सड़क और सडक
बीच और बिच
स्लोगन और श्लोगन
ट्राफिक और ट्राफीक
बस और बेस
मैजिक और मेजिके
सुरक्षा और सुरच्छा
सप्ताह और सपताह
जेब्रा क्रासिंग और जेबरा किरोसिंग
ये कुछ शब्द है और कुछ भाव
मौक़ा था, सड़क सुरक्षा सप्ताह में आयोजित शहर भर के निजी विद्यालयों के बच्चों के निबंध जांचने का जिसमे कक्षा छह से बारहवीं तक के बच्चें शामिल थे. अफसोस यह हुआ कि हिंदी और अंग्रेज़ी माध्यम दोनों के बच्चों की उत्तर पुस्तिकाएं थी हमारे हाथों में - लगभग दस हजार में से डेढ़ सौ - दो सौ के बीच थी हमारी परीक्षा और हम उजबकों की तरह से एक - एक को ध्यान से पढ़कर खुद समझने की कोशिश कर रहे थे कि आखिर बच्चे ने लिखा क्या है
बारहवीं के बच्चों से लेकर छठवी तक के बच्चों का गूगल ज्ञान, मात्रा और बाकी सब तो छोड़ ही दीजिये उनका Comprehension इतना खराब था कि बड़े होकर ये एक प्रेम पत्र भी ठीक ठीक या सम्प्रेषण युक्त भाषा में लिख पायेंगें या नही, अपने घर में किसी की मृत्यु होने पर हिंदी या अंग्रेज़ी में सही बात कहते हुए सन्देश ठीक से टाईप कर पायेंगें या नही या अपने मन की बात भी कह पायेंगें या नही.
इतना दुःख हुआ कि समझ नही आ रहा कि कहाँ खो गए हैं हम - ना हिंदी , ना अंग्रेज़ी , ना बोली, ना अपनी घर बोले जाने वाली मातृभाषा - कुछ भी नही आता, किसको दोष दें, उपस्थित शिक्षकों से पूछा तो बोलें - हम क्या करें, संचालक बोलें - बताओ कौनसा स्कूल है - शिक्षक बदल देते है, पालक कोई था नहीं ...
ये डाक्टर, इंजिनियर या चार्टेड अकाऊंटेंट बनकर क्या कर लेंगे, यहाँ ऑटो करेक्ट का हम बहाना कर सकते है, मै भी बहुत गलतियाँ करता हूँ यह मानता हूँ मै, पर मेरी अभिव्यक्ति तो शायद ठीक ही है, पर जब हाथ से लिखने की बात आती है तो समझकर लिखना वो भी उस विषय पर जिससे हम रोज़ दो चार होते है, रोज़ इस पीड़ा से गुजरते है फिर भी मन से दो पन्नें नहीं लिख पा रहें , शिक्षकों ने लाल निशाँ लगाकर सब सही कर दिया हैं, वे भी बेचारें क्यों पढ़ें सारा दर्द और सुधारें
कहाँ है हम, हिंदी अंग्रेज़ी के अध्यापकों का अपना रोना है, वे सीधा कहेंगें कि नीचे से बिगड़ कर आते है, हम पाठ्यक्रम पूरा करें या मात्रा दोष ठीक करेंं, साठ - सत्तर बच्चें है कक्षा में - फिर हमारा क्या दोष, मै भी जब अंग्रेज़ी पढाता था तो यही कहता था मै क्या करूँ और क्यों करूँ
राजनीति , धर्म, समाज या अर्थ शास्त्र को इस सबसे कोई लेना - देना नही हैं, चिंता इस बात की है कि अभी क्या होगा, आगे क्या होगा, क्या हमारे बारहवीं पास निजी स्कूलों के बच्चें हेंडपंप पर, तालाब पर, बाजार पर, अपने घर मेहमान आने पर क्या हुआ, मोहल्ले के झगडे पर, अपनी पसंद की सब्जी पर, अपने पसंदीदा शर्ट - पेंट पर, अपनी प्रेमिका या प्रेमी पर मन से पांच वाक्य सही लिख भी पायेंगें कभी
अगर नहीं - तो फिर व्यर्थ है हमारी शिक्षा की घुड़दौड़ और प्रतिस्पर्धा , अगर हम एक भाषा में व्यक्त करने लायक व्यक्ति नही बना पायें तो आने वाली नस्लों को पुन: वाचिक परम्परा में लौटना पड़ेगा और हमारा सारा ज्ञान - विज्ञान और संस्कृति की विरासत, विकास और उपलब्धियां यही रह जायेंगी और हम फिर किंकर्तव्यविमूढ़ बनकर रह जायेंगें....
[ इसमें भी गल्तियाँ हैं पर बात पल्ले पड़ रही है और पहुँच रही है शायद, ज्ञानी लोग सुधार करें ताकि मै सीख सकूँ ]
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Dont add me in any group, dont request to like your page, dont insist to buy your book by sharing links in InBox and finally dont tag... I dont want to be a Guest / Ghost on your bloody watch party, FB lives etc etc. For your kind information I dont need your Youtube Links and Dont wish to see you as my Host for some stupid Parties , book release, poetry, open and dumb mikes, idiotic discussions and dont want to see your stupid driving skills while on the road.
This all shows your zeal for self obsession and self boasting character. Kindly Control your emotions and Be bold enough to Do some Constructive work so that any body can attract to that Solid Work and ask for your page, Group or Book.
Else Leave me Alone please...........For God sack...........
I too have options to UNFRIEND & BLOCK
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◆1
"सफाई कर्मचारियों का सूअर पालन से लेकर चमड़ा उठाने और पकाने तक का बाकी सब काम भी छीन लिया, स्वच्छ भारत अभियान में सड़क पर झाड़ू लगाने के लिए रख लिया, हमारे घर की महिलाओं को भी यही काम करने पर मजबूर कर दिया , कोई और जगह नौकरी नही है, आरक्षण के नाम पर बेवक़ूफ़ बनाने के अलावा कुछ है नही सरकार के पास , और यह सब भी काम करने को तैयार है हम - पर स्थाई नौकरी दो ना इसकी भी, ठेकेदारी - आउट सोर्सिंग करके हमारा शोषण कर रहे हो,रहने दो साब आप लोग हमारे पी एच डी पास लोगों को अपने साथ बिठा नही पा रहें, नौकरी से हटाने की साजिश कर रहें हो तो हम तो बी ए है या बारहवीं पास"
◆ 2
" हाथ में मोबाइल देखकर, हमारी अंधेरी गलियों में पक्का मकान देखकर आपको जलन होती है और कहते है कि देखो इन भंगियों का विकास कर दिया हमने - एक बात बताईये - क्या यह सामाजिक उत्थान है, क्या सफाईकर्मी की अस्थाई नौकरी देना विकास है, हमें पुनः मैला ढोने के काम पर ले आये - जो बड़ी मुश्किल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बन्द हुआ था - आपके दिमाग से जातिगत भेदभाव खत्म हुआ क्या "
◆ 3
" सुबह उठकर आपको सड़कों पर काम करती औरतें दिख जाती है, आपके घर की औरतों को जरा इतनी सुबह या दिन में दो बार या रातभर काम करने भेजकर देखो , है हिम्मत जहां जमाने भर का कूड़ा उठाना है और लोगों की नजरों का सामना करना है, मोहल्लों में - कॉलोनियों में झाड़ू लगाते वक्त आपके घर के मर्दों की नजरें देखी है आपने, किस तरह चड्ढी पहनकर वो गैलरी, खिड़कियों से हमें ताकते रहते है और आप कहते है कि हम शरीफ लोग है , बड़े लोग है - कूड़ा तो हम फिर भी ले जायेंगी पर आपके दिमाग के जातिवाद, गंदगी को कौन साफ़ करेगा"
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शहर में एक अध्ययन के दौरान बातचीत के स्वर - एक बार सोचिए गम्भीरता से कि क्या हम सच मे सबका साथ सबका विकास कर रहे हैं , क्या हम मनुष्य मात्र से घृणा रख रहें हैं इसलिये कि मनुवादी शोषक व्यवस्था के हम अभी भी पोषक है
अगर हां तो, मुझे आपसे कोई तर्क, बातचीत नही करनी है और आपका विकास आपको मुबारक हो, मैं इन सबके साथ हूँ जो विपरीत परिस्थितियों में भी काम करके अपनी आवाज बुलंद कर रहें हैं अपनी लड़ाई जोरदार तरीकों से लड़ रहे है
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