Skip to main content

शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र मोदी जी के नाम मप्र के पन्ना जिले के लोगों की मार्मिक अपील।

शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र मोदी जी के नाम मप्र के पन्ना जिले के लोगों की मार्मिक अपील।


ढोर डांगर मर गए सब, खेत पड़े बीमार, 
उस पर बनिया और पटवारी मांगे ब्याज लगान
बालक भूखे मरे हमारे, हम कछु ना कर पाएं
इससे अच्छा हैजा फैले, सबके सब मर जाएँ

ओ मेरी सरकार मेरी अन्नदाता माई बाप
पांच बरसों में दिखाई दी नही इक बार आप

सिंहस्थ के बेशर्म साधुओं और मप्र के निर्लज्ज प्रशासन के नाम जो सूखे प्रदेश में धर्म के नाम पर मालपुए उड़ा रहे है और पानी बर्बाद कर रहे है।
ग्राम पंचायत रमखिरिया के राजापुर ग्राम, जिला पन्ना, मप्र, में देखा कि लोग नालों ओर झिरियों के गंदे पानी से पेय जल की पूर्ति कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर ग्राम खजरी कुडार में ऐसा भीषण पेय जल संकट है कि एक माह में लगभग 100 गायों ने दम तोड़ दिया है । गौ के माता के नारे लगाने वालों को भी सूचित कर देना चाहता हूँ कि हमारी गौ माताएं दम तोड़ रही है और लोग प्यास से पलायन ही नही कर रहे, मर भी रहे है।
भाई Yousuf BegRavi Kant Pathak और साथियों की टीम कल से जल स्रोतों की सफाई का काम शुरू कर रही है ताकि गौ माता, अन्य चौपायों के साथ इंसानी जिंदगी को भी बचाया जा सकें। उज्जैब के सिंहस्थ में धर्म के नाम पर दान करके परलोक में अपनी सीट बुक करवाने वालों को ये कभी दिखेगा, या साधुओं की चाटुकारिता करके पूरी शर्म बेच दोगे ?
प्रदेश शासन और प्रशासन ने तो निर्लज्जता की सीमाएं लांघकर मालवा का नर्मदा जल भी उज्जैन में उंडेल दिया है और 5000 करोड़ रुपयों का खेल खेलने में व्यस्त है।
प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री पुण्य कमाने में व्यस्त, सबसे बड़ी फर्जी सदस्यता वाली पार्टी राम नवमी पर सूखे में जुलुस निकालने में व्यस्त ( Pankaj Chaturvedi जी का पोस्ट) और परिधान मंत्री डा आम्बेडकर के बहाने अपनी माँ को अब बर्तन मांजने वाली बनाकर पांच राज्यों में सत्ता हथियाने में व्यस्त तो देश की गौ माता का ध्यान कौन रखेगा, और पूरे बुन्देलखण्ड के लोगों की मौत का मातम कौन मनायेगा ? जिला प्रशासन के लोग मुआवजे की राशि के गणित में लगे है ।
उफ़, यह प्रदेश है या कत्लगाह !!!
हम सब लोग जो वहाँ जा रहे है बेचैन है और कुछ सूझ नही रहा और पूरे प्रदेश, देश के लोग शिवराज जी के मुस्कुराते चेहरे के विज्ञापन पर उज्जैन पुण्य के बहाने नहाने आ रहे है !!!
कितने और वीभत्स होंगे हम और अभी ???










Comments

Unknown said…
Ye mere.panna ke.kya halat kar di.bhagwan.
aakash_bahare said…
मप्र सरकार रैन बाटर हार्वेस्टिंग कर ग्रामीण इलाकों में जल संरक्षण पर बिशेष ध्यान दे पानी बचाने के स्लोगन लिख करोड़ों खर्च करने से लाभ नहीं होने बाला

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही