कभी उगते हुए सूरज को देखना, लगेगा कि एक साथ असंख्य सूरज उग रहे है व्योम में धीरे धीरे सभी एक साथ एक उगकर सिर्फ एक ही में समाहित हो जाते है जैसे एक जिन्दगी में कई कहानियां एक साथ समाहित होकर अंतिम सांस के साथ खत्म हो जाती है आहिस्ते से.... सुबह जब आती है तो लगता है मानो एक सांस लौट आई हो, जैसे लौट आती हो किसी सदियों से पडी निर्जीव देह में किंचित सी झुरझुरी एक सदी बीत जाती है एक सेकण्ड की याद भूलाने में और तुमने तो एक जिन्दगी दे दी थी ........... जब देश का प्रमुख व्यापारी विदेश में अपने प्रोडक्ट के गुणगान कर रहा हो, सत्ता की पार्टी का प्रमुख बिहार चुनाव में लगा हो और विपक्षी दल नपुंसकों की तरह से बैठे हो तो दादरी में एक मुसलमान परिवार का मरना कम है सिर्फ एक परिवार जो साले 20 % है यानी लगभग 25 करोड़ . सही करते है हिन्दू राष्ट्र के लोग मांस खाना और खाने वालों को मार देना चाहिए. अजगर वजाहत का नाटक "सबसे सस्ता गोश्त" याद आ गया. अधिकांश ब्राहमणों का सरनेम शर्मा होता है, ओशो कहते है कि शर्मा शर्मन का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है यज्ञ में बलि देने वाला शख्स .....
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