वो कहां गया रामदेव नामक कालाधन का जनक आज कुछ बोला नही - चतुर ठग , शर्मनाक है कि देश का प्रधान मंत्री झूठ झूठ बोलता रहा, 15 लाख से लेकर नोटबन्दी तक और अभी भी चुप नही बैठ रहा - रोज रोज नए नए शगूफे छोड़कर अब देश के बुद्धिजीवियों और संस्कृतिकर्मियों से बदला लेने पर उतर आया , यह सरकार हर बार ध्यान भटकाने को नए औजार ढूंढ़ते है कितना अफसोसजनक है यह सब यह फर्क होता है पढ़े लिखें नेहरू, शास्त्री, इंदिरा, वीपी सिंह, गुलजारीलाल नंदा या राजीव गांधी में और इस वर्तमान प्रधानमंत्री में, जिसे अपनी डिग्री दिखाने के लिए दिल्ली विवि में जाकर धमकाना पड़े या सूचना के अधिकार कानून को धता बता कर जनता को मना करना पड़े उस पर क्या भरोसा , उर्जित पटेल को भी लाया पर उसकी भी रीढ़ कभी तो सीधी हुई ही होगी और उसकी भी औलादें है और भविष्य है जिन लोगों को उस दौरान जान देना पड़ी क्या उनकी मौत के लिए इस सरकार के निर्णय लेने पर गैर इरादतन हत्याओं का मुकदमा दर्ज नही होना चाहिए , जिन लोगों को शादी ब्याह से लेकर नौकरी में जलील होना पड़ा या बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ा क्या उनके लिए मानहानि का मुकदमा नही बनता, जबकि संविध...
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