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बंकर में बकलोली and Resign All Responsible 26 and 27 Feb 2020

बंकर में बकलोली
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किसी ने पूछा कि इस विचित्र समय में साहित्य समय का दर्पण है जैसी बात सीखाने वाले हिंदी के लेखक चुप क्यों है
सीधा जवाब है - नौकरी, परिवार, पद, प्रतिष्ठा, पुरस्कार और प्रमोशन की होड़ में तलवे चाटना मजबूरी नही - मजबूती है और ये सब इसे अच्छे से जानते बुझते हुए निभा रहे है
बाकी भाषाओं में तो संघर्ष ,गहरा प्रतिरोध है पर हिंदी का लेखक,कवि, कहानीकार , आलोचक और उपन्यासकार सबसे ज्यादा मक्कार और स्वार्थी है सिवाय अपने बंकरों में बकलोली के अलावा कुछ नही कर सकता, कबीर यात्रा के समापन पर दिल्ली विवि के एक प्रोफेसर सरोज गिरी ने पूरी जनता के समक्ष और देवी अहिल्या विवि की कुलपति रेणु जैन के सामने कंफेस किया कि हम नही बोल सकते, ना युवाओं से बात कर सकतें और ना लिख सकते हैं - हम डरते है क्योंकि नौकरी गई या कुछ हो गया तो हमारा क्या होगा
दिक्कत यह है कि हमने कॉलेज, विवि या स्कूल मास्टरों को, हिंदी विभागों के लोगों को साहित्यकार मान लिया है जो नौकरी में बने रहने और प्रमोशन के लिए लिखते, पढ़ते और शोध करते है, हवाई यात्राएँ करते है, इन्हें ही माइल स्टोन मान लिया है, कुछ घटिया सम्पादकों की जी हुजूरी में अपना सर्वस्व न्योछावर कर रहें है जिनके मेल आई डी का पासवर्ड भी उन्हें याद नही और वे प्रगतिशीलता के झंडे उठाये घूम घूमकर ज्ञान के केंद्र बना रहे है और आयोजको से बेशर्मी से विदाई, किराया भाड़ा, दारू मुर्गे के रुपये ऐंठ रहे है - मृत्यु के कगार पर इन्हें 1000 से लेकर 11,0000 या इक्कीस लाख चाहिए दो कौड़ी का लिखें के बदले
दूसरा मीडिया के कुछ लोग - जिनकी साहित्यिक समझ न्यून है और वे साहित्य के पेज सम्हाल रहे है एमजे बीजे करके - वे कविता कहानी का चयन करते है , सो ये सब उनकी चरण रज लेने ने लगे रहते है और उनके सामबे ये नागिन डांस करने को भी तैयार है
तीसरा फेसबुक ने आत्म मुग्धता को फैलाने का बड़ा माध्यम इन्हें दिया है और इनके हर कचरे को इनके शोधार्थी चैंपते रहते है क्योंकि डिग्री लेकर कही सेट होना है, ये सब कोसते थे पर 24x7 यही डटे रहते है - हर महिला की वाल पर अदभुत, नाइस, से लेकर लव की स्माइली चेंप देते है
प्रकाशकों का धंधा तुम्हारी - हमारी किताब से नही इनके कचरे से चलता है चाहे फिर वो प्राध्यापक हो या प्रशासनिक अधिकारी क्योकि बड़ी खरीद तो वो करवाएंगे हम नही
सबसे ज़्यादा सांप्रदायिक, जातिवादी और घनघोर मतलबी और फिरका परस्त इस समय मे हिंदी का लेखक है - जिन लोगों से मार्गदर्शन की उम्मीद है वे अमेजन की लिंक डालकर मुग्ध है , अपने फोटो, उदघाटन, चाटन में व्यस्त है , गरीबी पर लिखने वाले अपनी हवाई यात्राएँ दिखाकर ख़ुश है
यहाँ जो पोस्ट लिख रहे है ज्ञान बांटकर जनता का और साहित्य का भला जबरन कर रहें है उनका चरित्र प्रमाणपत्र देख लो या भीत झांक लो सब सामने आ जायेगा
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दिल्ली के भयावह वीडियो देखें
कुछ नही कहना है
राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, गृहमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित दिल्ली के मुख्य मंत्री इस्तीफ़ा देकर राजनीति, प्रशासन और न्याय पालिका से सदा के लिए अलग हो जाएं
कांग्रेस से लेकर सभी पार्टियां दोषी है, अविलंब मीडिया के सफेदपोशों को गिरफ्तार कर चैनल्स पर प्रतिबंध लगाया जाये - रुबीना, अर्नब, रजत, अंजना, सुधीर , रोहन से लेकर सुदर्शन चैनल तक के एंकर्स को गिरफ्तार किया जाये ताकि इनकी वजह से दंगे ना फैले
इतने नाकाम और गैर जिम्मेदार हुक्मरानों से कोई उम्मीद नही की जा सकती और ना ही और एक मौका दिया जा सकता है
बस , उन सभी लोगों के लिए प्रार्थनाएँ जो पीड़ा का दंश इन अति लोलुप और स्वार्थी लोगों के कारण झेल रहे है

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