हाथ से नही लिखेंगे तो बहुत पछताना पड़ेगा
आज एल एल बी के पहले पेपर की परीक्षा में 40 पन्नों में से 25 पन्ने लिखना भी इतना मुश्किल हो गया, पास फेल होना तो बहुत दूर पर आज की परीक्षा में मात्र 25% छात्र ही पुरे 5 प्रश्न लिख पाएं वो भी 30 से अधिक पन्नों में , फेसबुक वाट्सएप और इंस्टा ने बिगाड़ कर रख दिया ससुर
मैं तो कॉपी देखकर ही घबरा गया, हिम्मत हार गया, हाथ से लिखने में कांधे, हाथ की हड्डियां और उंगलियां मानो जम गई रोते झिकते 22, 23 पन्ने लिखें वो भी एक एक पँक्ति छोड़कर और बड़े बड़े शब्दों में
असल में टाइप करने की इतनी आदत पड़ गई है - या तो अब विवि परीक्षाएं भी ऑन लाईन लें या हम लोग लिखने का अभ्यास करें , सीधे लेपटॉप और मोबाइल पर लिखने की आदत ने बर्बाद कर दिया हमें, एक शोक पत्र पोस्ट कार्ड पर लिखने लायक नही , मेरा तो कम से कम यही हाल है - आपका नही पता
उफ़ , वो लिखने का दौर, सात आठ सप्लीमेंट्री कॉपी लेकर भरने का सुहाना समय - कंटेंट छोड़ दीजिए पर लिखने का जबरजस्त अभ्यास था और 1989 के बाद कम होते होते अब इस तकनीकी दौर में खत्म हो गया
कुछ करना पड़ेगा - पर क्या नही पता - शायद कुछ यह करें हम सब -
◆ लिखने के लिए अब पीठ कोरे कागज पर लिखें
◆ ढंग के पेन खरीदें और रोज दस पन्नें लिखने की आदत डालें
◆ मित्रों, परिजनों को चिट्ठियां लिखना शुरू करें
◆ डायरी का एक पन्ना हाथ से लिखें
◆ अपना काम कागज़ पर लिखकर फिर टाईप का काम करें - वरना हम शिक्षित तो हो गए है पर लेखक नही
कुल मिलाकर टाइपिस्ट बनकर रह गए है
मशीनी जीवन जीते हुए गुलाम टाईप के टाइपिस्ट और भोंथरे व्यक्तित्व
कितने लोग ढाई तीन घँटे में 40 पन्ने एकदम सही पेल सकते है बगैर सम्पादन और प्रूफ ठीक किये - जरा सोचें और introspection करें
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