Dr Anula Khare यानि हमारी मित्र अनुला, आज इनसे भोपाल में 27 बरसों बाद मिला. सन 87 - 88 की बात है एकलव्य देवास से दवाईयों को लेकर एक जनविज्ञान यात्रा निकल रही थी हम सब युवा जोश में शामिल थे , बर्तोल्ड ब्रेख्त की कविता " डाकटर हमें मालूम है अपनी बीमारी का कारण" जैसी सशक्त रचना थी, डा मीरा सदगोपाल , डा प्रीती तनेजा और उनके दो विद्यार्थी राजीवलोचन शर्मा और मोहम्मद अली आरीवाला के साथ कई लोग इस यात्रा में थे. दो छोटी सी नन्ही कलाकार भी थी जिनमे एक वन्दना मालवीय और अनुला थी. बस उसके बाद अनुला से थोड़ा सम्पर्क रहा, बाद में वो इंजीनियरिंग करने चली गयी फिर शादी और सम्पर्क टूट गया. पिछले हफ्ते अचानक लिंकडेन पर मिल गयी खूब बातें हुई और आज आखिर भोपाल में प्रत्यक्ष मिलें, हमारी लाडली अनुला आज भोपाल के एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग महाविद्यालय की प्राचार्या है और शादी के बाद अपने पति के सहयोग के कारण एम टेक किया, पी एच डी की, यूरोप घूमी और आज एक बड़े स्टाफ और कई ट्रेंड पढ़ने और पढ़ाने वालों को मैनेज करती है.
दो प्यारी सी बेटियाँ है, एक जेंडर प्रशिक्षण कार्यशाला में अनुला ने बहुत प्रभावी उदबोधन दिया इतना कि वहाँ उपस्थित महिलायें और किशोरियां अनुला को देर तक घेरे रही और पूछती रही सवाल और संतुष्ट होती रही, लड़कियों को एक राह मिली और कुछ ने तो संकल्प भी लिया.
वाह अनुला मजा आ गया यार तुम्हे इत्ता बड़ा देखकर, अदभुत दोनों बहने अनुला और सोनुला गजब की होशियार और तेज तर्राट , गर्व होता है और अपने को तुम लोगों से जुड़ा होने का फक्र भी. !!!!
क्या आपने अनुला नाम सुना है ? सम्राट अशोक ने जब बुद्ध धर्म ग्रहण करके बुद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपनी बहन संघमित्रा के साथ दुनिया के कई देशों में गए तो श्रीलंका भी गए और वहाँ वे मिलें वहाँ की राजकुमारी से जिसका नाम अनुला था, और बाद में अनुला ने भी बौद्ध धर्म ग्रहण किया और अशोक के साथ भारत आई थी.
खैर खुश रहो अनुला, खूब तरक्की करो यश कमाओं और आगे बढ़ती रहो.
Comments