दो समसामयिक कवितायें 1 स्त्री के प्रेम से वंचित आदमी किसी का नहीं होता ______________________________________ कैसे लौट गए तुम गाय भैंसों के व्यवसायिक मेले में भाषण देकर तनिक भी धुंजे नहीं तुम एक बार भी नहीं पूछा कि ये क्यों हुआ ये भारत माता की लाडली लक्ष्मी बेटियों को मां दुर्गा के आगमन पर क्यों पीटा इन लड़कियों को तुम्हारे ही लोग वहां है जहां सरस्वती का वास है वहीं लोग भारत माता के बहाने देवियों को पीट रहे है शैला मसूद हो या बनारस के गंगा घाट पर विराजित ये देवियां तुम्हे दिल्ली जाने की इतनी जल्दी क्या थी क्यों एक बार भी गए नहीं झांकने भी नरभक्षी कुलपति और पुलिस को लताड़ा नहीं तुम चुप हो कब से क्यों बोलते नहीं पहलू खान, नजीब, जुनैद, अखलाख को मार दिया जब उना में दलितों को जिंदा जला दिया रोज जब दलित मर रहे है देश के गड्ढों में जानते हो ना इन्हे भी संविधान में उतना ही हक है जीने का सम्मान और गरिमा के साथ जितना तुम्हे यहां मौत का हिसाब उन लंबी पंक्तियों का नहीं है जो ए...
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