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रामाश्रय चौहान की जबलपुर में मौत - नही जागते हम 17 June 2018




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मप्र में सालों बाद कल सहायक प्राध्यापक पद के लिए परीक्षा है और नौकरी का तनाव युवाओ पर कितना भारी है इसकी बानगी आज देखने को मिली
आज जबलपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी की परीक्षा देने आए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रो० वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी के लोकप्रिय और मेघावी शोध छात्र रामाश्रय चौहान (गाजीपुर) का हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया
यह युवा शोधार्थी मुश्किल से तीस बरस का होगा, बी एच यू में प्राध्यापक चन्द्रकला त्रिपाठी जी ने सूचना दी, इस छात्र के साथ आये मित्रों से बात की, पुलिस अभी पोस्टमार्टम कर रही है मेडिकल कॉलेज में , तीन मित्र उसके साथ है जो शोधार्थी है बी एच यू के ही
जबलपुर के मित्रों की सहायता से अभी शव को बनारस ले जाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करवाई और उन तीन मित्रों को ढाढस बंधवा रहा हूँ, वे हैरान है कि सुबह तो आये थे और ये क्या हो गया , कितना अवसाद और तनाव है जीवन मे
कुल मिलाकर यह लग रहा है कि हमारे युवा इस समय नौकरी ना मिल पाने के इतने तनाव में है कि सीधे मर ही रहे है, इस कमसिन उम्र में मृत्यु कितनी भयावह है एक बार कल्पना करके देखिए आप सो नही पाएंगे
Ravish Kumar आपने इतनी लड़ाई लड़ी पर देखिये ये क्या होते जा रहा है
युवा प्रतिभा रामाश्रय को हार्दिक श्रद्धाजंलि और नमन पर यह मृत्यु नही - हत्या है , हत्या और हम सब लोग जो चुप है - इसकी मौत के दोषी है , ख़ुदा ना करें हममे से किसी के परिवार पर या हमारे परिचित पर मौत का साया मंडराए पर हममें से किसे फर्क पड़ता है , हम तो विजयी भाव मे मद मस्त है और असली मुद्दों से मुंह छुपाकर बैठे है , हिन्दू मुस्लिम दंगों और राष्ट्र प्रेम में व्यस्त है फिर चाहे कश्मीर में युवा जवान मरे या देश के भीतर तनाव से युवा शोधार्थी
किससे दुख व्यक्त कहूँ, इस अनजान भाई के लिए यहां बैठकर जो हो सकता है कर रहा हूँ पर मुझे चिंता लाखों करोड़ों युवाओं की है जो नैराश्य में है और उनके आगे कोई भविष्य नही है , सत्ता और राजनैतिक दल उन्हें सिर्फ भीड़ बनाकर इस्तेमाल कर रहे है

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