ज़िम्मेदार पिता, पति और उच्चाधिकारी, मुम्बई जैसे शहर में महज़ दस वर्ष के भीतर पढ़ाई पूरी करके नौकरी में सेटल हो जाना, अपना मकान कर लेना कोई सहज नही है पर यह सब तब सम्भव है जब होशियारी, व्यवहारिकता, मैनेजमेंट और दूरदृष्टि आपके जीवन में हो, सबको साथ लेकर चलना और वहाँ रहकर भी पूरे कुनबे से रिश्ते निभाकर चलना भी एक बड़ा मानवीय गुण है
हमारी अगली पीढ़ी के हीरो Siddharth Naik आज 31 के पूरे हो गए है लगता है कल की बात है जब देवास में पैदा हुए और हम सब लोगों में उत्साह था, लाड़ - प्यार में पले बढ़े और सब कुछ हासिल किया और आज मुक़ाम पर है, आज स्थिति यह है कि हम हर तरह के निर्णय के लिए उसकी निजी राय की ओर देखते है, रोज बात नही कर पाने का रंजो गम रहता है क्योंकि बच्चे जब बड़े पदों पर चले जाते है तो भाग दौड़ बढ़ जाती है और एक एक मिनिट निकालना भी मुश्किल हो जाता है पर जब भी समय मिलता है खूब बातें होती है और बदलती दुनिया की समझ बनाता हूँ
यश कीर्ति बनी रहें, खूब तरक्की करो और ऐसे ही सहज बने रहो बेटू
स्नेह, दुआएँ और स्वस्तिकामनाएँ
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