कन्हैया का भाषण सुनकर याद आया कि कल ही संसद में परम पूज्य दुनिया के सबसे बड़े सर्वमान्य नेता, लोकतन्त्र के उपासक , काला धन के प्रणेता, भारतीय संस्कृति को जगसिरमौर बनाने वाले श्रीश्री 1008 नरेंद्र मोदी, माननीय प्रधान मंत्री, भारत सरकार, ने कहा था -
कुछ लोगों की उम्र तो बढ़ती है, लेकिन समझ नही।
स्वमूल्यांकन तो नही कर रहे थे - क्या कहते है अँग्रेजी में Introspection !!!!
इति !!!
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कन्हैया जो कह रहा है उस पर तार्किक बात करो उजबक, मूर्ख और संघी doctored रटी रटाई बातों पर कोसो मत मित्रों। और वो नेतागिरी कर रहा है तो यह ध्यान रहें कि सारा ठेका गली मोहल्ले में पड़े और कुंठित हो रहे टुच्चे लोगों ने नही ले रखा है, तुममे से कोई एक भी इस तरह का तार्किक भाषण दे दें, विस्मृति से लेकर महामात्य भी तो मान जाऊंगा।
असल में सत्यमेव जयते को तुम लोगों ने अपनी "फादर प्रॉपर्टी" समझ लिया इसलिए कन्हैया का एक एक शब्द नश्तर की भाँती चुभ रहा है।
मुझे द्रोपदी के शब्द याद आते है जो भीष्म के लिए थे कि नमक उनका खाया है ना तो सत्य के समर्थन में न्याय कैसे करोगे , तुम लोग तो कर्ण बन गए हो जो सत्य को जानते हुए भी गलत के साथ खड़े हो । अपनी नही, देश की नही पर अपनी औलादों के लिये एक सही, अच्छे और न्याय पर टिके समाज के लिये बोलो, सोचो और तय करो।
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आईये मुझे कोसिये
मैं कन्हैया को 2019 या 2024 के चुनावों के बाद भारत के प्रधानमन्त्री के रूप में देखता हूँ ।
नए गठजोड़ में अरविन्द केजरीवाल, बसपा और जे एन यु पार्टी मिलकर देश में सरकार बनाएंगे।
जल्दी लग रहा है या आपको मैं उतावला लग रहा हूँ या ...... आप रिक्त स्थान की पूर्ति करें , पर यह ना भूलें स्व दुष्यंत कुमार बहुत साल पहले लिख गए है
लाल सूरज अब उगेगा, देश के हर गाँव में
अब इकठ्ठे हो चले है, लोग मेरे गाँव के
ले मशालें चल पड़े है, लोग मेरे गाँव के !!!
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You tell me one leader of 29 years old leader in last 70 years who could speak so smartly with logics, facts, satire, vision, action and clear strategy in a spontaneous way and extempore. Neither Nehru, nor Gandhi, nor Ambedkar nor even Modi. He may fail tomorrow but his speech is a world heritage. Accept it generously.
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