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"मार्च सा जीवन "




रोज सोचता हूँ कि बस आज से 
कुछ करूंगा ऐसा कुछ कि 
जीवन जीवन सा लगे 
अपने आप को ही खुश कर पाऊं 
थोड़ा सा जी सकूं अपने लिए ही 
पर जब बैठ जाता हूँ तो याद आता है कि 
गैस का नंबर लगाना है 
टेलीफोन का इधर बिल आया पडा है
पासपोर्ट दिया था नवीनीकरण के लिए 
थाने से आगे कोई कार्यवाही हुई नहीं
बिजली का बिल भी फिर से बनवाना पडेगा 
गुम गया था उस दिन हाट-बाजार में 
तेल के भाव कम है तो दो पीपे लेकर पटक दूं 
गेंहूं आ गया है कही साफ़ सुथरे देखकर भर दूं 
नगर निगम में टैक्स भी जमा करना है 
जलकर और पानी का रूपया जमा भी करना है
ओह आरटीओ में अपने लायसेंस को भी देना था 
जब उठाता हूँ फोन तो याद आता है कि 
इसका भी सॉफ्ट वेयर अपडेट करना है स्क्रीन में दिक्कत है 
उधर फोन आता है कि फ़ार्म 16 को दिए बिना 
सीए कुछ भी नहीं कर पायेगा रिटर्न में 
गाडी में प्लग खराब है जब तक बदलूंगा नहीं 
चलेगी नहीं और कैसे ढोएगी मुझे 
अटका पडा था एटीएम का नंबर तो बैंक का तगादा 
लगता है मै गलत बैठ गया  
यह समय बैठने का नहीं खड़े होकर 
अपने बीपी को नार्मल रखकर 
घर से दो ग्लास ठंडा पानी पीकर 
और मिजाज सहज रखकर 
एक मुस्कराहट ओढ़कर बाहर निकलता हूँ
और मुल्तवी कर देता हूँ एक बार जीवन जीने को 
बन जाता हूँ हिस्सा इस मशीन का
फिर कभी जीवन की बातें आज तो 
बीत रहा है जीवन किसी मार्च सा. 

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