आखिर जिन्दगी की पहली कहानी की किताब आ ही रही है. सन 1995 से 2000 और फिर सदी के पहले दशक में लिखी कहानियां कई थी, छांटने का बड़ा काम था, कई दिनों से बल्कि दो सालों से चल रहा था, लगातार आलस, घूमने की यायावर शैली, और व्यक्तिगत परेशानियों के कारण समय ही नहीं मिल पा रहा था शायद यह कहना ज्यादा मौंजू होगा कि मै जानबूझकर टाल रहा था.
नर्मदा नदी से ना जाने क्यों मुझे बहुत लगाव है, बहुत लम्बी कहानी और सन्दर्भ है और इसलिए इसका शीर्षक भी मैंने "नर्मदा किनारे से बेचैनी की कथाएं" रखा है.
इस बीचा हमारे गुरु Prakash Kant, मित्रों में Sunil Chaturvedi Bahadur Patel Manish Vaidya Dinesh Patel Satya Patel Sonal Sharma की डांट पड़ रही थी, फरवरी 14 के पुस्तक मेले में अनुज Jitendra Srivastava ने भी आग्रह किया और आख़िरी में एक दिन अग्रज Aaditya Lunavat के साथ बहादुर और सुनील भाई थे तो बस अंतिम वार्निंग मिल गयी.
तुरंत श्रद्धेय Purushottam Agrawal जी से आग्रह किया तो उन्होंने सहर्ष ब्लर्ब लिखकर दे दिया और Gouri Nath जी ने इसे छापने का जिम्मा लिया. बस इस तरह यह किताब तैयार हो रही है, उम्मीद है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में आ जायेगी.
मै शब्दों में आभार व्यक्त नहीं कर सकता इसके पीछे मेरे परिजन, मेरे दोस्त और आप सबका सहयोग और प्रेरणा नहीं मिलाती तो शायद यह असंभव था. और श्री Ajay Moghe जी जो लगातार आग्रह करते रहे कि "सर, किताब पर काम करो"
Siddharth Naik Aniruddha Naik Amey Naik Mohit Dholi Apoorva Dubey Alok Jha के बिना यह हो पाता क्या..........शायद नहीं........जो इसके साक्षी रहे है.......हर शब्द हर पृष्ठ के ....
Akshay Ameria का रेखांकन इसके मुख पृष्ठ पर है और अब यह किताब आपके पाले में है...........
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