देवास के जिला विधि महाविद्यालय में एलएलएम का पाठ्यक्रम आरंभ हो रहा है, जिन लोगों को लिखना - पढ़ना नहीं आता, अंग्रेजी तो बहुत दूर हिंदी का एक वाक्य सही नही लिख सकते, प्रवेश फार्म भरना नही आता, जिन्हें कानून और राजनीति की बेसिक समझ नहीं है वे "मास्टर ऑफ लॉ" करने के मंसूबे पाल रहें है, कानून की बहुत समझ मेरी भी नही बनी, दो साल कोविड ने बर्बाद कर दिए - कोर्ट में जितना जाना था जा नही पायें पर घर बैठकर लोग बाग गुलाब जामुन खा गए और 60 से 70 % लेकर बैठे है आज
रोते झीकते और कोरोना देव की मेहरबानी से घर बैठकर जिन्होंने एलएलबी पूरा कर लिया - वे लोग एलएलएम करने आ रहे हैं - खास करके बहुत सारी लड़कियां - ध्यान रहें "यह पोस्ट लड़कियों के विरोध में नहीं है उनकी उच्च शिक्षा के विरोध में नहीं है"
3 - 4 विषयों में एमए कर लिया, बीएड कर लिया, एमएड कर लिया, मानव अधिकार में डिप्लोमा कर लिया, फिर भी शादी नही हो रही, एलएलबी भी कर लिया और अब एलएलएम करना है - जबकि इनकी समझ की हालत यह है कि ना लिखना आता है, ना आदेश समझते है - कोर्ट के नही विश्व विद्यालय के सामान्य अनुदेश भी नही समझते, और तो और सामान्य हिंदी भी नही आती, बाकी तो छोड़ ही दो और यही हाल कमोबेश लड़कों का भी है
एक आज बोल रही थी - "राहुल गांधी को भी भाजपा सीट दे दें तो जीत जाएगा दिल्ली से ही"
एक गम्भीर नोट पर अपनी बात खत्म करता हूँ कि उच्च शिक्षा की देह मृत्यु के बाद इतनी सड़ गई है कि अब ना जला सकते है और ना दफ़ना सकते है इतना पतन हो चुका है कि लिखने - कहने में भी शर्म आती है
मेरा फार्म वेरिफिकेशन के लिए स्थानीय गर्ल्स डिग्री कालेज की एक महिला प्राध्यापिका के पास गया था - उसने आपत्ति ली कि बारहवीं पास नही हूँ मैं, मैंने समझाया कि हे माते 1983 में ग्यारहवीं बोर्ड था पर वो कहने लगी जब तक आप बारहवीं पास नही करते आप योग्य नही है, उस विदुषी को समझाया कि 10 + 2 + 3 की शिक्षा पद्धति 1986 से लागू हुई थी, पर वो कहने लगी कि हम सब यह नही मानते आपको बारहवीं करना ही होगा, फिर कहने लगी कि आपका फोटो ब्लर है - मैंने कहा "माते मुझे मेट्रोमोनियल में फोटो नहीं देना है, ना shaadi.com पर यह सिर्फ फॉर्म पर चिपका रहेगा - एक सबूत के रूप में, आप क्यों मेरा जीवन बर्बाद करने पर तुली हुई हैं" - मेरे लाख मन्नत करने पर भी वह नहीं मानी, बहरहाल क्या किया जा सकता है - ऐसे नगीनों का और वह भी पीएचडी है, आज की तारीख में दो लाख के करीब तनख्वाह उठाती है और उच्च शिक्षा विभाग में राष्ट्रपत्रित अधिकारी है - धन्य है ऐसे शिक्षाविद
अब आत्महत्या कर लूं क्या, उच्च शिक्षा में प्राध्यापक भी नगीने भर्ती हुए है 2018 - 19 में
***
पिछले पूरे वर्ष इनकम टैक्स विभाग ने रिफंड बहुत देरी से लौटाया और मेरे भतीजे का तो आज तक नहीं आया है. सालभर यह टेप सुनाया गया कि अगले वर्ष से नया सॉफ्ट वेयर आयेगा जो तीन दिन में ही रिफंड लौटा देगा, परन्तु अभी 31 अगस्त को रिटर्न भरा, वेरीफाई भी हो गया परन्तु रिफंड नहीं आया, जब हेल्प लाईन पर पूछा तो वही जवाब कि प्रोसेसिंग में है
अरे जब नहीं कर सकते तो काहे को बकचक करते हो, शेखी ही बघारते हो, साईट का कोई ठिकाना नहीं - पता नही किस गधे से बनवाई है और बाकी तो राम ही जाने, दया आती है बापडे चार्टेड अकाउंटेंटस पर जो माथा खपा रहें है पर बोलेंगे क्या
ये माताजी जब से आई है - सहजयोगिनी, तब से और गड़बड़ हो गई है वित्त मंत्रालय से लेकर आयकर विभाग में
***
Comments