सूरज निकला फिर सुबह हुई
शाम ढली, अन्धेरा हुआ , इस तरह से
नए नवेले कमरे में रात हुई
चींटियां आई, फिर छिपकली
चूहे आये और इस तरह से
नए नवेले कमरे में संसार आया
भरी धूप में पतरे तपे
हवाओं के साथ धूल आई, इस तरह से
नए नवेले कमरे में पसीना निकला
पहली बरसात में छत टपकी
दीवारों में सीलन आई, इस तरह से
नए नवेले कमरे में दुःख आया
अब इंतज़ार है ठंड का
कांपने और गर्माहट का, इस तरह से
नए नवेले कमरे में जीवन का
- संदीप नाईक
17 अगस्त 16
एक बरसाती शाम को गर्मी महसूस करते हुए नए नवेले कमरे में !!!
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राखी की बधाई इस उम्मीद के साथ कि कभी तो बहनें भाईयों से मुक्त होकर अपनी रक्षा और जिंदगी स्वयं संवार सकेंगी।
संस्कृति, लेन-देन, प्यार, सम्मान एवं गरिमा बनाएं रखिये - अपनी भी और महिलाओं की भी , लेकिन खुदा के वास्ते संरक्षक बनकर किसी महिला की रक्षा करने की ठेकेदारी मत कीजिये।आपकी ठेकेदारी ने ही महिलाओं को हिंसा और नारकीय जीवन जीने पर मजबूर कर दिया है। खाप से लेकर तमाम उदाहरण मेरे सामने मौजूद है।
त्यौहार मना लीजिये कोई हर्ज नही पर मेहरबानी करके पितृ सत्ता की दादागिरी को बरकरार मत रखिये।
जमाना बदल रहा है।
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हिंदी में कुछ बेरोजगार पी एच डी होल्डर स्वयम्भू कवि उर्फ़ आलोचक नौकरी ना मिल पाने के कारण कुछ गरिष्ठ कवियों और तथाकथित जुगाडू लोगों की कठपुतली बनकर अपना भविष्य तो बर्बाद कर ही रहे है बल्कि जिस कविता और पक्षधरता की बात प्रतिबद्धता से करने के मुगालते में सबको गाली देकर अपने कुसंस्कार यहां दर्शा रहे है वह चिंतनीय है, इस तरह वे अपना और कविता एवं आलोचना का भी नुकसान कर रहे है।
मजेदार यह है कि छोटे कस्बों और सरकारी महाविद्यालयों में रट्टा मारकर संविदा कर्मचारी से स्थायी व्याख्याता बने ये लोग, रिश्वत और चापलूसी से एक गाँव में बरसों से टिके रहने वाले और प्रोफेसर कहलाने की इच्छा रखने वाले इन्हें शह दे रहे है क्योकि अपनी ओछी बुद्धि से किसी विवि के विभाग या बड़े महानगर में नौकरी पा नही सकें तो इन युवाओं के कंधों पर रखकर बंदूक चला रहे है।
ये तथाकथित प्रोफेसर ना बनें निराश्रित, दया के पात्र जीव ना अपने विषय अनुशासन के रहें, ना दीगर भाषाओं के , ना हिंदी के - सिर्फ दलित और पराये होकर रह गए हर जगह से , इसलिए अब परजीवी की तरह से गुजर - बसर कर बुढापा सुधार रहे है - लौंडों लपाड़ों पर हाथ फेरकर !!!
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कुछ लोग पैदा होते है बकवास करने और झगड़ने के लिए । जब इनके बौद्धिक हथियार भोंथरे हो जाते है तो अक्सर ये आतंक फैलाते है, कोई जरूरी नही कि तुम्हारी तरह सोचा जाये और कोई जरूरी नही कि हर जगह विकी पीडिया का चोरी वाला रायता फैलाया जाए।
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गूगल और विकीपीड़िया बंद हो जाए तो लोगों की रोजी रोटी ही बन्द हो जायेगी।
भगवान कसम ये लोग बस एक दिन हड़ताल कर दें हमारे कई मित्र अपनी असली औकात पर आ जाएंगे। इसलिए बेचारे नेट और बिजली के बारे में चिंतित रहते है इन्हें निर्बाध रूप से ये दो सेवायें तो चाहिये ही चाहिये नही तो धंधा चौपट !!!
ज्ञान का झोला उठाये बौद्धिक आतंकवाद का रायता फैलाने वाले मीडिया, समाज सेवा और अर्थ शास्त्र के कई विद्वान भीख मांगने लायक भी नही रहेंगे।
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यूनिसेफ वाले भूल जाते है कि उनकी रोटी, टैक्स फ्री तनख्वाह और उनके पले हुए दूम हिलाने वाले निकम्मे सलाहकार जो किसी काम के नही - सिवाय आंकड़ों के ग्राफ बनाने और जिला कलेक्टरों के चापलूस बनकर यूनिसेफ वालों की होटल बुकिंग करते है और ज्ञान के नाम पर गरीबी बेचकर ऐसी रिपोर्ट बनवाते है। किया क्या सुधार के नाम पर इन सफ़ेद हाथियों ने प्रदेश में ?
पत्रकारों से लेकर सबको चने जैसी दो दो रोटियां फेंकने से काम नही होते, मप्र में यूनिसेफ बताए कि इतने बरसों में ब्यूरोक्रेट्स की चाटुकारिता करने के अलावा क्या किया है - हर वर्ष जहांनुमा , नूर-उस-सभा या पलाश होटल, भोपाल में रिपोर्ट जारी करने के अलावा ? वो भी अंग्रेजी में क्योकि हिंदी के नाम पर इन काले अंग्रेजों को दस्त लग जाते है और दीगर बात ये है कि बापड़े अपनी रिपोर्ट हिंदी से अनुदित करवाने में मोटा रुपया खर्च करते है !!
एक भी कार्यक्रम को लंबे समय तक सार्थक रूप से कर पाएं क्या , शिक्षा, स्वास्थ्य या विकेंद्रीकरण? राज्य का प्रमुख बदलते ही जिस संस्थान की प्राथमिकता बदल जाती हो , सलाहकार भर्ती करने का ठेका जो अपने स्वार्थ और मतलब के लिए दिल्ली की लाभकारी फर्म को दे दें वो क्या रिपोर्ट पर कार्यवाही करेंगे।
जो कर्मचारी ₹4000 से ₹ 8000 रोज के कमरों में रुकते हो, एसी गाड़ियों में सफर करते हो, जिनका 90 % समय बैठक और ब्यूरोक्रेट्स की दहलीज पर या बंगलों में गुजर जाता हो वो क्या मप्र की समस्या पर बात करेंगे।
एक कविता थी-
इंद्र आप यहां से जाए तो ढंग से बरसात हो
ब्रह्मा आप यहां से टरे तो ढंग की संततियां जन्म ले
समझ रहे है ना, याद रखें यह प्रदेश गरीब है, भ्रष्ट भाजपा है और अकर्मण्य ब्यूरोक्रेट्स है तब तक आपकी नौकरी है वरना सड़क पर आ जाओगे यह याद रखना !!!
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