टीवी रामायण का तो पता नहीं, तुलसीकृत मानस मेें राम जरूर कहते हैं - " जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, ते नृपु अवसि नरक अधिकारी " *** कबीरा सोई पीर है - जो जाने पर पीर ◆◆◆ हम पीड़ाओं के सामूहिक शिकार है - एक भद्दे लोकतंत्र और आवारा मौलिक अधिकारों के पीछे के बदरंग चेहरों को पहचान नही पा रहें है - संविधान में निहित और वर्णित कर्तव्यों को और नीति निर्देशक तत्वों को भी कड़ाई से लागू नही करवाया जाता - तब तक यह बेख़ौफ़ आवारापन बना रहेगा देश में अपने आसपास देखिये कितने लोग है जो सरकारी सेवा में है और इस समय जरुरी सेवाओं में व्यस्त है या ड्यूटी कर रहें है छोटे से छोटे जिले की आबादी 3 से 4 लाख तो होगी, जनसँख्या विस्फोट की अभी बात करना बेमानी है, पर इस 3 या 4 जनसँख्या के लिए कितने डॉक्टर्स है, पुलिसकर्मी है और प्रशासन के लोग है -यह सँख्या औसत के हिसाब से भी निकालेंगे तो न्यून या नगण्य होगी एक हम है कि उत्पात मचाये हुए है नाक में दम कर दिया है, घूमना है, खरीदी करना है, जन्मदिन मनाने है , कर्फ्यू देखना है, भजन करना है सुंदर कांड करने है , जुम्मे की नमाज पढ़ना है, चर्च की प्...
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