किताबें कहाँ मिलेंगी, गूगल करो - सब मिलेगी नही तो अभी दिल्ली में किताबों का हाट लग रियाँ है , किलो से मिलेगी, खरीद लाओ या मंगवा लो किसी से , कोई दिलजला तो जाएगा ही बेहतर है चले ही जाओ, एक एक प्रकाशक एक एक दिन में एक एक सौ किताबों का विमोचन करवा रियाँ है - बड़े बड़े बल्लम किताबों का केशलोचन, ओह सॉरी लोकार्पण करेंगे दिन भर - जो किश्तों में आएंगे और रखें हुए सूखे पेड़े ख़ाकर जाएंगे या बापड़ा लेखक फ्रेश मिठाई ले आयें, वो भी मिल जायेगी तो मल्लब जाने में फायदा है नही गुरु , तंज भी नही समझते, तुम साला साहित्य पढ़ना - समझना ही छोड़ दो , अबे इत्ती सारी किताबें कोई छापता है क्या और पढ़ता है क्या - सब माया है ( बापड़े मार्क जुकरबर्ग को अगले डेढ़ माह अरबों जीबी फोटू चैंपवाना पड़ेगी अब ) कैसे है संदीप जी जी, ठीक हूँ, क्या हुआ आपका फोन आया 26 जनवरी 19 के बाद, सब ठीक है ना ... जी, जी सब ठीक है - आप आ रहें है ना 5 से 15, हम इंतज़ार करेंगे आपका , सभी मित्र भी आ रहें ना , मैं परांठे लाऊंगी आपके लिये, वही प्रगति मैदान में बैठकर खाएंगे सब मिलकर ओह, पुस्तक मेला आ भी गया क्या, तभी यह फ...
The World I See Everyday & What I Think About It...