आज बहुत सोचा और लगा कि छोडो सबकी बातें और विचार, "जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा" अदभुत फिल्म ही नहीं जीवन दर्शन है.........जितनी बार देखता हूँ, कम पड़ता है. बस अब दुनिया जाए भाड में.........
चाहत के दो पल भी, मिल पाये
दुनिया में ये भी कम है क्या
दो पल को तो आओ खो जाएं
भूले हम होता ग़म है.....
चाहत के दो पल भी अनमोल है जीवन में फिर चाहे अपने आप से किये हो ये चाहत और रूमानियत........
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गौ रक्षा के धंधेबाजों को मोदी जी ने कल कड़ी चेतावनी दी, स्वागत योग्य बात है, मोदी जी की मेधा और बुद्धि को प्रणाम, वे दुनिया में देश को जग सिरमौर बनाएं और इतिहास के सबसे अच्छे प्रधानमंत्री सिद्ध हो यह दिल से दुआएं है मेरी। मेरी अल्प बुद्धि में दो तीन बातें आई
एक - दलितों को ही मरे जानवरों की खाल उतारना है और इसका अर्थ यह है कि उन्हें मारो मत नही तो वे बगावत कर रहे है तो यह वीभत्स काम कौन करेगा और फिर दुनिया में प्रचारित हो रहे स्वच्छ भारत की ....
दो - 70 % गौ रक्षक जो बीफ निर्यातक है, रेवेन्यू उगा रहे है और देश को नम्बर 1 की जगह रखने का बीड़ा उठाये है, वे शान्ति से काम करें ।
तीन - उप्र में चुनाव है, पंजाब में चुनाव है और इस तरह से माहौल बिगड़ेगा तो मुआमला थोड़ा मुश्किल हो जाएगा, साले दलित अहमदाबाद में इकठ्ठे हुए और यह मैसेज इस तरह से जाएगा तो सारा खेल बिगड़ जाएगा।
चार - अमित जी भाई शाह अभी रूप के राजा, चोरों की रानी और फिसलते गुजरात से उबर नही पाये है इसलिए मोदी जी को ही अभी थोड़े दिन ये सब गृह कलह देखना होंगे, इसलिए कन्फेशन ही विकल्प है।
पांच - राज्यों और ब्यूरोक्रेसी को यह सन्देश है कि इन्हें रोके, इंसानों के लिए खाने का जुगाड़ नही कर पा रही सरकार, जी एस टी से उम्मीद है कि धन आएगा, तब तक इन गाय ढोरों के लिए चारे का जुगाड़ कहां से करें, वो महारानी इतने बड़े राज्य में इतनी जमीन् हथिया कर बैठी है तो चारा नही दे पाई 70 गायों को, मैं विदेश घूमूँ या चारा इकट्ठा करता फिरूँ ? और वैसे भी चारा लालू ने खा लिया देश का और ससुर छूट गया, अब क्या होगा, वो अमूल वाला भी मर गया क्या नाम था - भूल गया। खैर, ध्यान रहें शिवराज, रमण और बाकी सबको, तुम सब तलवार की धार पर हो !!!
छः और अंतिम - ढाई साल तक गाय, बीफ, दादरी - अब समय आधा बचा है कुछ देखना पड़ेगा, उधर ऊ ससुरा ट्रम्प कार्ड खेल गया तो पाक के साथ बना बनाया खेल बिगड़ जाएगा। इसलिये मित्रता दिवस पर इश्किया सम्बन्ध और दोस्ताने की कसम खाते हुए खांसकर थूको, सब भूलो और चलो साले दलितों , ससुरों, आरक्षण दिए जाने के बदले मरे पशुओं की खाल भी ना उतारोगे, टाटा और बाटा क्या तुम्हारे बाप के पीठ की चमड़ी का जूता बनाएंगे ?
और सुनो संघियों और हिन्दू राष्ट्र के पुरोधाओं, ठहरो और विचारों यदि ये दलित रूठ गए और अपनी जात पर उतर आये तो तुम क्या जनेऊ को कान पर लपेटे चमड़ा उतारोगे, अभी तो डी एम के दफ्तर के सामने पशु फेंके थे , कल तुम्हारे बंगलो और मंदिरों में फेंक आएंगे, फिर क्या करोगे, याद है ना उस मुसड्डे अजगर वजाहत का नाटक - "सबसे सस्ता गोश्त" !!
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सन 1995 की याद चित्रकूट ग्रामोदय विवि का पहला बी एड का बैच और नानाजी देशमुख जैसे विद्वान कुलपति थे, पर उन्होंने कभी शिक्षा में विचारधारा को नहीं लाया और हमे बोलने, सीखने और लिखने की छूट दी।
दोस्तों के साथ की तस्वीर Bhanubhai Patel के सौजन्य से और इसमें है Kuldeep Yadavबाकी को खोज रहा हूँ ।
Samrathmal Rathore तुम्हे कोई मिले क्या ?
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