दुनिया भर में आज का दिन दोस्ती का दिन कहलाता है । कहते है की अमेरिका में किसी व्यक्ति को शनिवार के दिन फाँसी दे दी गई थी उसके दोस्त ने रविवार के दिन अपने दोस्त की याद में आत्महत्या करली तब से अमेरिकन सरकार ने अगस्त माह के पहले रविवार को दोस्ती के नाम घोषित कर दिया है और दुनिया भर में ये दिन दोस्तों के नाम कर दिया गया है।
मुझे लगता है की सिवाय मुर्ख बनने और बनाने के इस बाज़ार ने हमें कुछ दिया नही है, पिता दिन, माँ का दिन , शिक्षक दिवस प्रेम का दिन और दोस्तों का दिन......... बहरहाल दिन है तो संदेश भी आएंगे और जवाब भी देना होंगे वरना कंजूस की उपाधि से विभूषित कर दिए जायेंगे ।
अपने दोस्तों के बारे में सोचता हू तो इतना याद आता है की एक लिस्ट बने जायेगी तो शायद वेब पेज पर जगह कम पड़ जायेगी और फ़िर भी लिस्ट अधूरी रह जायेगी । स्कूल के दोस्त , कॉलेज के दोस्त , नौकरी धंधो के दोस्त, अपने सुख दुःख दर्द के दोस्त, और वो लोग जो इस राह में मिले और न जाने कहा बिछड़ गए आज याद आ रहे है। एक बार में इंदौर के एक मनोचिकित्सक के पास गया था की मुझे सब भूलना है ताकि एक नए सिरे से अपनी ज़िन्दगी की शुरुआत कर सकू वह थोडी देर तो मुझे समझाता रहा फ़िर बोला दोस्त दुनिया में स्मृतिया सबसे सुहानी होती है मेरे चालीस साल के सफर में तुम पहले आदमी हो जो भूलना चाहते हो यहाँ लोग याद रखने की दवा लेने आते है। क्या भूलू क्या याद रखू , जैसी स्तिथि हो गई है अब तो पर एक बात तो तय है की वो दोस्तिया जरुर चुभती है ठेस देती है पर सुकून नही देती।
उम्र के इस पड़ाव पर जो लोग आज साथ है वो मेरे लिए किसी वरदान से कम नही है। अकेले रहने का फ़ैसला मेरा था अपने गम खुशियों के साथ जैसे तैसे तिर्यालिस बरस निकल लिए और अब तो ढलने की बारी आ रही है पता नही कुछ कुंठा और कुछ गिला शिकवा रहा होगा तभी तो दो प्यारे से बच्चो को गोद ले लिया है अपूर्व और मोहित और बस दोस्ती यारी दुश्मनी इन्ही से निभानी है अब..................
हा कुछ दोस्त शगुन के नाम पर है पर इस भोपाल शहर ने उन्हें भी तोड़ने के कगार पर ला दिया है । एक बात जरुर में कहना चाहूँगा पुरी ईमानदारी से की जिनके साथ आज मेरे घनिष्ठ रिश्ते है वो कभी ना कभी मेरे जुल्मो का गुस्से का शिकार जरुर बने है और यही दर्द हमेशा मुझे सालता रहता है कि ज़िन्दगी अगर रफ कॉपी हो तो में पुनः फेयर काम करने को तैयार हू पर अबकी सफर में ये मेरे साथ होंगे ताकि में दोस्तों कि यादो को साथ पिरो सकू और जिसको जीना कहते है जी सकू।
कल बातो ही बातो में अपूर्व ने जाता दिया था कि उसकी आने वाली प्राथमिकता क्या होंगी और सही भी है उसे उसकी ज़िन्दगी जीने का पुरा हक़ है में क्यो किसी से उम्मीद रखू ......
बस इतना ही कहना है कि अब ये दोस्ती का दर्द सहा नही जाता और अब रिश्ते बनाने की हिम्मत नही है न ही इन रिश्तो को खोने की हिम्मत है अगर ये भी टूट गए तो में खत्म !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
दुनिया भर के लोगो को सच में अगर कोई दोस्ती का मतलब समझता है तो दोस्त दिवस मुबारक
आमीन........ अमर रहे दोस्तिया और प्यार ....... यही ज़िन्दगी है यही मौत है यही खुशी और यही गम है..........
मुझे लगता है की सिवाय मुर्ख बनने और बनाने के इस बाज़ार ने हमें कुछ दिया नही है, पिता दिन, माँ का दिन , शिक्षक दिवस प्रेम का दिन और दोस्तों का दिन......... बहरहाल दिन है तो संदेश भी आएंगे और जवाब भी देना होंगे वरना कंजूस की उपाधि से विभूषित कर दिए जायेंगे ।
अपने दोस्तों के बारे में सोचता हू तो इतना याद आता है की एक लिस्ट बने जायेगी तो शायद वेब पेज पर जगह कम पड़ जायेगी और फ़िर भी लिस्ट अधूरी रह जायेगी । स्कूल के दोस्त , कॉलेज के दोस्त , नौकरी धंधो के दोस्त, अपने सुख दुःख दर्द के दोस्त, और वो लोग जो इस राह में मिले और न जाने कहा बिछड़ गए आज याद आ रहे है। एक बार में इंदौर के एक मनोचिकित्सक के पास गया था की मुझे सब भूलना है ताकि एक नए सिरे से अपनी ज़िन्दगी की शुरुआत कर सकू वह थोडी देर तो मुझे समझाता रहा फ़िर बोला दोस्त दुनिया में स्मृतिया सबसे सुहानी होती है मेरे चालीस साल के सफर में तुम पहले आदमी हो जो भूलना चाहते हो यहाँ लोग याद रखने की दवा लेने आते है। क्या भूलू क्या याद रखू , जैसी स्तिथि हो गई है अब तो पर एक बात तो तय है की वो दोस्तिया जरुर चुभती है ठेस देती है पर सुकून नही देती।
उम्र के इस पड़ाव पर जो लोग आज साथ है वो मेरे लिए किसी वरदान से कम नही है। अकेले रहने का फ़ैसला मेरा था अपने गम खुशियों के साथ जैसे तैसे तिर्यालिस बरस निकल लिए और अब तो ढलने की बारी आ रही है पता नही कुछ कुंठा और कुछ गिला शिकवा रहा होगा तभी तो दो प्यारे से बच्चो को गोद ले लिया है अपूर्व और मोहित और बस दोस्ती यारी दुश्मनी इन्ही से निभानी है अब..................
हा कुछ दोस्त शगुन के नाम पर है पर इस भोपाल शहर ने उन्हें भी तोड़ने के कगार पर ला दिया है । एक बात जरुर में कहना चाहूँगा पुरी ईमानदारी से की जिनके साथ आज मेरे घनिष्ठ रिश्ते है वो कभी ना कभी मेरे जुल्मो का गुस्से का शिकार जरुर बने है और यही दर्द हमेशा मुझे सालता रहता है कि ज़िन्दगी अगर रफ कॉपी हो तो में पुनः फेयर काम करने को तैयार हू पर अबकी सफर में ये मेरे साथ होंगे ताकि में दोस्तों कि यादो को साथ पिरो सकू और जिसको जीना कहते है जी सकू।
कल बातो ही बातो में अपूर्व ने जाता दिया था कि उसकी आने वाली प्राथमिकता क्या होंगी और सही भी है उसे उसकी ज़िन्दगी जीने का पुरा हक़ है में क्यो किसी से उम्मीद रखू ......
बस इतना ही कहना है कि अब ये दोस्ती का दर्द सहा नही जाता और अब रिश्ते बनाने की हिम्मत नही है न ही इन रिश्तो को खोने की हिम्मत है अगर ये भी टूट गए तो में खत्म !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
दुनिया भर के लोगो को सच में अगर कोई दोस्ती का मतलब समझता है तो दोस्त दिवस मुबारक
आमीन........ अमर रहे दोस्तिया और प्यार ....... यही ज़िन्दगी है यही मौत है यही खुशी और यही गम है..........
Comments
Friendship ya dosti aisa relation jisme seemaae so called rules for maintaince nahi hote. Mujhe khushi hai ki meri zindagi me aise log hai.