मातृभाषा मराठी समझ बनाने वाली हिंदी का आभार कि बोलना - लिखना सीख और समझ पाया आपणी मालवी मौसी की भी जय जय चच्ची अंग्रेजी जो आजीविका है, का आभार बाकी रिश्तेदार बघेली, बुंदेलखंडी, निमाड़ी, छत्तीसगढ़ी, हल्की - फुल्की मलयालम, बंगाली, गुजराती का भी आभार - जो संग साथ रहकर ऊर्जा फूंकते रही जीवन में, वक्त बेवक़्त काम आई तो यहाँ तक पहुंच गया फ्रेंच, उर्दू, अभी तक सीख ना पाने का अफ़सोस है बाकी सब चंगा सी #मातृ_भाषा_दिवस *** बड़ा लेखक है एक दिन में 9 से 13 पोस्ट होती है इसकी वाल पर, जिसमें 22 से 28 तक खुद के बंदर की शक्ल वाले फोटो, वीडियो और अपना लिखा होता है, बस इससे पेट नही भरता तो दूसरों को फेसबुकिया कहकर लताड़ता एवं कोसता है अपनी आख़िरी पोस्ट में - और फिर अपनी पोस्ट पर आए कमेंट्स पर जवाबों की बिनाका गीतमाला चलती है - हीहीही, हाहाहा स्टाइल में बोनस के रूप में सबको टैग कर - करके; महिलाओं को जवाब 4 से 5 बार में होता है मज़ेदार यह है नौकरी संग साथ चल ही रही है, एक से डेढ़ लाख हर माह का फोकट मिल ही रहा है, हाँ हर दिन कम वेतन, घर से दूर रहकर जनता को समर्पित जीवन का ज़िक्र जरूर होता है - ठाकुर जी को जैसे...
The World I See Everyday & What I Think About It...