शोध का पोस्ट ट्रुथ
●●◆●●
हिंदी के युवा शोधार्थियों को अपने परम ज्ञानी और संसार के एकमात्र दिव्य पुरूष यानी गाइड के झंडे झोले ही नही पोतड़े भी उठाना पड़ते है और उसकी खंखार, नाक से बहते चमत्कारिक द्रव्य, बलगम और नीचे से बह रहे मटमैले पानी और ठोस पदार्थ को पीकर फेसबुक पर महान आख्यान, भाषण के रूप में लिखकर परोसना पड़ता है क्योंकि अख़बार , पत्रिकाएं तो उस घसियारे की घटिया बातों को छापेंगी नही
ये महान, लम्पट और जुगाड़ू गाइड इन गांव देहात के बच्चों को चटाई में लपेटकर घूमते रहते है और ये शोधार्थी मोबाइल से तस्वीरें हिंच हिंचकर फेसबुक पर चैंपते रहते है जिसे 10 लाईक भी नही मिलते
कसम से शोध का संसार बड़ा कमीना है, देख लीजिए अपनी ही सूची में एक बार मठाधीशों को और पीसे जा रहे युवाओं को
Comments