मेट्रो के सम्मान में ____ चेतना पारीक तुम अभी भी माणिकचंद, रजनीगंधा, कमला पसंद या 320, 120 और कीमाम की चटनी वाला पान ख़ाकर रंगे मुंह से मेट्रो में चढ़ती हो राजीव चौक से रोज़ सुबह 8.33 पर वही काला भैंगा ऑटोवाला तुम्हारा आशिक है, जिसके मुंह से रात की बिरियानी सड़े अंडे, सूखे पापड़, बासी सलाद और सस्ती बीयर की बदबू महकती है रास्ते भर या कोई पार्षद फँसा लिया है मेट्रो की भीड़ में ताकती हो अभी भी खोजती हो किसी भोले नत्थूलाल को जब कोई फंस जाता है तो उसे अपनी पर्स से डायरी निकालकर सुना देती हो दस - बारह कविताएँ और कथेतर विधा का कोई ट्रेवलॉग शुक्र है मेट्रो की खिड़कियां बन्द होती है और अब दरवाजे भी दिल्ली में दाहिनी ओर खुलने लगे है 2014 से वरना दर्जनों लौंडे रोज आत्महत्या कर लेते तुम्हारी कविताएँ सुन -सुनकर चेतना पारीक कैसी हो कलकत्ता अब कोलकाता, इलाहाबाद प्रयागराज हो गया विजय मालया को भी इंतज़ार है नीरव मोदी याद करता है तुम्हे ट्राम अब पुरानी बात है ममता नई इंदिरा बन गई देश में अब मोदी जैसा सज्जन पुरुष जननेता है और कल्लू मामा सबसे प्रभावी मैनेजर राजनीति का प्रशांत किशोर पैदल चलता है बिहार में ईड...
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