"किसी के तुम हो, किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मेरे नसीब में तुम भी नहीं, ख़ुदा भी नहीं"
◆अख़्तर सईद ख़ान
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मीर कहते है ना -
"गली तक तेरी लाया था हमें शौक़
कहाँ ताक़त के अब फिर जाएँ घर तक"
रात 01.39
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कल सुबह नींद खुल जाए तो पहले आँखें मिंच कर देखना कि क्या सच में एक सुबह और मिली है जीने को, क्या मेरे आसपास मैं चिड़िया, कौवे, टिटहरी की आवाज़ सुन सकता हूँ, कबूतर की गुटर गूँ सुन सकता हूँ, चींटियों की कतार देख सकता हूँ, किसी गिलहरी को शैतानी करते देख सकता हूँ, एक बछड़े के रम्भाने की ध्वनि पहुंचती है मुझतक, क्या आसमान से गुजरते पक्षियों को देख सकता हूँ, क्या सड़क पर गाड़ियां आ जा रही है और लोग चलते-फिरते नज़र आ रहें है, मेरी देह से सटे मेरे पैर सक्षम है अभी किसी वामन की तरह दुनिया नापने को और मेरे हाथों की पकड़ में है वो सब जो लालायित करता है जीने की अभीप्सा हेतु
उठना आहिस्ते से, एक चिकोटी काटना इस देह पर अपनी और फिर अपने-आपको एहसास दिलाना कि यह दिन मुकम्मल करूँगा पूरी ताक़त से और इसे यादगार बनाऊंगा
उन अरबों - खरबों Living Beings के साथ , ( ध्यान रहें Human Being नही - भाषा सुधार रहा हूँ अपनी ही ) मैं भी आजभर यहाँ हूँ - संपृक्त, संलग्न, संयुक्त, प्रतिबद्ध, परिपक्व और जुझारू स्वरूप में और बस यही, यही इसी तरह से थका देना अपने आपको - ताकि रात जब नींद आये तो कुछ और सोचने या आधे अधूरे ख़्वाब देखने की हिम्मत भी ना रहें
हम सब दुर्दांत, अवसाद से भरे एवं नैराश्य भरे भीषण समय में जीने का झूठा उपक्रम कर रहे हैं, यह कैसी विपदा की घड़ी है - जब मन बेकाबू है और महत्वकांक्षों के अमोघ अश्व भी सुप्त पड़े है भीतर ही भीतर, कोई कोलाहल नही, नींद नही आँखों में, आशा की किरणें कही दूर जंगल में पगडंडियों के नीचे दम तोड़ गई है
दूर कही कोणार्क में अभी तक शिखर पर कोई चढ़ा नही है गुम्बज लिए, चंद्रभागा का किनारा सूना है, कितने कुंभलगढ़ अभी विजयी होने से वंचित है, कितने महल और अटारियाँ अभी अभेद्य है, पहाड़ धँस रहें है, भीड़ सकते में है, गंगा संकरी होते जा रही है, नर्मदा ने दिशा बदल दी है, एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से डर रहा है, स्त्रियाँ अब सोग नही गाती, कहार पालकी धरे बैठे है और दुल्हनें गायब है और भाग गई है किसी ययाति के संग, आततायी विराजमान है, दुर्योधन अब पूरे दरबार का चीरहरण कर रहा और कोई कृष्ण सुनता नही, भीष्म को सीधे मृत्यु दंड दे दिया गया है और पांडव रनिवास में सोमरस पीकर ठिठोली कर रहें है, एक मैं ही हूँ जो जागकर संसार की इस माया को देखता हूँ पर बोल नही पाता, आवाज़ दबा दी हो जैसे किसी ने
जाहिर है ऐसे में मन अशांत है, छत पर घूमते हुए शुक्र तारे की बाट जोहो और फिर ध्रुव को देखते हुए सुबह की राह पकड़ लो...
[ तटस्थ ]
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बहस इंसानों से की जा सकती है यह समझ बनी दस साल में मोदी महाराज के शासनकाल में मेरी, मैं अवतारों और non biologicals भक्तों से ना बहस कर सकता और ना ही उनके कुतर्कों का जन्म दे सकता हूँ
मेरे पास मेरी सात से दस पीढ़ियों का इतिहास है वंश वृक्षबेल है और मेरे ब्राह्मण नातेदार - रिश्तेदार यही है, मैंने घर, कुल, गौत्र और वंश में अपने सामने कई बच्चों को जन्म लेते देखा है और उन्हें बड़ा होते भी देखा है, मेरे भतीजे, भतीजी, भांजे, भांजी, नाती-पोते और नवासे बाकायदा अस्पतालों में जन्मे है - सामान्य या सिजेरियन ऑपरेशन से और वे स्वाभाविक रूप से Organically develop हुए है, खानदान में आजतक ना गंगा ने बुलाया - ना नर्मदा ने हालांकि नर्मदा मेरे खून में है, ईश्वर का शुक्र है कि सब सामान्य है कोई विकलांग नही, कोई दिव्यांग नही, कोई विक्षप्त नही और कोई Mental Retarted नही अभी तक - कुछ जरूर भक्तिभाव में झुक रहें है
जो मेरी सूची में आता है वह भी यूँही नैसर्गिक पद्धति से जन्मा मनुष्य है और जो उलजुलूल कमेंट करता है उसे भक्त मानकर और अवतार मानकर कमेंट हटाने के साथ सूची से भी हटा देता हूँ क्योकि डॉक्टर इंजीनियर वकील बनें और बाप माँ का रुपया उजाड़ा, देश द्रोह किया - हे कल्कि अवतार तेरी जगह चरणों मे है और तू निकल यह कहकर बेइज्जत करके हकाल देता हूँ
पर ये भक्त - क्या पता नही ससुरे कहाँ से जन्में है
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याद पड़ता है पिताजी और उनके मित्र स्व शामकान्त घोलप देवास जिले के बागली में रहकर काम करते थे, सन 1973 से 1978 का समय रहा होगा, तो स्व श्री कैलाश जोशी जी विधायक हुआ करते थे और पूरे क्षेत्र की आदिवासी जनता और सामान्य वर्ग यह मानता था कि उन्हें चुनाव में हराना कठिन है क्योंकि उन्होंने यह छबि बना रखी थी कि वे देवपुरुष है और उन्हें कोई नही हरा सकता - वे शुभ्र धवल वस्त्र यानी सफ़ेद कुर्ता और धोती पहनकर, संघ की काली टोपी लगाकर घर - घर जाते और कहते " मैं ब्राह्मण हूँ और कुछ मांगने आया हूँ, आप निराश नही करेंगे" बागली में घाट नीचे के के क्षेत्र यानी उदयनगर, पुंजापुरा के आदिवासी समुदाय उन्हें ईश्वर मानते थे और इस तरह से वे जीत जाते थे, वे 7 बार से ज़्यादा विधायक रहें शायद और एक बार प्रदेश के मुख्य मंत्री भी रहें, स्व कैलाश जी व्यवहार में भी सज्जन थे और अपनी दो - तीन माह की लम्बी नींद के लिये राजनैतिक गलियारों में प्रसिद्ध थे
राजस्थान के बांसवाड़ा के हरिदेव जोशी भी लगभग अवतारी पुरुष थे और सबसे ज्यादा विधायक रहने का उनका राजस्थान में रेकॉर्ड है और वे मुख्यमंत्री भी दो - तीन बार बनें शायद, वे भी ब्राह्मण थे
मजेदार यह कि इनमें से किसी ने या और किसी विधायक या सांसद ने कभी नही कहा कि मैं Biological नही हूँ या अविनाशी हूँ या परमात्मा ने मुझे विशिष्टता देकर कोई काम करने भेजा है, परन्तु हमारे मोदी महाराज को यह सब एक वैज्ञानिक समय में सूझ रहा है, इन्हें कभी गंगा बुलाती है कभी यमुना, कभी केदारेश्वर, कभी बद्रीधाम या कभी अडाणी कभी अम्बानी, ये हर जगह जन्में है और धरती के हर बिंदु से इनका नाता है, निश्चित ही अवतार है, बस ये भर बता दें कि वो वयोवृद्ध पूजनीय माताजी कौन थी जिसको मीडिया के सामने माँ कहकर प्रस्तुत करते रहें
अब वे मोदी नही, मोदी महाराज कहलाना चाहते है, वे श्रीराम, कृष्ण, नरसिंह, कल्कि की तरह अवतार है, जैनियों के तीर्थंकर है, सिखों के गुरू है, मुस्लिमों के नए पैगम्बर है, वे जीसस है जो पाँचवे दिन जन्म लेकर फिर आये हैं , वे वेटिकन की तरह बनारस के मक्कार पंडो की सभा से समादृत हिन्दू धर्म के जीते - जागते अवतार है और एक किवदंती है और हम सब सौभग्यशाली है कि उन्हें रंग रूप भेष बदलते देख रहें है और उनका मासूमियत से मशरूम खाना और दिन में पचास ड्रेस बदलना देखकर अपनी मनुष्य योनि को पुण्यवान बना रहे है
महामहिम राष्ट्रपति, केंद्रीय चुनाव आयोग, माननीय सुप्रीम कोर्ट और तमाम संविधानिक संस्थाओं ने अपनी गरिमा खो दी है,ये सब इंसान के ख़िलाफ़ कार्यवाही कर सकते है पर एक देवावतार के सम्मुख किस मुंह से जायेंगे और ये कुछ नही बोल रहे है, मीडिया ने खासकरके एनडीटीवी जिसे हमारे अनुज और ज्ञानी कानूनविद श्री आनंद अधिकारी जी "रंडी टीवी" कहते थे, आज दिन - रात एक करके मोदी को मोदी महाराज और अवतार बनाने पर तुला है, सौभाग्य ही है कि जब दिल्ली सहित 57 लोकसभा क्षेत्रों में आज चुनाव है तो यही रंडीटीवी मोदी महाराज का इंटरव्यू कल दोपहर से प्रसारित कर रहा है और राजगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक अखिलेश शर्मा भी इस सत्संग का लाभ ले रहें है
ऐसे में बड़े भाई Rajesh Badal जी ने जिस दिलेरी से तथ्यों, आंकड़ों और तर्कों के साथ इस पूरे चुनाव में इस सरकार के कामों का कच्चा चिट्ठा खोला और अलग - अलग चैनल्स पर पूरे दम से अपनी बात रखी, वह काबिले तारीफ है, यह सुनिए 31 मिनिट का एक इंटरव्यू और फिर कहिए मोदी महाराज की जय
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