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Posts of 2 Dec 2020

आज मुझे लगा कि सोनू सूद, आमिर खान, मृत सुशांत का परिवार, शाहरुख खान, कंगना, रिया, सोनाक्षी, अमिताभ, धर्मेंद्र, कपूर खानदान, सांसद किसान सन्नी देओल, स्वप्न सुं "डरी" हेमामालिनी, प्रेयसी मीरा रेखा और अनुराग कश्यप से लेकर (अ)प्रकाश झा तक के ज्ञानी, समाज विश्लेषक और परम बुद्धिजीवी समुदाय किसानों के लिए लंगर खोलकर सेवा कर रहे है, सबको परोस रहें है और सेवा में जुटे है

इन सबने अरबों रुपया कमाया है - इन्हीं सबको अपने ज्ञान और विलक्षण कल्पनाशीलता से समाज की, खेती की, गैर बराबरी को बदलने की तकनीक सीखाई है "मेरे देश की धरती सोना" उगले टाईप देशभक्ति के गानों से भक्ति की अलख जगाई है तो अब बेचारे कर्ज़ अदा कर रहें है नमक और गेहूँ की बाली का और सरसों के साग का
अफसोस और सुबु सुबु नींद खुल गई उस गाड़ी की आवाज़ से जो कर्कश स्वर में चिल्ला रही थी - "गाड़ी वाला आया जरा कचरा निकाल" , फिर सो गया कि कचरा तो बनारस में होता है यहाँ कहाँ - मप्र में तो किसान के बेटे और हम सबके लाड़ले मामा का राज है जो जमीनी सिंधिया के समर्थन से मुखिया बने है, वो महान सिंधिया जिसने चंबल में किसानों को अरबों की ज़मीन मुफ्त में दान कर दी अपने खानदान की गौरवशाली परम्परा निभाते हुए और महल खोल दिये है
अबै साला, बन्द कर बै ये भौंडा गाना और सुनहरा स्वप्न देखने दें
***
चाँद आज फिर शबाब पर है, यह सोने की नही जागने की रात है, चाँद को सुबह तक उसके घर छोड़ आना है, कल से घटना शुरू होगा और कोई साथ ना देगा - आज जाग लो संग संग उसके

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हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही