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Elections 2019 April end and May First Week

Apurva Bharadwaj ने याद दिलाया कि यहां हम सब अपने बच्चों के प्रतिशत को लेकर उचक कर उनकी प्रतिभा दर्शा रहें है , खुद क्रेडिट ले रहे है, बधाईयां ले दे रहें है मुफ्त में
और उधर निकम्मे, अनपढ़ और गधों को अपना और अपने देश का भविष्य सौंप रहें है और गधों ने देश की वाट लगा रखी है जाहिल गंवार मन मर्जी से नोट बन्द कर टैक्स थोपकर अंधविश्वासों से 138 करोड़ लोगों को मजे से बेवकूफ बनाकर अपने लोगों को रेवड़ी बांटकर स्वयम्भू महान बन रहे हैं
ये ही 100 % से लेकर 80% वाले आपके बच्चों को बेरोजगार बनाकर छोड़ेंगे और एक दिन वे जुलूस में या तो मारे जाएंगे इन कमीनों की राजनीति में या कुंठा ग्रस्त होकर आत्महत्या कर लेंगे या किसी अरब देश मे मजदूरी करेंगे या कनाडा अमेरिका जाकर बटन पुशर बन जाएंगे टेक्नो मजदूर और आप घर मे अकेले मरने के लिए अभिशप्त हो जाएंगे और मुखाग्नि भी नगर निगम का आदमी देगा - सोच लेना एक बार
एक बार देश के प्रमुख से लेकर अपने उम्मीदवारों की मार्कशीट, डिग्री देख लें फिर यहाँ बच्चों के बैंड बाजे बजाना
[ कड़ी भाषा के लिए मुआफी पर इसके बिना समझ भी नही आएगा ]
***
दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।

दृग हो तो दृश्य अकांड देख
मुझ में सारा ब्रह्मांड देख

जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।

***
अगर उप्र में महामात्य की सीटें कम आई या निपट गए और गोरखपुर में गवैये को भीख ना मिलीं तो क्या योगी का तिया पांचा होगा और हटाकर चुनाव होंगे तुरंत
स्मृति को पता नही कल कौन एक बुज़ुर्ग मिल गई, पगला गई और बूथ कैप्चरिंग का आरोप लगा बैठी
गौर से देखते तो उसे आंखों से कुछ दिखता नही होगा, मानसिक विक्षप्त भी लग रही थी, पता नही क्या हुआ - इतने बड़े अमेठी क्षेत्र में यही मिली
अरे पीठासीन ने हाथ पकड़कर मदद की होगी, मशीन पर जाकर समझाया होगा और बुढ़िया बाहर आकर बिदक गई और ये पगली चिल्लाने लगी दिन भर घूमती रही चिन्दी लेकर
उधर मामू मान सम्मान पर उतर आया, अबे रोजगार की बात कर दो हफ्ते में बेरोजगार हो जाएगा , 370, 15 लाख, कश्मीरी पंडित, मन्दिर, एक के बदले दस सिर सब भूल गया - स्मार्ट सीटी, विकास सब भूल गया, एक शब्द नही बोला जीएसटी, नोटबन्दी या अपने कुकर्मों के बारे में
घटियापन जारी है ममता ने सही जवाब दिया कि जा तुझे नही मानती सेवक - फोन पे बात करके क्या समय बर्बाद करना, स्मृति से लेकर सब कुंठित और भयानक हताशा में है इसलिये अब उच्च घटियापन पर उतर आए हैं
ये घटिया लोग माफ करने लायक नही और स्मृति - फर्जी येल, फर्जी बीए तू तो गई पूरे देश में सास भी बहू थी के नाम पर परिवारों में विष घोल ही चुकी है - तू तो एकता कपूर जैसे निदेशकों से ही बस में आ जाती है वो तो फिर भी तानाशाह है बोलेगा नाच मेरी बुलबुल तुझे पैसा मिलेगा तो नाचेगी ही ( भाषा की इस धृतष्टता के लिए अग्रिम माफी)
***
देवास शाजापुर संसदीय सीट की आठों विधानसभा क्षेत्र में कंजर या वीर भारतीय समुदाय की बड़ी आबादी है
आज टोंकखुर्द के चिड़ावद क्षेत्र में बातचीत कर रहा था तो वहाँ इस समुदाय के लोगों ने बताया कि अकेले इस गांव से चार हजार लोग राधा स्वामी सत्संग जो पंजाब में 12 से 26 मई तक होगा , के लिए 10 मई को निकल जाएंगे और 28 मई को लौटेंगे, पूरे तहसील से करीब बीस हजार के करीब लोग और देवास, सोनकच्छ, आष्टा, हाटपीपल्या, आगर, आदि विधानसभाओं से लगभग एक लाख लोग वहाँ जाएंगे
यह बहुत बड़ा नुकसान होगा दोनो पार्टियों के लिए , क्या प्रशासन के पास कोई कारगर नीति या तकनीक है जो इनके इस पुण्य और मोक्ष पाने की उत्कट अभिलाषा को रोक सकें
क्यों ना राधा स्वामी वालों को आगे बढाने के लिए कहा जाएं या इन्हें समझाया जाएं , वरना नेट वोटिंग नही, और जो है वो भी जा रहें है
है कोई विकल्प
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मित्र Himanshu Pandya की यह पोस्ट पढ़कर मोदी को मुआफ़ कर दिया और यह तय किया कि हिंसक व्यक्तियों को माफ करने से बड़ी बात हो नही सकती, एक व्यक्ति की भाषा के और विचारों के लिए मैं अपने संस्कार तो नही ओछे कर सकता और फिर किसी को माफ करने के लिए बहादुरी और बड़ा कलेजा चाहिये - इससे अच्छी बात हो नही सकती
दोनो कहानियों से वाकिफ था पर नये संदर्भों में ये कहानियाँ बहुत ही जरूरी है , आप भी पढ़िए और हिंसक और अधकचरे लोगों को माफ कर दें
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18 अक्टूबर, 2008 को प्रियंका गांधी नलिनी से मिलने जेल गयीं. नलिनी राजीव गांधी की हत्या के मुख्य षड्यंत्रकर्ताओं में से एकमात्र जीवित व्यक्ति हैं. गिरफ्तारी/मुकदमे के दौरान वह गर्भवती थीं. सोनिया गाँधी ने लिखित में उनकी फाँसी की प्रदत्त सज़ा को उम्र क़ैद में बदल देने की गुज़ारिश की ताकि उनकी बच्ची माँ के पालन पोषण से वंचित न हो
बहरहाल, सत्रह साल बीत जाने के बावजूद नलिनी को बिल्कुल अपेक्षा नहीं थी कि उनसे राजीव के परिवार का कोई व्यक्ति मिलने आ सकता है. वे अवाक रह गयीं. प्रियंका ने उनसे कहा, "मेरे पिता अच्छे आदमी थे. वे एक नर्मदिल इंसान थे. ( उनके साथ ) ऐसा क्यों किया ? जो भी मसला था क्या बातचीत से नहीं सुलझाया जा सकता था ?"
इतना बोलकर प्रियंका फूटफूटकर रो पड़ीं. नलिनी भी रो पड़ी. इस रुदन में बहुत सारा जमा हुआ कुछ निकलकर बह गया. दोनों के भीतर से
गाँधी परिवार ने नलिनी की उम्र क़ैद को भी पर्याप्त मानते हुए अपनी ओर से उन्हें रिहा करने के लिए अनापत्ति दे दी है. अब यह राज्य सरकार को तय करना है
याद आता है कि ग्राहम स्टेंस की पत्नी ग्लैडिस स्टेंस ने भी दारा सिंह की फाँसी के बाद लिखकर कहा था कि उन्होंने हत्यारों को माफ़ कर दिया है और उनके मन में किसी के लिए कोई कड़वाहट नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने दारा सिंह की फाँसी की सज़ा को भी उम्र क़ैद में बदल दिया. आपको पता होगा कि बजरंग दल के दारा सिंह की अगुवाई में भीड़ ने फादर ग्रैहम स्टेंस और उनके दो बच्चों - दस वर्षीय फिलिप और सात वर्षीय टिमोथी -तीनों को 22-23 जनवरी,1999 की रात ज़िंदा जला दिया था
ग्लैडिस ने तय किया कि वे उस मुल्क को छोड़कर नहीं जाएंगी जिसे उनके पति तीस साल से अपनी कर्मभूमि बनाया हुआ था. तमाम नफरतों को दरकिनार करते हुए वे पूर्ववत ओडिशा के आदिवासी अंचल में अपनी बेटी के साथ मिलकर कुष्ठ रोगियों की सेवा करती रहीं
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नफ़रत की उम्र छोटी होती है. मोहब्बत की कहानियाँ आने वाली पीढियां याद रखती हैं
ये कहानियां भी बार बार दोहराने लायक, सुनाने लायक, याद रखने लायक कहानियाँ हैं
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बेहद जरूरी पोस्ट जो आज बहुत वाइरल हुई है ....
ये कैसे वाहियात आदमी को हमने अपने देश का प्रतिनिधि चुन लिया, मैं खुद में शर्मिन्दा हूँ । की मैं आज ऐसे लोकतांत्रिक देश में रह रहा हूँ जहां एक बेहूदा और मक्कार आदमी सब पर अपने ज़हरीले फन को फैला कर बैठा है... कोई विपक्ष नहीं, कोई संवैधानिक संस्था नहीं, कोई पत्रकारिता नहीं जैसे सभी ने डूब कर आत्मदाह कर लिया हो ।
एक 138 करोड़ जनसंख्या वाले देश में एक व्यक्ति जिसका आजादी या विकास में ना योगदान है ना उसकी विचारधारा का - वो घटिया और संकीर्ण मानसिकता से देश के विकास में लगे और देश के लिए शहीद के लिए ऐसा बयान देता है जिसे विश्व इतिहास में सबसे घटिया नज़ीर माना जायेगा - इसके कर्म सच में अब इंतज़ार कर रहें है, कुपढ़ और अनपढ़ों को सत्ता सौपेंगे तो यही होगा
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1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी जाती है. 40 साल के राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनते हैं.
21 मई 1991, राजीव गांधी 46 साल के थे. और उन्हें बम से तमिलनाडु में उड़ा दिया जाता है.
2019 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के लिए जान देने वाले 46 साल के स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के लिये कहते हैं, 'तुम्हारा बाप भ्रष्टाचारी नंबर वन होकर मरा'
आपको दुख नहीं होता ? आपको अफसोस नहीं होता ? आप इसे आम मानते हो.
मर चुके प्रधानमंत्री को लेकर इतने बड़े देश का प्रधानमंत्री ऐसा बयान देता है. और उस बयान को नॉर्मल बना दिया जाता है.
दिल्ली के सीएम को कोई आवारा गाड़ी पर चढ़कर थप्पड़ मार देता है. बार-बार यही होता है. और आपको दुख नहीं होता ? अफसोस नहीं होता ?
आप उस पर चुटकले बनाते हो. हंसते हो. उनका वाला पिटा. हमारा वाला नहीं. इस देश की ये संस्कृति, ऐसे संस्कार कभी नहीं रहे. और राजनीतिक संस्कृति तो ऐसी कभी रही ही नहीं.
अटल जी ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि मैं राजीव गांधी की वजह से जिंदा हूं. नेहरू ने सार्वजनिक तौर पर अटल जी की तारीफ की. सरदार पटेल ने नेहरू को अपना नेता माना.
गांधी के कहने पर पीएम के पद के लिए चूं नहीं की. घोर आलोचक होने के बावजूद लोहिया ने नेहरू के लिए ऐसा कभी नहीं कहा.
चीन से युद्ध हारने के बाद भी संघ के नेताओं ने नेहरू को कायर कभी नहीं कहा. अब मर चुके नेहरू के लिए आपने पिछले 5 साल में क्या-क्या नहीं बोला. नेहरू की आत्मा तक को निचोड़ लिया.
तो अब राजीव का नंबर. ये कैसी राजनीतिक संस्कृति हम विकसित कर रहे हैं. और लोग हंस रहे हैं.
संवेदनशीलता नहीं दिखा सकते तो मूर्खता का प्रदर्शन तो मत करिये.
यही देश है जो इंदिरा की मौत पर बिलख रहा था. गांव-गांव में लोग मुंडन करा रहे थे. तेरहवीं कर रहे थे.
यही देश है जो नेहरू की मौत के बाद पूछ रहा था अब हमारा क्या होगा ? दुनिया सवाल कर रही थी भारत बिखर जाएगा ? यही देश है जो नेहरू की मौत पर लिख रहा था- अब कौन.
यही देश है जो राजीव की मौत के बाद सुन्न हो गया था. और अब इसी देश को उनकी मौत का मजाक बनाते चुटकले फॉरवर्ड करने में शर्म नहीं आती.
मरने के बाद तो दुश्मन के लिए भी गलत शब्द नहीं निकलते. हम ऐसे कब से बन गए ? सवाल सिर्फ मोदी का नहीं है. सवाल किसी एक थप्पड़ का भी नहीं है.
सवाल हमारी अपनी संस्कृति और पहचान का है. बड़े-बड़े पत्रकार केजरीवाल को लेकर चुटकले बना रहे हैं.
शर्म है. धिक्कार है. तुम्हारे ज्ञान पर. तुम्हारी सोच पर. तुम्हारे होने पर. सच कहता हूं अगली बार से ऐसा कुछ करो तो अपने घर में रखी किताबों को और अपने बुजुर्गों की यादों को आग लगा देना.
तुम ऐसा बनोगे उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा.
Chaman Mishra

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अब तो मान लीजिए कि जाते जाते ये दोनों विहिप, बजरंग दल, सरस्वती शिक्षा प्रतिष्ठान, वनवासी कल्याण परिषद और महान ऐतिहासिक सांस्कृतिक संगठन रा स्व से संघ भी खत्म करके जा रहें है
क्यों अनुशासित सुमित्रा जी, सुषमा जी, धार्मिक उमा जी या पीयूष गोयल, आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, गोविंदाचार्य , अटलजी, भागवत जी या अन्य कोई नज़र नही आये गत 5 वर्षों में या इन्हें विदा कहकर अलग हो गए - ये जनसंघ से लेकर भाजपा तक को निगल गए व्यक्तिगत महत्वकांक्षा के लिए - अब जो है गुलाम है चापलूस और भ्रष्ट शेष है
राजीव गांधी पर टिप्पणी करते हुए भूल गए कि ये भी एक दिन उस कार्यालय की लिस्ट में सिर्फ दर्ज ही होंगे और खुदा ना करें किसी ने भविष्य में एक दिन कह दिया कि एक नम्बर का .... था अच्छा हुआ ....
यही भारतीयता है, केदारनाथ से लेकर विश्वनाथ के मंदिरों में बार बार जाकर यही आत्मसात किया , भूल गए कि पार्टी नही, गुजरात नही 138 करोड़ की जनता वाले विशाल देश की जनता के प्रधान हो, विश्व के नेता कहलाते हो, इतनी गन्दगी है तुम्हारे भीतर - छी
तुम्हारी माँ को क्या लगेगा, तुम्हे अभी सूतक है भाभी मरी है नौ दिन भी नही हुए और यह भाषा
शर्म भी नही है , अरे राहुल, प्रियंका तुम्हारी औलादों के जैसे है उदार बनते, पर अपने एकाध भी पैदा करते तो समझ आता , समानुभूति होती - उज्जड लठैतो और गंवारों के बीच 35 साल भीख मांगी और उन्हीं के बीच रहकर कितने नीचे गिर गए हो - एक इंसान भी नही - आज से सारा सम्मान जो व्यक्ति या प्रधान के रूप में था खत्म हो गया, विचारों का विरोधी था पर अब व्यक्ति के रूप में भी तुम घटिया हो
***
स्वर्गीय राजीव गांधी के लिए ये निम्न स्तर की भाषा....
" एक नम्बर का भ्रष्टाचारी था , मारा गया "। 
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छिछोरे और घटिया व्यक्ति से कोई उम्मीद नही और शालीन लोगों का इससे अच्छा बयान और जवाब नही हो सकता
कहा गया है ना क्षमा बड़न को चाहिये छोटन को अपराध
मणिशंकर अय्यर ने कुछ भी गलत नही कहा था इनके लिए ; हताशा, कुंठा और अपराध बोध में चेहरे का कालिख , मन का ओछापन और अपढ़ - कुपढ होने और गली मुहल्ले के सड़कछाप लोगों की हरकतें चुनाव के बहाने सामने आ गई है
ना अंग्रेजी आती है ना हिंदी - गालियों, और हिंसा से भरा हुआ दिमाग़ है - अब ये कही जायेंगें भी तो इनके भाषण, पाप इनके पहले पहुंच जाएंगे
जिस राहुल को पप्पू कहकर बदनाम किया उसका जवाब पढ़ लीजिये एक बार - फिर सोचिए कि किन ओछे लोगों को वोट करने जा रहें है आप और अपने स्थानीय उम्मीदवार को भी टटोल लीजिये कही वो इनसे दो कदम आगे तो नही और कल आपके घर मे घुस आए और बदतमीजी करने लगें
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ट्वीट का हिंदी अनुवाद
“मोदीजी, लड़ाई खत्म हो चुकी है. आपके कर्म आपका इंतजार कर रहे हैं. खुद के बारे में अपनी आंतरिक सोच को मेरे पिता पर थोपना भी आपको नहीं बचा पाएगा - सप्रेम”
[ अनुवाद सौजन्य Guru Sharan Sachdev जी ]
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जिसे भाषा, तर्क और अंग्रेजी ना आती हो वो यहां अपना गोबर ना उंडेलें
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सुधीर और रजत शर्मा पत्रकारिता के नाम पर वैश्या से गए गुजरे नालायक इंसान है सही कहा था शब्द Presstitutes
ये जिस दिन सड़क पर लोगों को मिल गए तो जनता इन्हें नंगा करके उल्टा लटकायेगी और खड़ी लाल मिर्च की धूनी देगी , अफसोस कि कुछ मित्र मेरी लिस्ट में है जो इन कमीनों के साथ काम करते थे या है और घटियापन से पगे हुए है आजतक
ऊपर गलती से वेश्या लिख दिया, वो तो बहुत सम्मानित और मजबूरीवश काम करती है पर ये तीन नीच रजत, सुधीर और अर्नब के लिए गालियों से भी ज़्यादा शब्द नही और इनसे घटिया कोई नही 
रजत को अभी देखिये कितना गिरा हुआ इंसान है

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बेहतरीन और मौजूं लतीफा 
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" द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक व्यक्ति को लंदन में विंस्टन चर्चिल को" मूर्ख" कहने पर गिरफ़्तार कर लिया गया । अगले दिन " हाउस आफ़ कामन" में विपक्षी सद्स्य इस मामले पर सरकार की खिचाई के लिए तैयार होकर गए । वे चिल्लाए - क्या हम पुलिस राज में रह रहे है जहा हम प्रधानमंत्री को "मूर्ख" नही कह सकते ? चर्चिल का जवाब विपक्ष को लाजवाब करने वाला था " उस व्यक्ति को प्रधानमत्री को मूर्ख कहने के कारण गिरफ़्तार नही किया गया है ,बल्कि इसलिए गिरफ़्तार किया है कि यह बात सरकारी गोपनीयता थी जिसे उसने युद्ध के समय सार्वजनिक कर दिया "

सौजन्य - श्रीयुत Gopal Rathi जी
***
56 इंची औकात सामने आ गई
बनारस प्रशासन मूर्ख है जिसने तेजबहादुर का नामांकन रद्द किया
वही गुजरात नरसंहार के दोषियों को हर तरह की घटिया भाषा, धमकी और चाहे जो करने की छूट और सेना के जवान से नीचता पूर्ण कार्यवाही
कायर और वीभत्सता का नाच
इस बीच बहन प्रज्ञा असली देशभक्त साबित हुई जो रोज़ प्रवचन दे रही पर केंचुआ, कोर्ट और महामहिम राष्ट्रपति को कुछ समझ नही आ रहा है
केंचुआ, और सभी जिम्मेदार संस्थाएं आखिरकार नपुंसक साबित हुई
बेहद शर्मनाक , दलित - पिछड़ों और समझदार लोगों को चाहिये कि इन लोगों को ऐसा सबक सीखाएं कि सारी अकड़ भूल जाये
***
असली भारत वंशी देशभक्त हो तो लो असली ठोस सेना का जवान सामने है एक फर्जी, दंभी, नकली, गैर जिम्मेदार,बदला लेने वाले व्यक्ति के सामने
इस जवान ने इतना ही बोला था ना कि दाल में पानी है, जिस देश मे भ्रष्ट सेना सबसे ज्यादा बजट चट कर जाती है और अफसर से लेकर प्रधानमंत्री तक इस बंटवारे में शामिल होते हो - कफ़न, ताबूत, बोफोर्स या राफेल, वहां एक जवान जो सबसे ज्यादा पीसता है उसने चार दाल के दाने ही ज़्यादा मांगे थे ना पर इस मोदी सरकार ने व्यवस्था सुधारने के बजाय उसे नौकरी से निकाल दिया
देशवासियों कन्हैया हो या ये तेज बहादुर - भाजपा का फर्जी देश प्रेम उघड़कर सामने आ गया है, जिस गंगा की कसम खाकर यह दुनिया भर के निकम्मों को बुलाकर घाट का पानी पिलाता रहा अब इसे एक छोटे से व्यक्ति ने ललकारा है
हारना जीतना अलग बात है पर इतिहास याद रखेगा कि कैसे एक चींटी ने हाथी का दम्भ तोड़ने की हिम्मत की, और इनकी हिम्मत साक्षी महाराज या प्रज्ञा जैसे संविधान विरोधियों के सामने पस्त हो जाती है, इतने पढ़े लिखे भाजपाई है, संघी है पर जब बात आती है सत्ता की तो सारी समझ खत्म कर ये अपने असली मुद्दे पर आ जाते है
अब देशभक्त हो तो दिखाओ , करो पहला वोट पुलवामा के शहीदों के नाम - एक जिंदा भुक्तभोगी आपके सामने है जो अपनी पेंशन ( पता नही मिल रही या नही या वो भी अम्बानी को दे दी जाहिलों ने) के खर्च से आपके सामने है, तीस लाख के फूल नही पर मन मे श्रद्धा और देश प्रेम का सबूत लेकर आया है
कांग्रेस को अब भी समझ नही आ रहा तो एक वोट भी मत दो - भाजपा और कांग्रेस की मानसिकता को अस्सी घाट पर नहलाकर मणिकर्णिका घाट ले जाओ और दो बत्ती, गंगा का जितना कबाड़ा जितना इन दोनों ने किया उतना तो भगवान नही कर सकते थे, पूरे शहर के मंदिरों को उजाड़ने का श्राप तो सांसद को लगना ही चाहिये, पुल के नीचे मरें लोगों की बद्दुआ तो सांसद को लगना ही चाहिये अगर आज काशीवासी अपने को धर्म , व्यवहार और नीति की बात नही समझा पाएं तो ये बाबा विश्वनाथ के मंदिर में अपनी मूर्ति लगा देगा जिसके नीचे लिखा होगा - सौजन्य से स्वयंभू धर्माचार्य अम्बानी बन्धु
स्वागत नही करोगे अपने इस नए महादेव, संघर्ष के प्रतीक, और आधुनिक अवतार "तेज बहादुर" का जो मोदी गरल पीकर मजबूत बना है
मोदी सरकार धोखा है
धक्का मारो मौका है

***
कल देवास के सांसद चुनाव को लेकर एक पोस्ट लिखी थी
एक भक्त का अभी फोन आया बोला " आप सरकार के खिलाफ लिखते हो, माना कि आप हिंदी भाषा के बहुत बड़े गणितज्ञ हो, पर ऐसा मत लिखा करो "
मैं हैरान हो गया , क्या गजब की समझ है भक्तों की
मित्रों , देवासियों - भोपाल चौराहे से बीएनपी जाने वाली सड़क पर एक बार चलकर देख लो , 26 साल से सड़क नही बनी, इसी रोड पर नगर निगम के सभापति का घर देख लो किसका विकास हुआ , महापौर जी का स्कूल, गार्डन, बंधन बैंक की बिल्डिंग का विकास देख लो और शहर की सड़कें देख लो, पूरा शहर खोद कर ठेकेदार भाग गया सबने कमीशन डकार लिया - अधिकारी तो निकल लिए , नेता यही रह गए खालिस नेता
पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक तुम्हारा था 10- 15 साल से , क्या विकास किया जरा बता दो शहर का - बात करते है विकास की
भाषा के गणितज्ञ कहते हो - जरा अपनी भाषाई समझ ही देख लो ज्ञान के शिशु अड्डों से निकले अधकचरे अर्ध विकसित चूजों - इसी समझ से जगसिरमौर बनाओगे भारत को , हिन्दुराष्ट्र भी
अबे क, ख, ग, घ तो सीख लो
***
देवास शहर में 1970 से बैंक नोट मुद्रणालय की शुरुवात के साथ जो औद्योगिकीकरण हुआ था आज वह दम तोड़ गया
नोटबन्दी, जी एस टी और शिवराज सरकार के कुप्रबंधन के कारण 3000 से ज्यादा इकाईयां बन्द हो गई पिछले 5 वर्षों में और तो और टाटा इंटरनेशनल और इसकी 3 महत्वपूर्ण जैसी इकाईयां बन्द हुई, गत 5 वर्षों में, रैनबैक्सी जैसी बड़ी इकाईयां बिक गई, न्यू प्रिशिजन बर्बाद हुआ, गाजरा ग्रुप की अधिकांश इकाइयाँ खत्म हो गई बाकी छोटे उद्योगों की मजाल कहां कि वे देश प्रेम में जिंदा रह पाते
भयानक बेरोजगारी और आर्थिक संकट से जूझते लोग जिसमे देश भर की जनसँख्या यहां आकर बस गई थी आज दो रोटी के लिए तरस रही है, पूर्व भाजपा के विधायक सिर्फ नगर निगम इंदौर से पानी खरीदकर नर्मदा सप्लाय का श्रेय लेते रहें बाकी उन्होंने क्या किया यह सबको ज्ञात है, भाजपा के थावरचंद गहलोत से लेकर मनोहर ऊंटवाल ने सांसद बनकर भी यहां कुछ नही किया, नगर निगम में भाजपा काबिज रही, जिला पंचायत में भी पर शहर और गांवों की स्थिति बदहाल ही हुई है , थावरचंद जी यह बता दें कि इस अजा सीट पर इतने साल रहकर दलितों का क्या ठोस काम या भला किया तो कुछ बात बनें - अपनी एक उपलब्धि बता दें या बाद के सांसद ने अपने पुत्र को विधायक बना दिया सोनकच्छ में बाकी काम या देवास का क्या भला किया
ऐसे में अब जो उम्मीदवार भाजपा ने पोज़ किया है वह निश्चित ही योग्य, युवा, गरीबी की समझ रखने वाला और पढ़ा लिखा है स्वागत किया ही जाना चाहिए पर उनका ओपनिंग स्टेटमेंट था कि "दस साल न्यायपालिका में रहकर दम घुट रहा था" भला बताईये कि यह क्या बात है, शहर में कोई हलचल नही ना ही मोदी लहर है - कुछ लोग प्रज्ञा ठाकुर या बाकी बाहरी मुद्दों की ठेकेदारी करके जबरन माहौल बिगाड़ने का काम कर रहें पर लोग शालीनता से सब सुन रहें है और रिस्पांड नही कर रहें, वे सब समझ रहें है कि कौन क्या और कितने पानी में हैं
दूसरी ओर कांग्रेस के उम्मीदवार भी बाहरी ही है जिला सीमांकन की दृष्टि से पर वे बेहतर इंसान, समझदार और व्यापक दृष्टि और विश्व की बड़ी समझ रखते है वे धर्म को बड़े स्वरूप में ना मात्र जानते समझते है बल्कि समाज मे पिछले 30 - 40 वर्षों से दलित और सवर्ण समाज मे बेहतर मनुष्य बनाने और उच्च कोटि के मूल्यों को ठेठ गांव देहात से अमेरिका और दुनिया के वृहत्तर देशों में फैलाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहें है
इसलिए मेरा मानना है कि यहां पार्टी से परे जाकर और देश प्रेम जैसे फर्जी नारों और निहायत फिजूल खर्च और सिर्फ प्रचार प्रसार कर बदतमीजी, गाली गलौज और दूसरों को सिर्फ बदनाम करने की हेय मानसिकता से मोदी एंड पार्टी जो काम कर रही है , उसके ठोस और श्रेष्ठ विकल्प के रूप में देवास के लोगों को इस सज्जन व्यक्ति को ही चुनना चाहिए
कांग्रेस का मैं प्रखर विरोधी रहा हूँ पर यहां दो सज्जन व्यक्तियों की तुलना कर अपना पक्ष रख रहा हूँ, यह पहली बार ही संयोग बना है कि देवास से दो शिक्षित और सुयोग्य व्यक्ति, वो भी आरक्षित सीट से, मैदान में है इसलिए बजाय मोदी के चमकीले भाषण और फर्जी वादों के स्थानीय मुद्दों, बेरोजगारी और मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अब एक अनुभवी व्यक्ति को मौका दें

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