सामूहिक पीड़ा है समाज की ?

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही