एनजीओ में रहकर हम सबने सीखा कि संस्थाएँ, सिद्धांत और मूल्य व्यक्तियों से बड़े होते है - चाहे वो एनजीओ के आका हो, मालिक हो या वरिष्ठतम अधिकारी
यही बात पार्टियों के लिए लागू होती है
अफसोस कुछ लोग अपनी औकात भूल जाते है और क्षुद्र स्वार्थों के लिए सब कुछ दाँव पर लगाकर सिद्धांत, मूल्य भूल जाते है और इस सबमें एनजीओ या पार्टी को विनाश के मार्ग पर ले आते है
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क्या कारण है कि प बं और केरल में भाजपा अमित शाह और कैलाश विजयवर्गीय जबरन घुसना चाहते है , पूरी व्यवस्था को ध्वंस कर रैली, रोड शो करना क्या और क्यों जरुरी है
यह तय है कि लठैत हताशा में बौखला गए है और अब आखिरी दौर में जोड़ तोड़ करके जबरन दादागिरी करके बची हुई सीट्स पर जोर लगा रहे है -160 से ज़्यादा अकेली भाजपा की सीट्स नही आ रही इसलिये मूर्खतापूर्ण साक्षात्कार दे रहें हैं, सड़कों पर गुंडागर्दी कर रहें है - यह कुंठा अभी 19 मई तक रहेगी और 23 की दोपहर से "डोंकी - हॉर्स राइडिंग" का गंदा खेल शुरू होगा
ममता ने जवाब सही दिए पर यह भी गलत है कि रैली के लिए अनुमति नही देना सहज भाव से करने देती तो कुछ फर्क नही पड़ता , फालतू के भाव बढ़ा दिए
मजाक बनाकर रख दिया है जनता का अबकी बार राजनैतिक दलों ने और बहुत ही घृणास्पद माहौल बना दिया है , सबसे ज़्यादा निराशा मीडिया से हुई जो इतना गिरा कि तमाम रिकॉर्ड टूट गए
सबसे मजेदार है वामपंथियों का चुप रहना और दोनो जगहों पर कुछ ना करना - है कहाँ दादा लोग और वृंदा बहन, कोई खबर ही नही
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इसके पहले कि कोई मीडिया वाला क्रास चेक करने आये
या
लोया विधि से मुझे देश भर में "लोटे में घुमाने" का पार्टी इंतज़ाम करें
या
जोश में आकर मैं ही ब्लॉग लिख दूं
हे प्रभु मुझे उठा लें - अब झूठ को सच नही कह पाऊँगा
- &^%$# &^%$#@
बूझो कौन ?
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बाय द वे
सुप्रीम कोर्ट
राष्ट्रपति
केंचुआ
सीबीआई
आईबी
एसटीएफ
भाजपा आईटी सेल
भक्त जन
अर्नब
सुधीर
रजत
अंजना
दीपक
या
कोई भी चलेगा , बस बता भर दें कि अब
◆पप्पू किसको बोलना है◆
आज रात ठीक 12 बजे से
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दुनिया के भिखारियों एक हो जाओ
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भीख मांगो और डिजिटल कैमरे खरीदो
- नीलकृष्ण जाडवाणी
( मोई पीड़ित अखिल ब्रहांड हिन्दू भिखारी संघ, खाजपा भिखारी प्रकल्प )
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वो विज्ञान की बात करेंगे, मौसम के ग्राफ दिखाएंगे, वे राजीव गांधी के कम्प्यूटर युग को लेकर कूदेंगे, वो बकर करेंगे, वो तर्क की बात करेंगे, वो तुम्हारे मोदी को मूर्ख कहकर उपहास उड़ाऐंगे, वो ज्ञानी बनकर मनुष्यता की बात करेंगे, वो हारने का डर दिखाएंगे, ईवीदम की बात करेंगे , वो केचुआ, न्यायपालिका की बात में उलझायेंगे
पर तुम बादलों की छँटा में उलझे रहना, अपने राडार को धोती में छुपाकर रखना कि किसी आपिये, वामी या कांग्रेसी की नजर ना पड़े
वन्दे मातरम
भामाकीजै
जय जय सियाराम
जय हिन्दू राष्ट्र
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मोदी को कोसने से कुछ नही - वह तो संघी मुखौटा है हिन्दू - मुस्लिम और दलितों को बांटने का
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दुर्भाग्य यह है कि मोदी के भक्तों को ना कुछ समझ आता है ना वे समझना चाहते है
भक्त वकील, डाक्टर, इंजीनियर, प्राध्यापक से लेकर नाली से गैस बनाने वाले भी है और सेना के लोग भी शामिल है - मीडिया के मूर्ख शिरोमणियों को छोड़ ही दें
जिस व्यक्ति को इतिहास तो दूर सामान्य ज्ञान भी नही पटवारी की परीक्षा पास करने लायक वह चुनावों में अपना 60 वर्षों का अर्जित और संचित ज्ञान भी उण्डेलकर बैठ गया है और बुरी तरह से सामने आया है सब मखौल उड़ा रहे है किस अनपढ़ और कुपढ़ को सत्ता दी थी पर आएगा तो मोदी ही
यह सिर्फ मोदी की बात नही उसके अज्ञान और उलजुलूल अंधविश्वासी बातों की नही बल्कि देश के हिन्दू , मुसलमान और दलितों में बांटने का काम मोदी और पूरी गंवार पार्टी ने किया वह अप्रतिम है और इस पाप में पहले 31 % थे 2014 में अब 60 % के ऊपर यह आंकड़ा हो गया है जिनके आगे ज्ञान, तथ्य और विज्ञान , आंकड़े और बहस का कोई अर्थ नही है
भारत का यह सबसे खतरनाक विनाशकाल नही बल्कि आई आई टी से लेकर भाभा एटॉमिक सेंटर या एक दिन में 103 सेटेलाईट छोड़ने के केंद्र होने के बाद भी देश की मूर्ख जनता की सादी समझ पर सवाल है
स्व प्रो यशपाल, जो विवि अनुदान आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष थे, ने 1991 में कहा था स्कूल कॉलेज, विश्व विद्यालय बन्द कर दो कि ये सब लोग देश को साक्षर करें, मैं आज कहता हूँ ये सब बन्द कर दो और देश में जमकर दंगों, मन्दिर और दलितों के हत्या और फर्जी सर्जिकल स्ट्राईक्स के लिए फण्ड फ्लो करो
Dr Prof Purushottam Agrawal की विचारोत्तेजक टिप्पणी, पर फिर सवाल वही कि क्या साक्षर भारत को किसी आई आई एम, बनारस हिंदू विवि, कोलकाता के कॉलेज या आई आई टी या गली मुहल्ले के बनिये, सिंधी व्यापारी या किसी सतनारायण करवाने वाले बामण को फर्क पड़ता है और अब तो दलित भी भगवा बाना ओढ़े जय जय सियाराम है और ब्रह्म वाक्य है - आएगा तो मोदी ही
स्वागत है इस नये भारत में
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