Skip to main content

Post of 6 Jan 2021

 पेंसिलवेनिया में घुसते ही यूँ होता है स्वागत



" Pursue Your Happiness" - मानो आपकी ख़ुशियों का ठिकाना हो कोई
और अपने यहां लिखा होता है
● इंदौर थाना सीमा आरम्भ, इंदौर पुलिस आपका स्वागत करती है - देवास कोतवाली सीमा समाप्त
● उज्जैन धार्मिक नगरी है शराब पीना मना है
● रांड, सांड, साधु - सन्यासी से बचे तो काशी पावै
● मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में है (अब भगवान जाने किसने लिखा था, जोगी तो तब ना रहे होंगे)
● जेबकतरों से सावधान , यात्री अपने सामान की रक्षा स्वयं करें
● हरदोई की नगर सीमा में प्रवेश करते समय ध्यान दें नील गाय से आपके वाहन को क्षति हो सकती है और प्रशासन इसकी जिम्मेदारी नही लेगा
● नदी किनारे ना घूमें पुलिस पकड़ सकती है और जुर्माना देना पड़ सकता है
● आगे खतरनाक मोड़ है, दुर्घटना हो सकती है, सुरक्षित रहें
● पुलिस हेल्प लाइन 100
● पेड़ पत्तियों को तोड़ना कानूनी अपराध है, वन कानून के अनुसार आपको सजा हो सकती है
● आगे फाटक विहीन पटरी है रेल गुजरने पर दुर्घटना हो सकती है
● पुल संकरा और कमजोर है, दुर्घटना होने की संभावना है
● आगे सड़क कमजोर है, नदी का पानी होने पर गाड़ी ना निकालें, मृत्यु हो सकती हैं
और अंत में सरपंच, पार्षद, विधायक, सांसद, और फिर अपने गोलू, मोलू, टॉमी, शेरू, कालू, पीलू, के बड़े बड़े कट आउट लगे ही होते है इन सबसे बचकर मुकाम पर पहुंच गए तो - कहां तक बचोगे बेट्टा
😂🤣😂🤣😂🤣😜😜😜😜
चित्र सौजन्य -
आशीष मिश्र
[ ये सारे टैग्स मैंने खुद देखें पढ़े है, on a serious note - हम हमेशा लोगों को डर ख़ौफ़ और आतंक के साये में ही रखना जानते है और ये सब सरकार प्रायोजित स्लोगन है जो हर जगह दिख जाएंगे , कड़वा है पर सच है - अफसोस ]

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही