कल गुरुपौर्णिमा है, गुरुओं के छर्रे ज़ूम से लेकर गूगल मीट पर दर्शन के मुंगेरी ख्वाब दिखा रहें है
T&C Applied की तरह गुरुजी के बैंक डिटेल्स भी झाँक रहें है विज्ञापन में
धँधा है पर गन्दा है और धँधा गन्दा होता नही 
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फर्जी गुरुओं राशन हो गया खत्म क्या ?
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे जब कोरोना काल मे बंद थे और भगवान तक क्वारेन्टीन में रहें तो इन गुरुओं के छद्म खेल क्या समझ नही आ रहें
यहाँ गुरु से आशय धार्मिक पाखंडी गुरुओं से है जो तमाम चोंचले करके जनता को मूर्ख बनाते है - भैय्यू महाराज याद है ना जो आत्महत्या कर मरा पिछले बरस - देश दुनिया तमाम ऐसे पाखंडियों से भरी पड़ी है और कमाल यह है कि पढ़ें लिखें लोग इनके चक्कर मे फंसे है
खूब गुरुओं के देखा और समझा - मतलब हद ये कि कबीर, बुद्ध से लेकर वशिष्ठ तक के नाम पर लोग पूजा पाठ का ढोंग करके दान दक्षिणा, कपड़े लत्ते और सूखा अन्न लूट लेते है - इन पर तो मुकदमे दर्ज होना चाहिये जो अंधविश्वास फैलाकर जनता को मूर्ख बनाते है
एक बात सोचिए क्या आपके गुरु इतने महान है कि रोटी नही खाते या उन्हें पसीना नही आता या संडास बाथरूम जाना बंद हो गया है और इंसान से भगवान बन गए है - आप जैसा ही हाड़ मांस का साधारण इंसान है तो क्यों पाँव पड़ रहे उसके और लूटा रहें हो अपनी मेहनत का धन
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गुरु गोविंद दोई खड़े
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1- जहाँ न पहुँचे रवि
वहाँ पहुँचे कवि
2- मीडिया चौथा स्तम्भ है
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इन दो मूर्खता पूर्ण अतिश्योक्तियों ने कवियों को और पत्रकारों को इतना खोखला कर दिया है कि उन्हें लगता है वे हर बात जानते हैं, सर्वज्ञ है और उनसे ज्यादा गुणी और ज्ञानी कोई नही है - मतलब वे राजनीति से लेकर अर्थ, सामाजिक, भूगोल, दर्शन, मनोविज्ञान, चिकित्सा शास्त्र, अभियांत्रिकी, खगोल, नृतत्त्व शास्त्र, लोक प्रशासन, गुप्तरोग, कानून, फ़िल्म तकनीक तक सब जानते है और हर विषय पर कविता से लेकर तमाम तरह की बकवास पेल देंगे और यदि आप पढ़े तो अंत में सिवाय हाथ मलने के कुछ नही होगा
सोशल मीडिया ने इस ट्रेंड को बढ़ाने में बहुत बड़ा रोल अदा किया और हमें कोरोना का शुक्रगुजार होना चाहिये कि लॉक डाउन की अवधि में इन दोनों के असली चेहरे सामने आए है - इन्हें थोड़ा ध्यान से पढ़ेंगे तो आप पायेंगे कि कॉपी पेस्ट, सन्दर्भ, किताबों से चोरी किया माल और पुरातन की ही नकल है जिसे आंग्ल साहित्य में Theory of Imitation की लम्बी बहस के बरक्स देखा जा सकता है
यह दुर्भाग्य है कि हम चमत्कारिक भाषा, चित्र जो 99.999999 % स्वयं के होते है - भयानक आत्म मुग्धता भरें, से प्रभावित होकर मोहित हो जाते है पर थोड़ा सोचने विचारने पर इनकी गन्द सामने दिखने लगती है, अभी दो पोस्ट पढ़ी दो युवाओं की - जो स्वयंसिद्ध बनकर सबको निपटाने के चक्कर में हैं
परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि इन श्लाघा पुरुषों को ( Using as Common Gender ) सदबुद्धि दें - अगर परमपिता कही है तो, कल इन सबके भक्त इनके हत्थे चढ़े और इनको सबको जमकर धुन दें, गुरुपौर्णिमा पर इनके मुगालते दूर कर इन्हें बकलोली करने से रोकें और शिष्य एवं भक्तगण जब मठों से निकले तो बकौल मुक्तिबोध इनके गढ़ और मठ तोड़कर निकले
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मामा - नरो वा कुंजरो वा
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शिवराज जी सत्ता छीनी जाये इसके पहले निकल लेना बेहतर उपाय नही ?
कुरुक्षेत्र में आपकी सब चाल विफल हो गई हतो हतो के अलावा कुछ शेष नही है, ये उप चुनाव हो जाये तो बची खुची इज्जत भी समाप्त हो जायेगी
कांग्रेसी सत्ता के भूखे है फिर वो भाजपा में रहें या बसपा में या वामपंथ में - लीचड़ है इसलिये सत्ता तो ले ही लेंगे - आपको इन 14 से क्या उम्मीद है और 41% बहुत होता है और सरगना एक सामंत है - भले ही राजे रजवाड़े बिक गए पर मराठा आन, बान और शान का भ्रम और मुगालता तो आपने ही बढ़ाया है और आपके हाईकमान तो है ही सम्पत्ति और लक्ष्मी के उपासक - देख नही रहें देश बेच दिया
असली खतरा आपको मप्र के लोगों से नही बल्कि शीर्ष नेतृत्व से है - जिसकी आँख की किरकिरी आप गत 16 वर्षों से झेल रहे हो - क्योकि आप एक इंसान के रूप में बेहतर मनुष्य हो और कुशल संगठक भी - जाहिर है ऐसे लोगों को कोई बर्दाश्त नही कर सकता, खासकरके तब जब आपकी योग्यता देश को सम्हालने की हो, अनुभव में दक्ष हो और दांव पेंच समझते हो - मोदी के बाद कौन में खड़े लोग आपको सांस नही लेने देंगे
शिवराज जी, दुख है कि जिस कांग्रेस को कोसते और आईकॉन दिग्विजय सिंह को घेरते हुए आपकी उम्र चली गई - उन्ही दिग्विजय सिंह ने अपने पड़ोसी राजा के साथ हाथ मिलाकर गुप्तचरी करके कमलनाथ को सत्ता विमुख किया और अब आपके माथे ये 41 % मंत्री जड़ दिए - जो जनता दरबार मे तो हार ही जायेंगे , पर इतिहास में आपका 16 वर्ष का लेखा जोखा बर्बाद ही नही होगा - बल्कि एक अवसरवादी, दब्बू और झुक जाने वाला नायक के रूप में वर्णित होगा
या तो आप अब भाजपा "ब" बना लें और इसी मप्र में बिसात बिछाये या सच मे नर्मदा परिक्रमा कर लें - इसके अलावा कोई और चारा नही - आपको लगता है सिंधिया की ये गोटियाँ आपको चुनाव तक चैन भी लेने देंगी - मराठा शासकों के ध्वंस हो चुके किले जिसमे चंबल, मालवा और हल्का सा निमाड़ जो राजनीति की लाइफ लाइन है - नर्मदा समान, आपको अपने अभेद्य किले नही ताकने देंगे और सिंधिया और दिग्विजय मिलकर राज करेंगे - घुटने पेट की तरफ ही मुड़ते है याद है ना और फिर अपने पुराने सखा कैलाश भाई और उनके तोते जिसमे कैलाश भाई के प्राण बसते है - मेंदोला से कैसे निपटोगे , इंदौर वैसे ही आने में आपके प्राण हलक तक आ जाते है
अपने गोपाल भार्गव और नरो में उत्तम से भी कैसे जूझेंगे रोज - रोज , उधर तोमर जी भी सिंधिया के दबाव में हाईकमान को ही नही मना पायें तो आपकी मदद तो करेंगे ही नही - बल्कि हो सकता है चुनाव बाद वो ही काबिज हो जाये - भाजपा की नीतिगत वजहों से आपके शासन काल की बहुत बुराईयां की है - पर एक निर्मल, योग्य, सहज , प्रशासक और ठीक व्यक्ति के रूप में आपका प्रशंसक हूँ और रहूँगा पर अब वो छबि धूमिल ना पड़ जाएं इसलिये कुछ करिये
दो ही रास्ते है या तो वानप्रस्थ पूर्णतया या किसी योग्य शकुनि को खोजकर महाभारत करें - भले ही अंत मे हारना पड़े - वैसे भी आप खेल हार चुके है और अब कोई तर्क आपके पक्ष में खड़ा नही दिखाई देता
जै जै, आशा है कल ठीक से सोयें होंगे बगैर कोई स्लीपिंग पिल्स लिये
स्वस्तिकामनाएँ
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कलेक्टर , एसपी , थानेदार, तहसीलदार अलग डॉक्टर्स पर चढ़े रहते है कि क्यों नही ठीक होते साले मरीज...
अभी पिछले हफ्ते में कलेक्टर ने जिला अस्पताल में राउंड पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर को पूछा कि इसकी उल्टी क्यों नहीं बंद हो रही है, 2 दिन में अगर ठीक नहीं हुई तो सस्पेंड कर दूंगा - जब मरीज ने कलेक्टर के सामने फर्श पर उल्टी कर दी तो
अब बताओ कलेक्टर एसपी को मेडिकल का कितना ज्ञान है और फिर हर आदमी की तासीर अलग-अलग होती है
सीएमएचओ बोला कि " सर हो जाएगी आप चिंता ना करें "
मैंने कहा - " कैसे करोगे "
डॉक्टर बोला - "मरीज बदल दूंगा उसको थोड़ी याद रहेगा अगले राउंड तक मरीज का चेहरा "
अब बंदर के हाथ मे उस्तरा है, अल्लाह ही मालिक है
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[ डॉक्टर्स डे स्पेशल - चिकित्सा अधिकारी - प्रशासन पे भारी ]
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एक अजीब सा मूर्ख वर्ग पैदा हो गया है - दलित, वंचित , अजा/ अजजा लिखो भी नही, बोलो भी नही - यदि आपने लिख दिया तो आप जातिवादी , शोषक , ब्राह्मणवादी, अपराधी और अत्याचारी हो गए
और आप सवर्ण, ब्राह्मणों को , सवर्णवाद ब्राह्मणवाद को खुलकर गाली दो चौबीस घँटे - वो सब जातिवाद और नस्लीय टिप्पणी नही है
डाक्टर अंबेडकर महान है, विद्वान है - इसमें कोई शक नही, पर इसका यह अर्थ नही कि बाकी सब मूर्ख और गधे है - अंग्रेजी में कहते है You may be wise but others are not fool
सबको फायदा चाहिए - जात , धर्म के नाम पर - आरक्षण चाहिए - शिक्षा, नौकरी, वजीफ़ा, प्रोन्नति में , यहाँ तक कि चुनाव लड़ने में भी - क्योकि व्यवस्था है, संविधान में प्रावधान है पर बोलो मत, कुछ कहो मत क्योकि इससे दिक्कत होती है - आप नस्लीय हो जाते है तुरन्त
सरनेम की अव्वल तो जरूरत नही पर अगर किसी व्यवस्था के तहत जरूरी है तो बताओ ना क्यों शर्मा, सिन्हा, भार्गव या कुमार या आलतू फालतू के उलजुलूल नाम रखकर छुपाना, बोलने पर जब यह हिम्मत है कि अपना संविधानिक अधिकार ले रहे है किसी के बाप से डरते नही तो छुपा क्यों रहे हो और किससे, हजार दस्तावेज़ रखना क्यों फिर जो हर जगह चस्पा कर फायदा लेना है तो
सबसे ज्यादा जातिगत आरक्षण और सुविधाओं का फायदा इन सचेत और जागरूक लोगों ने लिया है और अपनी जाति का नुकसान किया, बदनाम किया और अपने ही लोगों को कुचला है - यही हाल सवर्णों में है जिन्होंने स्वार्थवश सबका भयानक नुकसान किया और आज दो कौड़ी की इज्जत नही - ना घर मे ना समाज मे
असली हक़दार तो आज भी सड़कों पर झाड़ू लगा रहें हैं, छग के जंगल मे विस्थापित हो रहे है, पुलिस की गोली के शिकार हो रहे है, मैला ढोकर साफ कर रहे है और ये ही नौकरी प्राप्त कर चुके लोग उनसे छूत का व्यवहार कर उनका शोषण कर अँधेरों में रख रहे है
कल एक पोस्ट लिखी थी - जिसमे दलित, पिछड़ा शब्द लिखा था जो कि मान्य और प्रचलित है, उन्हें मिलने वाली सुविधाओं की बात थी - पर साहब बोलिये मत - हमे सब चाहिए , हर तरह का फायदा लेंगे, पर बोलिये मत - बदतमीजी पर उतर आए बहुत लोग जिन्हें नाक पोछने का शउर नही, जिन्होंने संविधान देखा नही - वो अधिकार की बात कर रहें और गाली देना तो फिर शौक है ही - बाकी सब हथियारों की जानकारी है ही - सुविधा लेने के लिए हम वंचित है - सच नही सुनना चाहते
कमाल का देश है, पहले सहानुभूति होती थी - अब इन पढ़े - लिखे ज़ाहिल और सुविधा ले रहे लोगों से नही बल्कि उनसे होती है जो आज भी कट्ठीवाड़ा से आकर इंदौर में डेढ़ सौ रुपये रोज पर मजदूरी करता है, सतवास के उस लड़के से होती है जो इंदौर के 5 - 6 नर्सिंग होम में संडास धोने का काम करता है और दसवीं पास है और किसी ने मदद नही की, एमवहाय अस्पताल में उस महिला से सहानुभूति है जो धार के तिरला ब्लॉक की है और लेबर रूम में गन्दा काम करती है जच्चाओं की सफाई वाला, क्योकि इन सबको कोई मदद नही मिली और इनके ही लोगों ने इन्हें आगे नही आने दिया - ये लोग हकदार है - वास्तविक पर बोलिये मत
बात करते है वर्ग , वर्ण और जात पात की - सबसे ज़्यादा फर्जी वामपंथियों ने यह कूड़ा कचरा भरा इनके दिमाग़ में, जो खुद पंडिताई करके धंधे चला रहे है, वर्षों से जोंक की तरह से संगठनों में चिपके बैठे है और इन्हीं दलितों की बियर पीकर खून चूस रहे हैं
जिसे बहुत ज्यादा दिक्कत है सच्चाई से वो निकल लें , ज्यादा ज्ञान देने की जरूरत नही - आप देशी विदेशी रुपया छानो, मलाई खाओ , दारू पियो जमकर दलित - वंचित बनकर, चेयर पर बैठो विवि में और अकादमिक संस्थाओं में, नौकरी में धड़ल्ले से प्रमोशन लो, पांचवी पीढ़ी को भी फायदा लेने दो, अपनी औलादों को विदेश पढ़ाओ और प्रशासनिक सेवाओं में चिपकाओ और स्वर्णवादियों को, ब्राह्मणों को, बनियों को, ठाकुरों को और अपने ही लोगों को गलीज़ कहकर गाली दो - ये कहां की बात है
लिस्ट वैसे ही 5000 की हो गई है, बहुत बड़े - बड़े अम्बेडकरवादी देखें - जो दो पेग के बाद अंबेडकर और फुले की माँ बहन करते है , घटियापन में कुत्तों की तरह गाली गलौज करने लगते है, चार चार औरतों के पीछे पड़े रहते है और सवर्ण भी इनसे कम नही बल्कि बीस ही होंगे - सबूत है अपने पास सबके
खैर , टिप्पणी समझ ना आये तो कमेंट करने के बजाय मेरी लिस्ट से निकल लेना
Remember " World is not perfect, ignore some stuff time to time and try to have a laugh in life "
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World is not perfect, ignore some stuff time to time and try to have a laugh in life
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मध्यम वर्गीय - दो कौड़ी की औकात है तेरी
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मध्यम वर्ग झुनझुना बजाओ - तुम इसी लायक हो कमीनो, मेहनत करो, टैक्स भरो और घण्टा बजाओ
इस धन्यवाद और नमन की माला बनाकर गले में पहन लो और जुलूस निकालो अपना
याद आते है अपनी लॉ की कक्षा के वे छात्र जो डेढ़ दो लाख की बाइक पर आते है, एक्टिवा चलाते है, रोज पार्टियां करते है - हजार डेढ़ हजार यूँही उड़ा देते है और स्कॉलरशिप लेते है - अल्पसंख्यक, दलित और पिछड़े होने के नाते, मुफ्त की किताबें, रजिस्टर - पेन लेते है और बेच देते है सबकुछ और हम मध्यम वर्गीय जेब से रुपया लगाकर किताबें खरीदे, फीस भरें और चुपचाप भी रहें - क्योकि मध्यम वर्गीय है इस देश मे सिवाय जूते खाने के कुछ और है ही नही
बोलों मत - सब सहो और समर्पण करते रहो, जिन लोगों को सड़कों पर पैदल चलते देख सहानुभूति जन्मी थी वे लोग एक माह भी नही हुआ और ट्रेन और वॉल्वो में बैठकर पुनः मजदूरी पर जाने लगे हैं - सही है कि सरकार कुछ नही कर पा रही तो मजदूरी करना पड़ेगी, गांव में नही मिलेगी पर इस मध्यमवर्ग को तो आप चूतिया समझकर लॉक डाउन के नाम पर मार डाला और जिनकी नौकरियां सुरक्षित रही उनकी तनख्वाह 70 % तक काट ली
क्या यह राशन सबको नही दिया जा सकता, क्या बिजली के बिल नवम्बर तक माफ़ नही किये जा सकते, क्या स्थानीय निकायों के बिल मसलन पानी, हाउस टैक्स माफ़ नही किया जा सकता , क्या पेट्रोल डीज़ल सस्ता नही किया जा सकता, क्या 6 गैस की टँकीया नही दी जा सकती निशुल्क, गरीबों को सब दे दो 7- 8 बच्चों की डिलीवरी के लिए 108, 14000/- मातृत्व वंदन योजना, गैस रिफिल, राशन, पेंशन, मनरेगा, ऋण, लोनमाफ़ी से लेकर, उपर से दलित हो तो पूछो ही मत ऐसे समय मे सोने में सुहागा है
सब दारू के ठेके खुले है , नवम्बर तक खाने की चिंता नही है, एनजीओ और मध्यमवर्गीय दया करके सब्जी दूध दे देंगे, पोषण कुपोषण का चक्कर है ही नही, खाते में नगद आ ही जाएंगे - बस दारू पियो और ऐश करो और साले मध्यम वर्गीय तुम रिस्क लेकर नौकरी करो, 70 % कम तनख्वाह लो, दान करो, दया दिखाओ - ढोल वाले से लेकर शनि महाराज तक के लिए -काम वाली बाई को भी तनख्वाह दो भले वो चार माह से न आ रही हो - मरो, पर देश हित में काम करो - क्योकि इन 80 करोड़ गरीब लोगों को पालना सरकार की नही - तुम्हारी जिम्मेदारी है, ये सरकार नामक हरामखोर विधायक सांसद खरीदेंगे और महामारी बढ़ाएंगे
उच्च वर्ग को कोई फर्क नही पड़ रहा - ज्यादा कसोगे तो वो तुम्हारा नाड़ा खोलकर रुपया लेकर भाग जाएगा विदेश और तुम बजाते रहना घण्टा - वो चंदा भी देगा तुम जैसे भिखारियों को और अपने इशारों पर भी नचायेगा, उखाड़ लेना जो उखाड़ना हो उसका
कुल मिलाकर इस देश के मध्यम वर्ग को तुमने विशुद्ध बेवकूफ समझ रखा हैं - गलती तुम्हारी नही है - यह वर्ग है ही कायर, दब्बू और घोंचू जो थाली घण्टा बजाता है और तुम्हारे जयकारे - किसी दिन फंसना पर यह भी नही होगा क्योंकि ये लोग फट्टू है और मूर्ख है इनकी औकात ही यह है कि दस जूते खाते है और एक भी नही गिनते है और मुस्कुराकर खड़े है पलक पाँवड़े बिछाकर
डूब मरो रे - डूब मरो , तुमसे बड़ा बेवकूफ कोई नही मध्यम वर्गीय जाति वालों
जो बात एक दो कौड़ी का बाबू कह सकता था, एक प्रेस विज्ञप्ति से बताया जा सकता था वह बताने के लिए एक प्रधान मंत्री पूरे देश के 138 करोड़ लोगों का समय बर्बाद कर देता है यानी सरासर बेवकूफ बनाता है और 138 x 17 मिनिट की इस बेवकूफी का खर्च भी तुम्हारी ही खाल उधेड़ कर लिया जाएगा मध्यम वर्गीय - समझे या नही
चल भाग यहाँ से - काम कर बेवकूफ
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