Skip to main content

Manawar's Home a Sweet Memory 19 Feb 2019

No photo description available.

मनावर - जिला धार, का वो घर जहां पिताजी 1975 से 1985 तक रहें , हम लोग दीवाली और गर्मियों की छुट्टी में यही रहते थे, आज यह घर देखा - बहुत उदास था और जेहन में तस्वीरे बनती बिगड़ती रही मेरे - 45 साल अतीत में लौटना कितना कष्टप्रद होता हो खासकरके तब जब आपके पास स्मृति दोष ना हो और सब कुछ स्वच्छ और निर्मल हो - एकदम ताज़ा और निश्छल मन के साथ
कितना कुछ याद आया और मेला ग्राउण्ड गया तो मेला, पुष्पा टूरिंग टाकीज , हरिजन मुहल्ले का वो पानी का कुआँ जहाँ का पानी पीकर हम बड़े हुए, स्टेट बैंक की बिल्डिंग जो मेरे सामने सम्भवतः 1977 में बनी थी जब संजय गांधी की हवाई दुर्घटना में मृत्यु हुई थी 1980 में तब यही था और उसके ठीक दस दिन पहले इंदिरा गांधी यहां सम्बोधित कर गई थी
यहां आकर बहुत अच्छा भी लगा और दुखी भी हुआ, पिता का अक्स लगातार आंखों से गुजरता रहा और वे बार बार आकर पूछते रहें मेरे बारे में और घर परिवार के बारे में, पिता का घर एक सिर्फ यूँ तो सरकारी आवास था तत्कालीन बीडीओ का , पर हमारा बचपन, हठ, जिद, सपने और वात्सल्य यहां दर्ज था
देर तक खड़ा रहा और जब किसी बच्चे ने यूँ रोते देख पूछा कि क्या हुआ अंकल तो आंसू पोछकर लौट आया , अब यह लिख रहा हूँ तो मोबाइल स्क्रीन भीग रही है बारम्बार और मैं सामान्य नही हो पा रहा हूँ
पिता की स्मृतियाँ यहां होना एक संयोग है और मैं बार बार आता रहूँगा कि ये आँसू जार जार बहें और मेरे अंदर से पिता गुजरते रहें और टटोलकर मुझे ठोंक बजाकर ठीक करते रहें उम्र के हर मोड़ और निर्णय पर

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...